Written by– Sakshi Srivastava
दिल्ली की यमुना नदी में एक बार फिर जहरीले झाग दिखाई दिए हैं, जिससे नदी का प्रदूषण और भी बढ़ गया है। यह झाग प्रदूषण के गंभीर स्तर को दर्शाता है और चिंता का कारण बन गया है। हर साल सर्दी के मौसम में यमुना में झाग बनने की समस्या और अधिक बढ़ जाती है, जिससे नदी का पानी और भी गंदा हो जाता है।
क्यों बनते हैं ये जहरीले झाग?
यमुना में यह झाग मुख्य रूप से उद्योगों के अवशेष, सीवेज और रासायनिक अपशिष्टों के कारण बनता है। कई कारखानों और घरों से निकलने वाले गंदे पानी को नदी में छोड़ने से यह समस्या पैदा होती है। जब पानी में रासायनिक तत्व मिलते हैं, तो वह झाग के रूप में ऊपर आ जाते हैं, जो नदी के पानी को और अधिक जहरीला बना देते हैं।
प्रदूषण का बढ़ता स्तर
हाल के दिनों में यमुना में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ चुका है। नदी का पानी इतना गंदा हो गया है कि इसमें सांस लेना और नहाना तो दूर, इसके संपर्क में आना भी खतरनाक हो सकता है। नदी में बढ़ते प्रदूषण के कारण आसपास के इलाके की हवा भी प्रदूषित हो रही है, जो लोगों की सेहत के लिए हानिकारक है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
यमुना के पानी में बढ़ते प्रदूषण से पानी में रहने वाली मछलियां और अन्य जलजीव मर रहे हैं। यह जलजीवों की जीवन प्रणाली को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके अलावा, नदी के पानी को पीने से कई बीमारियां फैल सकती हैं जैसे कि पेट की बीमारी, त्वचा संक्रमण, और श्वास संबंधी समस्याएं।
समाधान के उपाय
- सभी उद्योगों और कारखानों से सीवेज के पानी की सफाई सुनिश्चित करना।
- नदी के किनारे सफाई अभियान चलाना और अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना।
- नदी में रासायनिक अपशिष्टों को रोकने के लिए कड़े कानून बनाना और उनका पालन करवाना।
निष्कर्ष
यमुना नदी में प्रदूषण का बढ़ना एक गंभीर समस्या है, जो न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरे की घंटी है। इस समस्या से निपटने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि हम आने वाली पीढ़ियों को एक साफ और सुरक्षित जलस्रोत दे सकें।