Written by– Sakshi Srivastava
बिहार की प्रसिद्ध गायिका, “बिहार कोकिला” के नाम से मशहूर, अब इस दुनिया में नहीं रहीं। उनके निधन से संगीत की दुनिया में एक बड़ा शोक छा गया है। राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें छठ गीतों की गूंज ने श्रद्धांजलि दी।
बिहार की प्रसिद्ध गायिका शारदा सिन्हा का आज अंतिम संस्कार हुआ, और उन्हें पूरे सम्मान के साथ विदाई दी गई। पटना के राजेंद्र नगर स्थित उनके घर पर अंतिम दर्शन के लिए भारी संख्या में लोग पहुंचे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प-चक्र अर्पित किया। शारदा सिन्हा की अंतिम यात्रा गुलबी घाट के लिए रवाना हुई, जहां पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने उन्हें कांधा दिया और मां को मुखाग्नि दी। इस दौरान उपस्थित सभी लोग भावुक थे और शारदा सिन्हा की सुमधुर आवाज और योगदान को याद करते हुए नम आंखों से उन्हें अलविदा कहा।
पारंपरिक छठ पूजा के गीतों से जुड़ी उनकी आवाज ने बिहार की संस्कृति को दुनियाभर में पहचान दिलाई थी। उनकी गायन शैली ने न केवल बिहारवासियों, बल्कि समूचे देश को प्रभावित किया।
उनकी अंतिम यात्रा में संगीत प्रेमी और उनके चाहने वालों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। अंतिम संस्कार के दौरान, छठ गीतों का गायन किया गया, जो बिहार की संस्कृति और परंपरा का अहम हिस्सा हैं।
आपको बता दें 22 सितंबर को लोकगायिका शारदा सिन्हा के पति ब्रज किशोर सिन्हा का निधन हुआ था, और उनका अंतिम संस्कार भी गुलबी घाट पर ही किया गया था। इस कठिन समय में शारदा सिन्हा का मनोबल पूरी तरह से टूट गया था। उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने बताया कि पिताजी के निधन के बाद मां ने एक दिन कहा था कि उन्हें भी गुलबी घाट पर ही अंतिम विदाई दी जाए। इस कारण, शारदा सिन्हा की अंतिम इच्छा को सम्मान देते हुए, उनका अंतिम संस्कार भी वही स्थान पर किया गया। यह एक भावुक क्षण था, जिसमें परिवार और करीबी लोग शारदा सिन्हा को अंतिम बार अलविदा देने के लिए मौजूद थे।
लोकगायिका शारदा सिन्हा के निधन पर बिहार भाजपा और विभिन्न नेताओं ने गहरी शोक संवेदनाएं व्यक्त की। भाजपा की ओर से कहा गया कि “मां सरस्वती की वरदपुत्री, पद्म श्री, बिहार कोकिला शारदा सिन्हा से बिहार ही नहीं, पूरे देश को अपूरणीय क्षति हुई है।” पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने शारदा सिन्हा के निधन पर कहा कि “उनके जाने से लोक संगीत का एक महत्वपूर्ण अध्याय खत्म हो गया।”
बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने भी शारदा सिन्हा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए अपनी संवेदनाएं प्रकट की। इसके अलावा, उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा, मंत्री नितिन नवीन, और अश्विनी चौबे ने भी शारदा सिन्हा को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। शारदा सिन्हा के योगदान को याद करते हुए सभी ने उनके लोक संगीत के प्रति समर्पण और उनके संगीत से जुड़े अपूर्व योगदान को सम्मानित किया।
बिहार कोकिला शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार कल होगा, और पटना के राजेंद्र नगर स्थित उनके आवास पर उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। तिरंगे में लिपटे हुए शारदा सिन्हा के पार्थिव शरीर को देखने के लिए उनके प्रशंसकों और समर्थकों की भीड़ उमड़ पड़ी, और सभी की आंखों में आंसू थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शारदा सिन्हा के अंतिम दर्शन करने पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्यमंत्री ने शारदा सिन्हा के छठ महापर्व पर गाए गए मधुर गानों का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी सुरमयी आवाज बिहार, उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में गूंजा करती थी। उनके निधन से संगीत के क्षेत्र के साथ-साथ पूरे बिहार को भी अपूरणीय क्षति हुई है। मुख्यमंत्री ने शारदा सिन्हा की आत्मा की शांति की कामना करते हुए उनके परिवार, प्रशंसकों और अनुयायियों को इस दुख की घड़ी में धैर्य और संबल मिलने की प्रार्थना की।
बिहार सरकार ने उन्हें राजकीय सम्मान प्रदान किया और पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार हुआ। इस दौरान राज्यभर के लोग शोक में डूबे रहे और उनकी गायकी को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।
उनकी गायकी और छठ पूजा के गीतों का योगदान हमेशा याद किया जाएगा, और उनकी अनुपम आवाज़ बिहार के दिल में हमेशा गूंजती रहेगी।