Written by– Sakshi Srivastava
प्रधानमंत्री ने हाल ही में यू-विन पोर्टल का उद्घाटन किया, जो स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पोर्टल के माध्यम से लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं तक आसान पहुंच मिलेगी।
इसके साथ ही, पीएम ने स्वास्थ्य क्षेत्र में 12,850 करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं की भी शुरुआत की। इन परियोजनाओं का उद्देश्य लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करना है, जिससे स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता में सुधार हो सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धन्वंतरि जयंती और 9वें आयुर्वेद दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) में स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित 12,850 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का शुभारंभ और शिलान्यास किया। यह पहल आयुर्वेद के विकास और स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर आयुर्वेद के महत्व और उसकी वैश्विक पहचान बढ़ाने पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मंगलवार को दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA) द्वारा सम्मानित किया गया। यह सम्मान केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा और मनसुख मंडाविया की उपस्थिति में दिया गया। यह कार्यक्रम आयुर्वेद के प्रति प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता और इसके विकास में उनके योगदान को मान्यता देने के लिए आयोजित किया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधन में कहा कि आज पूरा देश धनतेरस और भगवान धन्वन्तरि की जयंती का पर्व मना रहा है और उन्होंने सभी को इस पर्व की बधाई दी। उन्होंने उल्लेख किया कि इस दिन बड़ी संख्या में लोग अपने घर के लिए नए सामान खरीदते हैं और विशेष रूप से देश के व्यापारी समुदाय को शुभकामनाएं दीं। मोदी ने इस अवसर पर आयुर्वेद और स्वास्थ्य क्षेत्र के महत्व पर भी जोर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह दिवाली ऐतिहासिक है, क्योंकि 500 साल बाद ऐसा अवसर आया है जब अयोध्या में रामलला की जन्मभूमि पर बने मंदिर में हजारों दीप जलाए जाएंगे। उन्होंने इसे एक अद्भुत उत्सव बताया और कहा कि यह दीपावली विशेष है, क्योंकि इस बार हमारे राम एक बार फिर अपने घर आए हैं। मोदी ने इस क्षण को 500 वर्ष की प्रतीक्षा के बाद पूरी होने वाला बताया।
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि यह हमारे लिए खुशी की बात है कि आज 150 से ज्यादा देशों में आयुर्वेद दिवस मनाया जा रहा है। उन्होंने इसे आयुर्वेद के प्रति वैश्विक आकर्षण बढ़ने का प्रमाण माना और बताया कि यह दर्शाता है कि नया भारत अपने प्राचीन अनुभवों के माध्यम से विश्व को कितना मूल्यवान ज्ञान और संसाधन प्रदान कर सकता है।