Written by- Sakshi Srivastava
पंजाब में गुरु पर्व की धूम मची हुई है। खासकर श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) और राज्य के अन्य गुरुद्वारों में संगत का ताता लगा हुआ है। श्रद्धालु अपनी आस्था और प्रेम के साथ माथा टेकने आ रहे हैं। गुरु पर्व के दिन गुरुद्वारों में विशेष पूजा अर्चना की जाती है और गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ होता है।
इस मौके पर हर जगह लंगर की व्यवस्था की जाती है, जिसमें हजारों लोग भूख को शांत करने के लिए एक साथ बैठकर खाना खाते हैं। लंगर का यह परंपरागत आयोजन सभी को एकजुट करता है और भाईचारे का संदेश देता है। संगत न सिर्फ श्रद्धा से गुरुद्वारों में हाजिरी देती है, बल्कि सेवा भाव से लंगर और अन्य आयोजन में भी हिस्सा लेती है।
सुल्तानपुर लोधी के गुरुद्वारा साहिब में गुरु नानक देव जी के 555वें प्रकाश पर्व के मौके पर एक भव्य आयोजन हुआ है, जिसमें सवा लाख से अधिक संगत ने नतमस्तक होकर श्रद्धा अर्पित की। इस अवसर पर गुरुद्वारा श्री बेर साहिब को 50 क्विंटल देसी और विदेशी फूलों से सजाया गया है, जिससे पूरा परिसर फूलों की महक से अभिभूत हो रहा है। यह आयोजन गुरु नानक देव जी की उपदेशों और उनके योगदान को याद करने का एक अद्वितीय अवसर बन गया है।
वहीं अमृतसर में खालसा कॉलेज गवर्निंग काउंसिल की ओर से नगर कीर्तन का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। कड़ाके की ठंड में, सुबह 5 बजे से शुरू हुए इस नगर कीर्तन में खालसा विश्वविद्यालय, कॉलेजों और स्कूलों के प्रिंसिपल्स, टीचिंग और नॉन-टीचिंग स्टाफ, साथ ही सैकड़ों बच्चों ने श्रद्धा भाव से भाग लिया। इस अवसर पर ‘सतनाम श्री वाहेगुरु’ का जाप करते हुए संगत ने गुरुओं के संदेश को फैलाने और सिख धर्म की अहमियत को समझाने का प्रयास किया। नगर कीर्तन के दौरान भव्य धार्मिक ध्वनि और गुरबाणी की लहरों ने वातावरण को भक्ति से भर दिया।
खालसा विश्वविद्यालय के चांसलर और काउंसिल के ऑनरेरी सचिव, राजिंदर मोहन सिंह छीना ने इस अवसर पर कहा कि सिखों के पहले गुरु, श्री गुरु नानक देव जी ने सहज-धर्म का प्रचार एक ही स्थान पर न करते हुए, बल्कि विभिन्न स्थानों पर घूम-घूम कर लोगों को उपदेश देना उचित समझा। उनका यह दृष्टिकोण आज भी हमें एकता, प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है।
नगर कीर्तन के दौरान बच्चों ने गुरबाणी शब्दों का उच्चारण किया, जो एक धार्मिक और सांस्कृतिक समागम का हिस्सा बना। नगर कीर्तन का रूट पुतलीघर चौक, रेलवे स्टेशन, भंडारी ब्रिज, हॉल बाजार से होते हुए श्री हरिमंदिर साहिब परिसर में जाकर समाप्त हुआ। इस दौरान विद्यार्थियों ने गतका (मार्शल आर्ट) के जौहर भी दिखाए, जो इस धार्मिक आयोजन को और भी भव्य और उत्साही बना रहे थे।
इस अवसर पर प्रमुख हस्तियों के रूप में डॉ. महल सिंह, डॉ. सुरिंदर कौर, डॉ. खुशविंदर कुमार, डॉ. आरके धवन, डॉ. कंवलजीत सिंह, अजमेर सिंह हेर, राजबीर सिंह आदि मौजूद थे, जिन्होंने इस ऐतिहासिक अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।
सुल्तानपुर लोधी के गुरुद्वारा साहिब में बाबा नानक के 555वें प्रकाश पर्व के अवसर पर एक भव्य आयोजन हुआ है, जिसमें सवा लाख से ज्यादा संगत ने नतमस्तक होकर श्रद्धा अर्पित की। इस विशेष मौके पर गुरुद्वारा श्री बेर साहिब को 50 क्विंटल देसी और विदेशी फूलों से सजाया गया है, जिसके कारण पूरा परिसर महक रहा है। फूलों की खुशबू के बीच श्रद्धालु गुरु नानक देव जी के उपदेशों और उनके दिव्य संदेशों को याद करते हुए उनकी आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गुरुद्वारे में पहुंचे हैं। यह आयोजन सिख समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर बन चुका है।
गुरु नानक देव जी के 555वें प्रकाश पर्व के अवसर पर सुल्तानपुर लोधी में भव्य धार्मिक आयोजन और लंगर सेवा का सिलसिला जारी है। गुरु नानक सेवक जत्था ठट्टा टिब्बा बाहरा ने संत बाबा हरजीत सिंह के नेतृत्व में विशाल लंगर का आयोजन किया, जिससे हजारों श्रद्धालुओं को प्रसाद प्राप्त हुआ। इसी प्रकार, राड़ा साहिब की संगत की ओर से भी लड्डुओं का लंगर लगातार बांटा जा रहा है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष आशीर्वाद बनकर सामने आ रहा है।
मालवा की संगत द्वारा ताजा गन्ने के रस का लंगर भी जारी है, जो गुरुपर्व तक चलता रहेगा। यह लंगर संगत को विशेष रूप से राहत और ऊर्जा प्रदान कर रहा है। इसके अलावा, स्थानीय गांवों की ओर से भी विभिन्न प्रकार के लंगर लगाए गए हैं, जो श्रद्धालुओं की सेवा में लगे हुए हैं। यह सब एकजुटता और सेवा भाव की शानदार मिसाल पेश कर रहा है, जो गुरु नानक देव जी के संदेशों को फैलाने का एक अद्वितीय तरीका है।
गुरु पर्व का यह अवसर समाज में शांति, सच्चाई और सेवा की भावना को बढ़ावा देता है, जो पंजाब की संस्कृति का अहम हिस्सा है।