Written by– Sakshi Srivastava
हाल ही में, ग्रेटर नोएडा (ग्रेनो) का वायु प्रदूषण पहली बार सीजन में रेड जोन में पहुंच गया है। यह स्थिति न केवल स्थानीय निवासियों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि यह पूरे देश में तीसरे नंबर पर सबसे खराब वायु गुणवत्ता को भी दर्शाती है।
रविवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 312 दर्ज किया गया, जबकि नोएडा का AQI 304 रहा। इस स्थिति के चलते ग्रेटर नोएडा देश में तीसरा और नोएडा पांचवां सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। ये आंकड़े प्रदूषण की गंभीरता को दर्शाते हैं, जो स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
सर्दी के साथ दिल्ली-एनसीआर की हवा में प्रदूषण बढ़ने लगा है। दिल्ली का AQI कई दिन पहले 300 के पार पहुंचकर रेड जोन में चला गया था, जबकि नोएडा का AQI भी इसी स्तर पर पहुंच गया। इसके विपरीत, ग्रेटर नोएडा का AQI शनिवार को 232 रहा, जो येलो और ऑरेंज जोन में था। यह स्थिति स्थानीय स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय है।
रविवार को ग्रेटर नोएडा के वेस्ट क्षेत्र में वायु गुणवत्ता बहुत खराब रही, जहां AQI 330 से अधिक दर्ज किया गया। यूपीपीसीबी के अनुसार, प्रदूषण का स्तर अचानक बढ़ा है, जिसका कारण हवा का न चलना, सड़क की धूल, और जाम है। त्योहारों के दौरान सड़कों पर वाहनों की संख्या में वृद्धि ने इस स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
जून के बाद से वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) फिर से रेड जोन में पहुंच गया है, जो प्रदूषण की बढ़ती समस्या को दर्शाता है। खासकर दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों के आने के साथ ही प्रदूषण के स्तर में इजाफा हो रहा है, जिससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। सरकार और स्थानीय निकायों को इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।
अधिकारियों ने अवैध हॉट मिक्स प्लांट को सील कर दिया है, जो अवैध रूप से संचालित हो रहा था। यह कार्रवाई प्रदूषण नियंत्रण और सड़कों की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए की गई है। ऐसे प्लांट्स से उत्पन्न धूल और प्रदूषण स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। इस कदम से इलाके में वायु गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद है।
वायु प्रदूषण के कारण
ग्रेनो में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण निर्माण कार्य, वाहनों की बढ़ती संख्या और जलवायु परिवर्तन है। इसके अलावा, खेतों में पराली जलाने की प्रथा भी इस समस्या को और बढ़ाती है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
रेड जोन में पहुंचने से लोगों की सेहत पर गंभीर असर पड़ सकता है। इससे सांस संबंधी बीमारियों, एलर्जी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है।
उपाय और समाधान
इस समस्या से निपटने के लिए स्थानीय प्रशासन को कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि निर्माण स्थलों पर धूल को नियंत्रित किया जाए, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दिया जाए और पराली जलाने के खिलाफ जागरूकता फैलाई जाए।
ग्रेनो के निवासियों को भी अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए जरूरी सावधानियां बरतनी चाहिए। जैसे, बाहर निकलने से पहले वायु गुणवत्ता की जानकारी लेना और मास्क का उपयोग करना।