Written by– Sakshi Srivastava
सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली के मौके पर पटाखों पर प्रतिबंध को लेकर एक अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी धर्म प्रदूषण को बढ़ावा नहीं देता है, और यह स्पष्ट किया कि प्रदूषण से बचने के लिए जो कदम उठाए जा रहे हैं, वह समाज और पर्यावरण के भले के लिए हैं। कोर्ट ने इस बात को रेखांकित किया कि धार्मिक परंपराओं का पालन करते हुए, हमें पर्यावरण की सुरक्षा का भी ख्याल रखना चाहिए।
कोर्ट की यह टिप्पणी उन लोगों के खिलाफ थी जो धार्मिक कारणों से पटाखों पर प्रतिबंध को चुनौती दे रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धार्मिक आस्थाएं अपनी जगह हैं, लेकिन यदि किसी चीज से स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान हो रहा हो, तो उसे नियंत्रित करना जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकारों और स्थानीय अधिकारियों को पटाखों की बिक्री और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाने की सलाह दी। इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि हम सभी को मिलकर ऐसे उपायों को अपनाना चाहिए जिससे हमारे आस-पास का वातावरण स्वच्छ और सुरक्षित रहे।
दिल्ली सरकार ने दिवाली से पहले पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था, लेकिन इस आदेश का असर बहुत कम दिखा और दिवाली के दौरान पटाखे लगातार फूटते रहे। इससे संबंधित शिकायतों और कार्रवाई की रिपोर्ट देने के लिए दिल्ली पुलिस के आयुक्त ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। इस हलफनामे में पुलिस ने पटाखों के उत्पादन और निर्माण पर नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों का जिक्र किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस तर्क से संतुष्ट नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की आलोचना करते हुए कहा कि पटाखों पर प्रतिबंध के दौरान सिर्फ कच्चे माल को जब्त करना और अन्य औपचारिकताएँ पूरी करना मात्र दिखावे के उपाय थे, और असल में प्रतिबंध को गंभीरता से लागू नहीं किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के सभी राज्यों से यह सवाल किया कि उन्होंने प्रदूषण को कम करने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए हैं। इसके अलावा, कोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी आदेश दिया कि वह 25 नवंबर तक पटाखों पर स्थायी प्रतिबंध लगाने पर हितधारकों से परामर्श के बाद फैसला करे। कोर्ट ने दिल्ली सरकार पर नाराजगी जाहिर करते हुए यह भी पूछा कि पटाखों पर प्रतिबंध की घोषणा में इतनी देरी क्यों की गई, क्योंकि जब तक सरकार ने इसे लागू किया, तब तक लोगों ने पटाखे खरीदकर जमा कर लिए होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि पटाखों पर प्रतिबंध को समय पर लागू किया जाना चाहिए था। साथ ही, राजधानी दिल्ली और पूरे NCR में वायु प्रदूषण की स्थिति भी गंभीर बनी हुई है। पिछले हफ्ते, दिल्ली के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के पार चला गया था, जो कि “बेहद गंभीर” श्रेणी में आता है। यह स्थिति स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालने वाली है, जिससे पर्यावरणीय और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए चिंता बढ़ गई है।
इस निर्णय से यह साफ होता है कि धार्मिक संवेदनाओं का सम्मान करते हुए भी, पर्यावरण संरक्षण हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।