Written by –Sakshi Srivastava
सोमन वांगचुक एक प्रसिद्ध इंजीनियर, नवोन्मेषक और शिक्षा सुधारक हैं, जो लद्दाख, भारत से हैं। वे सतत विकास और उच्च-ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं। वांगचुक ने “छात्रों की आंदोलन” में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो शैक्षणिक स्वतंत्रता की बहाली के लिए था।
आपको बता दें सोनम वांगचुक के साथ लद्दाख के 150 प्रदर्शनकारी आए है उनके साथ भूख हड़ताल करने, आज से जंतर मंतर पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगे सोनम वांगचुक और उनके 150 प्रदर्शनकारी।
आपको बता दें सोनम वांगचुक शिक्षा के ऐसे मॉडल विकसित करने में सक्रिय रहे हैं जो आलोचनात्मक सोच और व्यावहारिक कौशल पर जोर देते हैं। इसके अलावा, उन्होंने जलवायु परिवर्तन और जल संरक्षण पर भी Advocacy की है, विशेष रूप से उनके नवोन्मेषी बर्फ के स्टूपों के माध्यम से, जो सर्दियों में पानी को संचित करने के लिए बनाए जाते हैं, ताकि गर्मियों में इसका उपयोग किया जा सके। उनके योगदान ने कई लोगों को प्रेरित किया है, खासकर चुनौतीपूर्ण वातावरण में सतत जीवन जीने के संदर्भ में।
सोमन वांगचुक ने कहा कि उन्हें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात की अपनी मांग पर सरकार से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। शुक्रवार को एक पत्रकार वार्ता में उन्होंने बताया कि उन्हें आश्वासन दिया गया था कि उन्हें शुक्रवार शाम पांच बजे तक बैठक के बारे में सूचित किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उनका यह बयान सरकार की नीतियों और कार्यों के प्रति असंतोष को दर्शाता है, खासकर जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के मुद्दों को लेकर।
सोमन वांगचुक ने बताया कि उन्हें अभी तक बैठक की जानकारी नहीं दी गई है। उन्होंने अधिकारियों से अनुरोध किया है कि उन्हें जंतर-मंतर पर अनशन के लिए जगह उपलब्ध कराई जाए। हालांकि, इस संबंध में अभी तक कोई पुष्टि नहीं हुई है। यह स्थिति उनके आंदोलन की गंभीरता को दर्शाती है, जिसमें वे जलवायु और पर्यावरण के मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं।
वे लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) के संविधान की छठी अनुसूची से संबंधित मुद्दों समेत विभिन्न मांगों को लेकर लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका उद्देश्य स्थानीय लोगों के अधिकारों और पर्यावरणीय मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करना है।