Written by -Sakshi Srivastava
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के खिलाफ प्रतियोगी छात्रों का आंदोलन जारी है, जिसमें छात्रों ने आयोग के दो नंबर गेट के सामने डेरा डाल रखा है। इन छात्रों का कहना है कि जब तक आयोग आरओ-एआरओ प्रारंभिक परीक्षा को एक ही दिन में एक शिफ्ट में कराने का लिखित आश्वासन नहीं देता, तब तक उनका धरना जारी रहेगा। छात्रों का तर्क है कि जैसे पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा को एक शिफ्ट में आयोजित करने की घोषणा की गई है, उसी तरह आरओ-एआरओ परीक्षा के लिए भी एक ही दिन और एक शिफ्ट में आयोजन का निर्णय लिया जाए।
यह प्रदर्शन छात्रों के अधिकारों की रक्षा और परीक्षा की प्रक्रिया में समानता की मांग को लेकर किया जा रहा है। उनका कहना है कि इससे उन्हें तैयारी में अधिक समय मिलेगा और परीक्षा का दबाव कम होगा।
छात्रों का आरोप है कि आयोग ने उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का आश्वासन देकर उनकी मांगों को नजरअंदाज किया है। उनका कहना है कि आरओ-एआरओ परीक्षा को एक दिन और एक शिफ्ट में कराने की मांग को लेकर उन्होंने आंदोलन शुरू किया था, लेकिन आयोग ने केवल पीसीएस परीक्षा के लिए एक शिफ्ट की मांग मानी है, जबकि आरओ-एआरओ परीक्षा के बारे में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है। छात्र अब आयोग से स्पष्ट लिखित आश्वासन चाहते हैं कि दोनों परीक्षाएं एक ही दिन में आयोजित की जाएं।
राजधानी में पिछले पांच दिनों से चल रहा छात्र आंदोलन अब भी जारी है। चुनाव आयोग ने छात्रों की मांगों पर कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन फिर भी छात्र अपने विरोध को समाप्त करने के लिए तैयार नहीं हैं। छात्रों का कहना है कि आयोग ने कुछ फैसले तो लिए हैं, लेकिन उनकी मुख्य समस्याओं का समाधान अभी तक नहीं हुआ है।
आंदोलन की जड़ें RO (रिटर्निंग ऑफिसर) और ARO (असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर) की नियुक्तियों में फंसी हुई हैं। छात्रों का आरोप है कि इन पदों पर चयन पारदर्शिता से नहीं हुआ और इसे सही तरीके से लागू किया जाए, तब ही आंदोलन को खत्म किया जाएगा।
आयोग के सचिव द्वारा आरओ-एआरओ परीक्षा के लिए उच्चस्तरीय कमेटी गठित करने का आश्वासन दिए जाने के बावजूद, प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि उन्हें केवल आश्वासन नहीं, बल्कि एक लिखित नोटिस चाहिए, जिसमें यह स्पष्ट रूप से कहा जाए कि आरओ-एआरओ परीक्षा एक ही दिन और एक शिफ्ट में आयोजित की जाएगी, जैसा कि पीसीएस परीक्षा के मामले में किया गया है। छात्र आयोग से यह सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं कि परीक्षा का आयोजन एक ही दिन हो, ताकि उनकी तैयारियों में कोई रुकावट न आए और समानता सुनिश्चित की जा सके।
आरओ/एआरओ परीक्षा में पंजीकृत अभ्यर्थियों की संख्या 10,76,004 है, जो पीसीएस परीक्षा के मुकाबले कहीं अधिक है। ऐसे में आयोग को परीक्षा केंद्रों की व्यवस्था में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। शासनादेश के अनुसार, परीक्षा केंद्रों का चयन करते समय यह सुनिश्चित किया गया है कि केंद्रों की गुणवत्ता उच्च हो, यानी वे प्राइवेट या अधोमानक न हों। इसके साथ ही, कलेक्ट्रेट और कोषागार से 20 किमी की परिधि में परीक्षा केंद्रों का विस्तार करने की कोशिश की गई है, लेकिन पर्याप्त संख्या में परीक्षा केंद्र नहीं मिल पा रहे हैं।
आयोग ने विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, मेडिकल कॉलेजों और इंजीनियरिंग कॉलेजों को भी परीक्षा केंद्र के रूप में शामिल करने की कोशिश की, लेकिन इन केंद्रों की संख्या भी सीमित रही। इसके परिणामस्वरूप, परीक्षा केंद्रों की व्यवस्था में समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, जो अभ्यर्थियों के लिए अतिरिक्त चिंताएं पैदा कर रही हैं।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) को पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा-2024 के लिए 75 जिलों में कुल 1758 परीक्षा केंद्रों की आवश्यकता थी, लेकिन आयोग को केवल 55% केंद्र ही उपलब्ध हो सके, यानी सिर्फ 978 केंद्र मिल पाए। इस परीक्षा के लिए कुल 576,154 अभ्यर्थी पंजीकृत हैं, और इतने बड़े पैमाने पर परीक्षा केंद्रों की व्यवस्था करना एक चुनौती बन गया है।
यह कमी परीक्षा केंद्रों की उपलब्धता और उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित करने की प्रक्रिया में आई कठिनाइयों को दर्शाती है। आयोग को अब इन सीमित केंद्रों पर परीक्षा आयोजित करनी होगी, जिससे केंद्रों की क्षमता और व्यवस्थाओं में अतिरिक्त दबाव रहेगा।
आयोग के द्वारा कुछ हल निकाले गए हैं, लेकिन छात्रों का मानना है कि यह सिर्फ दिखावा है। वे चाहते हैं कि उनकी सभी समस्याओं का वास्तविक समाधान हो, ताकि भविष्य में इस तरह की समस्याएं फिर से न उठें।
अब यह देखना होगा कि आयोग और छात्र इस मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं और आंदोलन कब खत्म होता है।