Written by- Sakshi Srivastava
महाराष्ट्र में चुनावी नतीजों के बाद मुख्यमंत्री के नाम को लेकर उत्पन्न सस्पेंस के बीच, कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पैतृक गांव जाने की वजह से सियासी हलचल तेज हो गई थी। इसको लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं, कि शायद शिंदे सरकार गठन के फैसले से नाराज हैं। लेकिन उनकी पार्टी के नेता उदय सामंत ने इन अटकलों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि शिंदे बुखार और सर्दी से पीड़ित थे, इस कारण वह अपने गांव गए थे।
इस घटनाक्रम के बाद महायुति की बैठक स्थगित कर दी गई थी, जो महाराष्ट्र सरकार के गठन पर अहम फैसला लेने के लिए होनी थी। अब यह साफ हो गया है कि शिंदे का गांव जाना कोई राजनीतिक कारणों से नहीं, बल्कि स्वास्थ्य कारणों से था।
शिवसेना के नेता संजय शिरसाट ने दावा किया है कि एकनाथ शिंदे अगले 24 घंटों में कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं, जिससे महाराष्ट्र की सियासत में नई हलचल पैदा हो सकती है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शिंदे शिवसेना प्रमुख के रूप में केंद्रीय मंत्रिमंडल में कोई पद नहीं लेंगे, क्योंकि उनकी प्राथमिकता महाराष्ट्र की राजनीति ही है।
गुरुवार रात दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के दौरान भी शिंदे अस्वस्थ थे, जिसका संकेत इस बात से मिलता है कि उनकी तबियत ठीक नहीं थी, लेकिन यह मुलाकात अहम राजनीतिक बातचीत का हिस्सा हो सकती है। शिंदे के अगले कदम को लेकर अब सियासी गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं, और उनके स्वास्थ्य की स्थिति भी इस घटनाक्रम में एक अहम मोड़ साबित हो सकती है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आए एक सप्ताह से अधिक समय हो चुका है, लेकिन सरकार गठन में अब भी देरी हो रही है। शुक्रवार को महायुति के सहयोगी दलों—भारतीय जनता पार्टी (BJP), शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP)—की एक अहम बैठक रद्द कर दी गई, क्योंकि कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपने गांव के लिए रवाना हो गए थे।
इस बैठक में महाराष्ट्र सरकार के गठन को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लेने की उम्मीद थी, लेकिन शिंदे के गांव जाने के कारण यह बैठक स्थगित हो गई। इसके परिणामस्वरूप, सरकार गठन की प्रक्रिया में और देरी हो रही है, जिससे राज्य की राजनीति में अनिश्चितता बनी हुई है।
एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के बीच संभावित बैठक के बारे में सवाल उठने पर, शिवसेना के नेता उदय सामंत ने स्पष्ट किया कि अगर किसी कारणवश बैठक में शिरकत नहीं कर पा रहे हैं, तो वह वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से भी हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि शिंदे की यात्रा या स्वास्थ्य संबंधी स्थिति को लेकर अटकलें लगाना गलत है।
उदय सामंत ने जोर देते हुए कहा कि शिंदे बुखार और सर्दी से पीड़ित थे, और उनका गांव जाना स्वास्थ्य कारणों से था, न कि किसी राजनीतिक वजह से। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शिंदे परेशान नहीं हैं, और यह निष्कर्ष निकालना कि वह किसी स्थिति से नाराज हैं, गलत होगा। यह माना जा सकता है कि स्वास्थ्य समस्याओं के कारण शिंदे ने कुछ समय के लिए अपने पैतृक गांव का रुख किया है।
शिवसेना के नेता संजय शिरसाट ने कहा कि महाराष्ट्र के नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर बैठक की, और अब यह तय होगा कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह मिलकर इस फैसले को अंतिम रूप देंगे।
संजय शिरसाट ने संकेत दिया कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का नाम आज आधी रात तक घोषित किया जा सकता है, और शपथ ग्रहण समारोह दो दिसंबर को होने की संभावना है। यह बयान महाराष्ट्र के सियासी घटनाक्रम को लेकर उम्मीदों और अटकलों को और तेज कर देता है, क्योंकि राज्य में सरकार गठन को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने एकनाथ शिंदे के पैतृक गांव जाने को लेकर स्पष्ट किया कि यह उनका एक सामान्य रूटीन है। उन्होंने कहा कि जब भी शिंदे को किसी महत्वपूर्ण फैसले पर विचार करने की आवश्यकता होती है, तो वह अपने गांव जाते हैं। शिरसाट ने यह भी संकेत दिया कि शिंदे जल्दी ही एक बड़ा फैसला लेने वाले हैं, और यह निर्णय कल शाम तक लिया जा सकता है।
इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि शिंदे के गांव जाने को लेकर उठ रही अटकलें सिर्फ व्यक्तिगत या स्वास्थ्य संबंधी कारणों से नहीं, बल्कि यह एक सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा हो सकती है, जिसमें वे महत्वपूर्ण राजनीतिक निर्णय लेने से पहले शांति और समय चाहते हैं।
संजय शिरसाट ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने यह स्पष्ट किया है कि वह अगले दो दिनों में अपने विधायक दल के नेता का चयन करेगी, और इसके बाद आवश्यक औपचारिकताओं के पूरा होने के साथ नई सरकार का गठन किया जाएगा।
महा विकास अघाड़ी (MVA) के नेताओं पर निशाना साधते हुए, शिरसाट ने कहा कि विपक्ष को महायुति पार्टियों पर सरकार गठन को लेकर सवाल उठाने की बजाय, अपने चुनावी प्रदर्शन का आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। उनका यह बयान MVA के नेताओं को उनके चुनावी नतीजों के बारे में जवाबदेह ठहराने का एक तरह से इशारा था, खासकर तब जब महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
यह बयान महाराष्ट्र की राजनीति में चल रही सियासी हलचल के बीच विपक्ष के प्रति शिरसाट की तल्खी को दर्शाता है।