Written by– Sakshi Srivastava
महर्षि वाल्मीकि जयंती हर साल आश्विन माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है। 2024 में, यह जयंती 17 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन महर्षि वाल्मीकि की उपासना की जाती है और उनके जीवन और योगदान को याद किया जाता है।
महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर, हम उनके जीवन और योगदान के बारे में कुछ प्रचलित कथाएं जान सकते हैं:
- रामायण के रचयिता: वाल्मीकि जी ने “रामायण” की रचना की, जो हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है। यह भगवान राम के जीवन और उनके आदर्शों को प्रदर्शित करता है।
- अविष्कार की कथा: कहा जाता है कि वाल्मीकि जी पहले एक डाकू थे, लेकिन एक दिन उन्हें ऋषि नारद से प्रेरणा मिली, जिसके बाद उन्होंने तपस्वी जीवन अपनाया और ज्ञान प्राप्त किया।
- कौशल और दया: वाल्मीकि जी ने सृष्टि के प्रति दया और करुणा का पाठ पढ़ाया। उनकी रचनाओं में सामाजिक मुद्दों और नैतिक मूल्यों पर जोर दिया गया है।
- राम और सीता की कथा: वाल्मीकि जी ने भगवान राम और सीता के प्रेम और त्याग की कथा को शब्दों में ढाला, जो लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी।
इन कथाओं के माध्यम से हम महर्षि वाल्मीकि के जीवन और उनके योगदान को समझ सकते हैं, जो आज भी समाज में महत्वपूर्ण हैं।
महर्षि वाल्मीकि, जिन्हें संस्कृत का आदि कवि माना जाता है, की जयंती के अवसर पर उनकी कुछ प्रचलित कथाएं निम्नलिखित हैं:
- डाकू से ऋषि बनने की कथा: वाल्मीकि जी पहले एक डाकू थे, लेकिन एक दिन ऋषि नारद से मिले, जिन्होंने उन्हें भगवान राम की कथा सुनाई। इस सुनने के बाद उन्होंने तप करने और एक संत का जीवन जीने का निर्णय लिया।
- रामायण की रचना: कहा जाता है कि वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना तब की जब उन्होंने भगवान राम के जीवन को देखा और महसूस किया कि इस कथा को लोगों तक पहुंचाना आवश्यक है। इसे उन्होंने संस्कृत में लिखा, जो आज भी मानवता को प्रेरित करता है।
- सीता की रक्षा: वाल्मीकि जी ने सीता जी को अपने आश्रम में आश्रय दिया जब उन्हें भगवान राम द्वारा त्यागा गया। उन्होंने सीता की रक्षा की और उनके लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान किया।
- कविता की परिभाषा: वाल्मीकि जी ने कविता के बारे में यह कहा था कि “जिसमें भावना और भावनाओं की गहराई हो, वही सच्ची कविता है।” यह उनके कवि रूप की पहचान को दर्शाता है।
इन कथाओं के माध्यम से हम महर्षि वाल्मीकि की विद्वता, तप और मानवता के प्रति उनके समर्पण को समझ सकते हैं।
कब के कितने बजे मनाई जाएगी वाल्मीकि जयंती।
आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 16 अक्टूबर को रात 08:40 बजे हो रहा है और इसका समापन 17 अक्टूबर को दोपहर 04:55 बजे होगा। इसलिए, वाल्मीकि जयंती इस वर्ष गुरुवार, 17 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन महर्षि वाल्मीकि की उपासना और उनके योगदान को याद किया जाएगा। और वाल्मीकि को बहुत धूम धाम से मनाया जाता है।