Written by– Sakshi Srivastava
यमुना नदी, जो भारत की एक महत्वपूर्ण नदी है, पिछले कुछ दशकों में गंभीर प्रदूषण का सामना कर रही है। इस प्रदूषण का असर न केवल पर्यावरण पर, बल्कि मानव स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। हाल के शोधों से पता चला है कि यमुना में बढ़ते प्रदूषण के कारण कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
प्रदूषण के कारण
यमुना में औद्योगिक कचरा, घरेलू अपशिष्ट और सीवेज मिलाने से इसके जल की गुणवत्ता में तेजी से गिरावट आई है। ये तत्व पानी में जहरीले रसायनों का निर्माण करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
शोध बताते हैं कि यमुना के प्रदूषित पानी के संपर्क में आने से विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ हो सकती हैं, जैसे:
- कैंसर: लंबे समय तक प्रदूषित पानी पीने से कैंसर का खतरा बढ़ता है।
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएँ: प्रदूषण से पेट संबंधी बीमारियाँ बढ़ रही हैं।
- त्वचा रोग: प्रभावित पानी से त्वचा में जलन और अन्य रोग हो सकते हैं।
- प्रजनन स्वास्थ्य: इससे प्रजनन संबंधी समस्याएँ भी हो सकती हैं।
समाधान और जागरूकता
इस समस्या का समाधान केवल सरकार के प्रयासों से नहीं, बल्कि समाज की जागरूकता से भी संभव है। लोगों को यमुना के संरक्षण के लिए जागरूक होना होगा और प्रदूषण के खिलाफ आवाज उठानी होगी।
यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है, विशेषकर कैंसर के मामलों में वृद्धि का खतरा। पिछले 30 वर्षों के अध्ययन में यह पाया गया है कि नदी के पानी के सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से उपयोग से कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ सकती है। विशेषज्ञ, जैसे कि एम्स के, इस समस्या की गहन जांच कर रहे हैं और इसके लिए सार्वजनिक जागरूकता और नीतिगत उपायों की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण और नदी की सफाई के प्रयास अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, यमुना और हिंडन नदी की पानी की गुणवत्ता लगातार deteriorate हो रही है, जिसमें सुधार के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इन नदियों में औद्योगिक कचरा, कीटनाशक, फर्टिलाइज़र और सीवेज का गंदा पानी पाया जाता है, जो कार्सिनोजेनिक तत्वों को बढ़ाता है। ये तत्व कैंसर के विकास के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं, जिससे लोगों की स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। इस समस्या का समाधान करने के लिए प्रभावी नीतियों और प्रदूषण नियंत्रण उपायों की तत्काल आवश्यकता है।
दिल्ली सरकार यमुना में औद्योगिक कचरे की बढ़ती मात्रा को लेकर चिंतित है। अध्ययन कर रहे डॉक्टरों के अनुसार, यमुना के आसपास स्थित पेपर और शुगर मिलों का कचरा नदी में मिल रहा है। इसके अतिरिक्त, कृषि में इस्तेमाल होने वाले रसायन भी यमुना के पानी को प्रदूषित कर रहे हैं, जिससे पानी की गुणवत्ता और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इस स्थिति को सुधारने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।
आर्सेनिक का बढ़ता स्तर कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। यह एक ज्ञात कार्सिनोजेन है, जो लंबे समय तक शरीर में रहने पर विभिन्न प्रकार के कैंसर, विशेषकर त्वचा, मूत्राशय और फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकता है। यमुना नदी और अन्य जल स्रोतों में आर्सेनिक का उच्च स्तर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकता है, जिससे लोगों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर चिंता बढ़ रही है। इसके प्रभाव को कम करने के लिए त्वरित और प्रभावी उपायों की आवश्यकता है।
यमुना नदी के पानी के 56 नमूने लिए गए थे, जिनमें से विश्लेषण से प्रदूषण के गंभीर स्तर सामने आए हैं। इन नमूनों में औद्योगिक कचरे, कीटनाशकों और अन्य हानिकारक रसायनों की उपस्थिति पुष्टि हुई है, जो जल की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं। यह स्थिति स्वास्थ्य के लिए खतरा बनी हुई है, जिससे कैंसर जैसे गंभीर रोगों का जोखिम बढ़ सकता है।
प्रदूषण के कारण विभिन्न प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है, जिनमें शामिल हैं:
- ब्लड कैंसर (हिमोल्यूजिक कैंसर)
- ब्लैडर का कैंसर
- रेक्टल कैंसर
- जीआई कैंसर (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर)
- ब्रेस्ट कैंसर
- गॉल ब्लैडर कैंसर
अगर आपको निम्नलिखित लक्षण दिखाई दें, तो सतर्क होना जरूरी है:
- अल्सर होना या उसके लक्षण
- तिल में तेजी से बदलाव आना
- पेशाब में खून आना
- पेट के निचले हिस्से में दर्द
- अत्यधिक थकान महसूस करना
- बार-बार संक्रमण होना