
यूपी डेस्क
शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज ने हरमिलाप मंदिर शिवपुरी में सनातन धर्म की रक्षा,सभी हिन्दुओं के परिवारों की रक्षा,सनातन धर्म के शत्रुओं के समूल विनाश और भक्तगणों की सात्विक मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु किए जा रहे मां बगलामुखी महायज्ञ के पांचवे दिन श्रीमद्भगदगीता के आधार पर प्रवचन करते हुए कहा कि जिस तरह करुणा और दया सनातन धर्म के मूल अंग हैं उसी तरह से अपने धर्म,राष्ट्र,परिवार और अपने स्वजन मित्रों संरक्षण और प्रतिशोध भी सनातन के मूल अंग हैं।
भगवान के जीवन को समझने का प्रयास
सनातन को समझने का एकमात्र मार्ग भगवान श्रीराम,योगेश्वर श्रीकृष्ण,भगवान परशुराम और बजरंग बली हनुमान का जीवन है।ये सनातन धर्म के सर्वोच्च शिखर हैं।इनका जीवन हमें बताता है कि मानव का सबसे बड़ा कर्तव्य अपने धर्म,राष्ट्र,परिवार और स्वजन मित्रों का संरक्षण और प्रतिशोध है।जो मानव ऐसा नहीं करता वो सनातन धर्म का अनुयायी हो ही नहीं सकता।जब हम अपने भगवान के जीवन को समझने का प्रयास करते हैं तब हम पाते हैं कि उन्होंने अपनी परिवार के सम्मान,स्वाभिमान और अस्तित्व की रक्षा के लिए हर संभव युद्ध लड़ा।भगवान श्रीराम ने अपनी पत्नी के सम्मान के लिए लंका जैसे साम्राज्य को धूलधूसरित कर दिया।
धर्म को ठीक तरह से समझने की जरूरत
योगेश्वर श्रीकृष्ण ने अपने सात भाइयों और एक बहन की हत्या तथा अपने माता पिता के अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए कंस का वध किया।भगवान परशुराम जी ने अपने पिता के अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए सहस्त्रबाहु का वध किया और जब सहस्त्रबाहु के पुत्रों ने उनके पिता की हत्या कर दी तो उन्होंने अपने पिता की हत्या का प्रतिशोध लिया।इसी तरह बजरंग बली हनुमान जी ने सदैव राक्षसों और दुष्टों को दंडित किया।यही सनातन धर्म का सबसे बड़ा लक्षण है।जो भगवान के इस आचरण का अनुसरण नहीं करते,उन्हें स्वयं को भगवान का भक्त कहने का कोई अधिकार नहीं है।ऐसे लोग सनातन धर्म पर एक धब्बे की तरह हैं।ऐसे लोगों को धर्म को ठीक तरह से समझने की जरूरत है। हमारे धर्मगुरुओं को ऐसे लोगों को सही राह दिखाने की जरूरत है।
कौन-कौन रहे मौजूद !
महायज्ञ में उनके साथ उनके शिष्य यति अभयानंद जी,यति धर्मानंद जी, डॉ योगेंद्र योगी व पंडित सुनील दत्त शर्मा भी थे। महायज्ञ के पुरोहित पंडित सनोज शास्त्री जी हैं। महायज्ञ के यजमान संदीप गुप्ता और अरुण त्यागी थे। संजीव त्यागी,पंकज गर्ग,दिनेश सिंघल,विपुल मित्तल,राजीव गर्ग सुरेश केडिया,सुधीर गुप्ता, अनुज गुप्ता, मयंक सहित अनेक भक्तगणों ने महायज्ञ में आहुति समर्पित की।