Written by- Sakshi Srivastava
सुप्रीम कोर्ट ने संभल हिंसा से संबंधित जामा मस्जिद मामले पर निचली अदालत को सुनवाई न करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने प्रशासन को कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने की हिदायत भी दी है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह इस मामले में हाईकोर्ट में जाएं, और अब केवल हाईकोर्ट के निर्देश पर ही आगे की कार्रवाई संभव होगी। यह आदेश इस बात की ओर इशारा करता है कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए उसे उच्च न्यायालय के माध्यम से ही निपटाया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद सर्वे मामले में मस्जिद समिति की याचिका पर महत्वपूर्ण निर्देश दिए है।
आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद सर्वे मामले में मस्जिद समिति की याचिका पर महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। समिति ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें मस्जिद का सर्वे कराने का आदेश दिया गया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि उन्होंने उच्च न्यायालय क्यों नहीं गए।
सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को 8 जनवरी तक इस मामले पर सुनवाई करने से रोकने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत के फैसले पर उन्हें कुछ आपत्तियां हैं और इस मामले की सुनवाई उच्च न्यायालय द्वारा की जानी चाहिए। इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने उच्च न्यायालय को निर्देश दिया कि याचिका दायर होने के तीन दिनों के भीतर मामले पर सुनवाई की जाए।
यह निर्देश इस बात का संकेत है कि अब इस मामले की कानूनी प्रक्रिया उच्च न्यायालय द्वारा ही संचालित होगी, और सुप्रीम कोर्ट ने इस पर विशेष ध्यान देने की बात की है।
सुप्रीम कोर्ट ने संभल जामा मस्जिद सर्वे मामले में कुछ महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं, खासकर हिंसा के संदर्भ में। निचली अदालत के आदेश के बाद एडवोकेट कमिश्नर ने मस्जिद का सर्वे किया था, और उसी दौरान संभल में हुई हिंसा में चार लोगों की जान चली गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस गंभीर स्थिति को देखते हुए एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखने का आदेश दिया, ताकि इसे सार्वजनिक न किया जाए और इससे किसी भी तरह की और अशांति न फैले।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश प्रशासन को क्यों दी हिदायत।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश प्रशासन को भी सख्त हिदायत दी कि शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। यह निर्देश प्रशासन को यह सुनिश्चित करने के लिए है कि इलाके में कानून-व्यवस्था ठीक बनी रहे और हिंसा की पुनरावृत्ति न हो। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए किसी भी कार्रवाई को उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद ही आगे बढ़ाया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों जताई नाराजगी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत की जल्दबाजी पर गंभीर चिंता व्यक्त की, और कहा कि जिस गति से ट्रायल कोर्ट ने सुनवाई की और सर्वे का आदेश दिया, उसने स्थानीय लोगों के मन में शक उत्पन्न कर दिया। इसके परिणामस्वरूप, लोग अपने घरों से बाहर निकले और इसके बाद हिंसा भड़क उठी। रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग की, जिससे कई निर्दोष लोगों की जान चली गई और कई लोग घायल हुए।
मस्जिद समिति की ओर से वरिष्ठ वकील हुजैफा अहमदी ने अदालत में पेश होकर अपना पक्ष रखा, जबकि प्रतिवादी पक्ष की ओर से वकील विष्णु शंकर ने अपनी दलीलें दीं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए इस मामले की संवेदनशीलता को समझते हुए, अब इसे उच्च न्यायालय के माध्यम से ही निपटाया जाएगा, ताकि भविष्य में ऐसी कोई स्थिति उत्पन्न न हो।