Written by – Sakshi Srivastava
लद्दाख के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने 16 दिनों के अनशन के बाद आखिरकार अपने आंदोलन को समाप्त कर दिया है। उन्होंने यह अनशन लद्दाख के विकास और अधिकारों की रक्षा के लिए किया था। उनकी कोशिशों का फल यह रहा कि केंद्र सरकार ने उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया है।
वांगचुक ने इस अनशन के दौरान लद्दाख के स्थानीय मुद्दों, विशेषकर विकास और स्वायत्तता की आवश्यकता पर जोर दिया। उनके अनशन ने न केवल लद्दाख में बल्कि पूरे देश में ध्यान आकर्षित किया। इस आंदोलन ने यह स्पष्ट कर दिया कि लद्दाख के लोग अपनी संस्कृति, भाषा और पहचान को सुरक्षित रखना चाहते हैं।
केंद्र सरकार ने वांगचुक की मांगों को सुनने का वादा किया है, जिसमें स्थानीय संसाधनों का उचित उपयोग और विकास योजनाओं में स्थानीय जन भागीदारी शामिल हैं। वांगचुक ने अपनी स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए अनशन खत्म किया, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उनका संघर्ष जारी रहेगा।
इस घटना ने लद्दाख के मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और यह दर्शाता है कि स्थानीय स्तर पर उठे मुद्दों पर ध्यान देना आवश्यक है। अब देखना होगा कि सरकार इन मांगों को कितनी गंभीरता से लेती है और लद्दाख के लोगों के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।
जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने सोमवार को अनशन समाप्त कर दिया। यह निर्णय गृह मंत्रालय द्वारा 3 दिसंबर को लद्दाख की मांगों पर बातचीत शुरू करने के आश्वासन के बाद लिया गया। उनका अनशन लद्दाख की विशेष स्थिति और स्थानीय मुद्दों को लेकर था।
छह अक्तूबर से दिल्ली के लद्दाख भवन में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे कार्यकर्ताओं से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के संयुक्त सचिव प्रशांत लोखंडे ने मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कार्यकर्ताओं को गृह मंत्रालय का पत्र सौंपा, जिसमें 3 दिसंबर को लद्दाख की मांगों पर बातचीत शुरू करने का आश्वासन दिया गया। इस बातचीत की संभावना से कार्यकर्ताओं में उम्मीद जगी है।
पत्र में बताया गया कि लद्दाख के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के लिए बनाई गई मंत्रालय की उच्चाधिकार प्राप्त समिति की अगली बैठक 3 दिसंबर को होगी। इस आश्वासन के बाद सोनम वांगचुक और उनके समर्थकों ने अपना अनशन तोड़ने का निर्णय लिया। यह कदम लद्दाख के मुद्दों पर आगे की बातचीत की संभावनाओं को देखते हुए उठाया गया।
सोनम वांगचुक ने कहा कि “हमारी मुख्य अपील का समाधान हुआ, यह खुशी की बात है।” उन्होंने बताया कि अनशन के 16वें दिन गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव लद्दाख भवन आए और उन्हें पत्र सौंपा, जिससे उन्हें उम्मीद जगी है कि उनकी मांगों पर ध्यान दिया जाएगा।
सोनम वांगचुक ने कहा कि पत्र में उल्लेख किया गया है कि लेह की सर्वोच्च संस्था और कारगिल में केडीए के बीच केंद्र सरकार के साथ दिसंबर में बातचीत शुरू की जाएगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह बातचीत सकारात्मक रहेगी और इसके परिणाम न केवल लद्दाख के लिए, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण होंगे। उन्होंने यह भी आशा व्यक्त की कि इस मुद्दे पर उन्हें फिर से अनशन न करना पड़े।