दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुग़ल सम्राट बहादुर शाह ज़फ़र-द्वितीय की वंशज सुल्ताना बेगम की लाल किले पर मालिकाना हक और मुआवजे की याचिका को खारिज कर दिया है। बेगम ने दावा किया था कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अवैध रूप से लाल किले का कब्जा किया था, जो उनके पूर्वजों की संपत्ति है। उन्होंने केंद्र सरकार से या तो किले का कब्जा लौटाने या 1857 से अब तक के मुआवजे की मांग की थी ।
अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह ढाई साल से अधिक की देरी से दायर की गई थी, जिसे माफ नहीं किया जा सकता। बेगम ने अपनी खराब स्वास्थ्य स्थिति और बेटी के निधन को देरी का कारण बताया, लेकिन अदालत ने इसे अपर्याप्त मानते हुए याचिका खारिज कर दी ।
इससे पहले, दिसंबर 2021 में एकल न्यायाधीश ने भी 150 वर्षों से अधिक की देरी के कारण याचिका खारिज की थी। अदालत ने कहा था कि इतनी लंबी देरी के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाने का कोई औचित्य नहीं है ।
इस फैसले के बाद, सुल्ताना बेगम की याचिका पर कानूनी राहत मिलने की संभावना समाप्त हो गई है।