Written by – Sakshi Srivastava
हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने एकजुट होकर एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की। इस दौरान उन्होंने वर्तमान सरकार पर गंभीर आरोप लगाए, जिसमें जमीनों के सौदों में अनियमितताओं का खुलासा किया गया।
नेताओं ने कहा कि सरकार ने कुछ खास लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों की अनदेखी की है। उन्होंने दावा किया कि सरकारी जमीनों का अवैध ढंग से हस्तांतरण किया जा रहा है, जिससे आम लोगों का नुकसान हो रहा है।
कांग्रेस नेताओं ने मांग की कि इस मुद्दे की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। उनका यह भी कहना था कि सरकार को जनता के हितों की रक्षा करनी चाहिए, न कि कुछ विशेष लोगों के लाभ के लिए काम करना चाहिए।
देहरादून में कांग्रेस के नेताओं ने एक प्रेस कांफ्रेंस में प्रदेश की सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि त्रिवेंद्र सरकार ने जमीनों के मामले में गलतियां की हैं, जबकि धामी सरकार ने इसे और बढ़ा दिया है। विपक्ष ने जमीनों के कारोबार में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के संकेत दिए और सरकार पर लोगों की भावनाओं के साथ खेल खेलने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर जन जागरूकता फैलाने की योजना भी बनाई है।
कांग्रेस भवन में प्रदेश अध्यक्ष करन माहारा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, हरक सिंह रावत और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ एक संवाददाता सम्मेलन हुआ। इस मौके पर पूर्व विधायक केदारनाथ मनोज रावत ने बताया कि प्रदेश में भू कानून के खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन चल रहे हैं। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह इन मुद्दों की अनदेखी कर रही है और जनता की आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रही है।
हाल ही में मुख्यमंत्री ने अगस्त्यमुनि में घोषणा की कि वह सख्त भू कानून लाने जा रहे हैं। कांग्रेस नेताओं ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहले भी 2022 में उच्च अधिकार समिति बनाई गई थी, लेकिन उसके कार्यों की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तराखंड के मौजूदा भू कानून की दो धाराओं में बदलाव कर कुछ विशेष हितों को लाभ पहुंचाया गया है। कांग्रेस ने यह भी कहा कि सरकार को जनता के सवालों का जवाब देना चाहिए और पारदर्शिता को बढ़ावा देना चाहिए।
हरिद्वार और पौड़ी जिले का हालिया सर्वेक्षण विभिन्न मुद्दों पर केंद्रित रहा, जिसमें विकास, भूमि उपयोग और स्थानीय समस्याओं का आकलन शामिल है। सर्वेक्षण के दौरान स्थानीय लोगों की समस्याएं, जैसे बुनियादी सुविधाओं की कमी और भू कानून के प्रभाव, को प्रमुखता से उठाया गया। कांग्रेस नेताओं ने इस सर्वेक्षण का हवाला देते हुए सरकार से अपेक्षाएं जताई हैं कि वह इन समस्याओं का समाधान करेगी और क्षेत्र के विकास के लिए ठोस कदम उठाएगी।
पूर्व विधायक मनोज रावत ने आरोप लगाया कि यूपी के समय में समाजवादी पार्टी की सरकार में जो विवादित जमीन एक कंपनी को दी गई थी, उसकी कहानी अब भी जारी है। सचिव पर्यटन कुर्वे के अनुसार, 172 एकड़ की पर्यटन भूमि में से 142 एकड़ भूमि को एक एडवेंचर स्पोर्ट्स कंपनी को एक करोड़ सालाना किराए पर 15 साल के लिए सौंपा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने एडीबी से 23 करोड़ का कर्ज लेकर उस जमीन के रखरखाव के लिए संसाधन जुटाए।
रावत ने चेतावनी दी कि अब सरकार की नजर केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के चोपता की जमीनों पर है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार का रुख स्थानीय संसाधनों के प्रति क्या है। उन्होंने इस संदर्भ में सतर्कता बरतने की अपील की और कहा कि सरकार को जनता के हितों का ध्यान रखना चाहिए।
मनोज रावत ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने जमीन के सौदे की शर्तें बदल दी हैं, जिससे कंपनी को अनुचित लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव न केवल पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है, बल्कि स्थानीय लोगों के अधिकारों और हितों को भी नुकसान पहुंचा रहा है। रावत ने सरकार से मांग की कि वह इस तरह के अनुबंधों की जांच करे और स्थानीय समुदाय के हितों की रक्षा सुनिश्चित करे।
कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि 2018 के बाद भू कानून में 11 बदलाव किए गए हैं, जिसमें त्रिवेंद्र रावत सरकार ने गलत निर्णय लिए और धामी सरकार ने उसे और बढ़ा दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि त्रिवेंद्र रावत ने एक नियम जोड़ा था कि यदि जमीन का उपयोग नहीं किया जाएगा, तो वह सरकार के पास वापस आ जाएगी, लेकिन धामी सरकार ने 2022 में इस नियम को हटा दिया। माहरा ने यह भी कहा कि उस समय विपक्ष के बहिष्कार के बावजूद सदन में ये विधेयक लाए गए थे, जो पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस मुद्दे पर उचित चर्चा की जाए और जनता के हितों की रक्षा की जाए।
हरक सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड की सरकार प्रदेश के लोगों के साथ अन्याय कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की नीतियां और फैसले स्थानीय लोगों के हितों की अनदेखी कर रहे हैं। रावत ने यह भी कहा कि भू कानून में किए गए बदलाव और भूमि के सौदों से आम जनता को नुकसान हो रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करे और जनता की समस्याओं का समाधान करने के लिए ठोस कदम उठाए।