Written by- Sakshi Srivastava
बांग्लादेश में हिंदू संगठन इस्कॉन के खिलाफ एक याचिका दायर की गई है, जिसमें इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। इस पर बांग्लादेश सरकार ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इस्कॉन को धार्मिक कट्टरपंथी संगठन बताया और कहा कि वह इसकी जांच कर रही है। यह घटनाक्रम इस्कॉन से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी के बाद सामने आया है। इस्कॉन से जुड़ी यह कानूनी कार्यवाही और सरकारी बयान बांग्लादेश में धार्मिक और सांस्कृतिक माहौल पर असर डाल सकते हैं।
बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी के बाद से प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। इस्कॉन ने इस मामले में बांग्लादेश सरकार की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया है। संगठन ने बांग्लादेश सरकार से अपील की है कि वह ऐसा माहौल बनाए जिसमें सभी धर्म और वर्ग के लोग शांति और भाईचारे के साथ मिलकर रह सकें। इसके अलावा, इस्कॉन ने बांग्लादेश के विभिन्न इलाकों में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों को लेकर भी चिंता जताई है। इस घटनाक्रम ने बांग्लादेश में धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं।
इस्कॉन ने बांग्लादेश सरकार के सामने रखीं ये मांगे।
इस्कॉन ने बांग्लादेश के प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी पर चिंता जताते हुए बांग्लादेश सरकार की निंदा की है। इस्कॉन का कहना है कि वे बांग्लादेश सरकार से अपील करते हैं कि वह ऐसा माहौल बनाए, जिसमें सभी वर्गों के लोग शांति से और मिलजुलकर रह सकें। इस्कॉन ने यह भी कहा कि चिन्मय कृष्ण दास प्रभु बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों के प्रति बहुत मुखर रहे हैं, और सरकार को नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
इस्कॉन ने सरकार से कुछ अहम मांगें भी की हैं, जिनमें शामिल हैं:
- सनातन धर्म के लोगों पर हमलों के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई
- चिन्मय कृष्ण दास और अन्य सनातनियों के अधिकारों की सुरक्षा
- देश में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए त्वरित कदम उठाना
इस्कॉन की यह अपील बांग्लादेश में धार्मिक सहिष्णुता और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।
इस्कॉन ने अपने बयान में बांग्लादेश के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा व्यक्त करते हुए कहा कि बांग्लादेश उनका जन्मस्थान और पूर्वजों का घर है। संगठन ने गर्व के साथ बताया कि बांग्लादेश में कई प्रमुख आचार्य और संत पैदा हुए हैं। इस्कॉन ने यह भी कहा कि वह बांग्लादेश के नागरिक होने पर गर्व महसूस करते हैं और चाहते हैं कि बांग्लादेश की वर्तमान और भविष्य की सरकारों के साथ वे शांतिपूर्ण सहयोग बनाए रखें।
हालांकि, इस्कॉन ने अपनी मुख्य मांगें भी स्पष्ट की हैं। संगठन ने बांग्लादेश सरकार से आग्रह किया कि वह न्याय सुनिश्चित करे और देश के हर नागरिक को अपनी धर्म और परंपराओं का पालन करने की स्वतंत्रता प्रदान करे। इस्कॉन का यह बयान धार्मिक स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा पर जोर देता है।
भारत ने जताई नाराजगी।
मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग उनके नेतृत्व में आंदोलन कर रहे हैं। अदालत ने बाद में चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज करते हुए उन्हें जेल भेज दिया।
इस घटनाक्रम पर भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने नाराजगी जाहिर करते हुए बयान जारी किया। मंत्रालय ने कहा कि हिंदुओं पर हमले करने वाले दोषी बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदू नेताओं को सुरक्षा की मांग करने पर जेल में डाला जा रहा है। विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश सरकार से हिंदू समुदाय के अधिकारों की रक्षा करने की अपील की।
इस पर बांग्लादेश सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारत के बयान पर नाराजगी जाहिर की। बांग्लादेश ने इसे अपने आंतरिक मामले के रूप में बताते हुए कहा कि भारत का इस पर टिप्पणी करना दोनों देशों के रिश्तों में खटास पैदा कर सकता है। इस विवाद ने बांग्लादेश और भारत के द्विपक्षीय संबंधों में तनाव की स्थिति उत्पन्न की है।
प्रभु पर लगा देशद्रोह का आरोप।
30 अक्टूबर को बांग्लादेश में राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने के आरोप में देशद्रोह अधिनियम के तहत चिन्मय कृष्ण दास प्रभु और 19 अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। इस मामले में दो लोगों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
आरोप यह है कि 25 अक्टूबर को चटगांव के लालदीघी मैदान में सनातन जागरण मंच द्वारा आयोजित एक रैली में कुछ लोगों ने आज़ादी स्तंभ पर भगवा ध्वज फहराया था, जिस पर “आमी सनातनी” (मैं सनातनी हूं) लिखा हुआ था। इस घटना के कारण चिन्मय कृष्ण दास प्रभु पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने राष्ट्रीय झंडे की अवमानना और अपमान किया है।
यह मामला बांग्लादेश में धार्मिक और राष्ट्रीय प्रतीकों से जुड़ी संवेदनशीलता को लेकर विवाद उत्पन्न कर चुका है, और इसकी वजह से स्थानीय स्तर पर तनाव भी बढ़ा है।