सरल न्यूज़: अभी हम केजरीवाल की दिल्ली की पर-केपिटा आय से भी कम आय का रहस्य समझ ही रहे थे की हमारी मीडिया टीम ने हमारा ध्यान केजरीवाल के नम्बर 2 मनीष सिसोदिया के हलाफनामे की ओर दिलाया है जिसमें सिसोदिया पर कर्ज के आंकड़े हर नागरिक के मन में सैकड़ों सवाल खड़े करते हैं
वीरेन्द्र सचदेवा
किसी मध्यम वर्गीय परिवार की ही तरह उनके जमा पूंजी आंकड़े सामान्य हैं पर जब हम मनीष सिसोदिया के ऊपर शिक्षा कर्ज का आंकड़ा देखते हैं तो लगता है की यह तो हेर फेर का मामला हो सकता है वीरेन्द्र सचदेवा
हम और आप बच्चों का शिक्षा का दीर्घकालीन कर्ज बैंक से लेते हैं मनीष सिसोदिया को उनके तीन परिचित 1.5 करोड़ का कर्ज देते हैं वह कभी शराब पॉलिसी के दौर में जो असमान्य है, सिसोदिया से जवाब मांगता है
वीरेन्द्र सचदेवा
दिल्ली की जनता जानना चाहती है की मनीष सिसोदिया के वह 3 मित्र रोमेश चंद मित्तल, मिस दीपाली एवं श्री गुणित अरोड़ा कौन हैं जिन्होंने 86 लाख, 10 लाख एवं 58 लाख के पुत्र शिक्षा कर्ज सिसोदिया को शराब नीति विवादकाल में दिए हैं वीरेन्द्र सचदेवा
केजरीवाल भी बतायें की आखिर यह कैसे मुमकिन है की गत दशक में आपके आयकर रिटर्नों में दिखाई आय आपके मूल वेतन से भी कम है पर शराब नीति बनने वाले कोविड़ वर्ष में 40 गुणा बढ़ गई थी
वीरेन्द्र सचदेवा
केजरीवाल एवं सिसोदिया समझ लें की चुप रहने से बात नही बनेगी, उन्हे बताना होगा की केजरीवाल की आय इतनी कम कैसे और सिसोदिया को बताना होगा की उन्होने बैंक छोड़कर व्यक्तियों से कर्ज क्यों लिया और यह 3 कर्ज मित्र कौन हैं ‐- बांसुरी स्वराज
नई दिल्ली 18 जनवरी : दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष श्री वीरेन्द्र सचदेवा एवं सांसद सुश्री बांसुरी स्वराज ने आज एक संयुक्त पत्रकार सम्मेलन में दिल्ली के पूर्व उप मुख्य मंत्री मनीष सिसोदिया के द्वारा अपने चुनाव हलाफनामे में दायर कर्ज के आंकड़े को लेकर सवाल पूछे।
दिल्ली भाजपा के मीडिया प्रमुख श्री प्रवीण शंकर कपूर ने प्रवक्ता श्री शुभेन्दु शेखर अवस्थी एवं श्री विक्रम की उपस्थिती में पत्रकार सम्मेलन का संचालन किया और कहा की अरविंद केजरीवाल हों या मनीष सिसोदिया की 2020-21 से 2023-24 के बीच में इनकी असमान्य आय और कर्ज मिलने के स्रोत सब संदिग्ध हैं। हम आरोप नही लगा रहे केवल दिल्ली वालों की ओर से स्पष्टीकरण मांग रहे हैं।
श्री वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा की भाजपा ने दो दिन पहले जन जिज्ञासा का सवाल उठाया था की आखिर कैसे मुमकिन है की एक मुख्य मंत्री अपनी बेसिक आमदनी से भी कम का आयकर रिटर्न दाखिल करता है पर अरविंद केजरीवाल ने उस पर जवाब देना जरूरी नही समझा, जवाब दें भी तो कैसे क्योंकि वह जानते हैं की उनके आयकर रिटर्न के आंकड़ें संदेह तो उत्पन्न करते हैं और हम आज फिर से अरविंद केजरीवाल से सवाल पूछते हैं की आखिर यह कैसे मुमकिन है की गत दशक में आपके आयकर रिटर्नों में दिखाई आय आपके मूल वेतन से भी कम है पर शराब नीति बनने वाले कोविड़ वर्ष में 40 गुणा बढ़ गई थी ?
श्री वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा है की अभी हम समझ ही रहे थे की आखिर कैसे एक सेवानिवृत्त आयकर अधिकारी एवं मुख्य मंत्री की आय दिल्ली वालों की पर-केपिटा आय से भी कम हो सकती है तो तभी हमारी मीडिया टीम ने हमारा ध्यान केजरीवाल के नम्बर 2 मनीष सिसोदिया के हलाफनामे की ओर दिलाया जिसमें सिसोदिया पर कर्ज के आंकड़े हर नागरिक के मन में सैकड़ों सवाल खड़े करता हैं।
दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष ने कहा है की आजकल बच्चों की उच्च शिक्षा के लिये मां बाप द्वारा कर्ज लेना सामान्य बात है पर मनीष सिसोदिया के मामले में यह शिक्षा कर्ज लेना असामान्य बात है और अनेक प्रश्न खड़े करता है। साधारणता हम सब बच्चों का शिक्षा कर्ज बैंक से लेते हैं पर मनीष सिसोदिया व्यपारिक लोगों से लेते हैं।
श्री वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा है की मनीष सिसोदिया का चुनाव हलाफनामा बहुत कुछ बोलता है, वह बताता है की सिसोदिया हम आम लोगों की ही तरह फिक्स्ड डिपॉजिट बचत तो बैंक में करते हैं पर जब कर्ज लेने की जरूरत पड़ती है तो उनके पास ऐसे ऐसे मित्र हैं जो उन्हे लाखों रूपये के कर्ज दे देते हैं, वो भी दीर्घकालीन।
मनीष सिसोदिया के रिटर्न अनुसार हर सामान्य नागरिक की ही तरह सिसोदिया भी सरकारी बैंकों में करना पसंद करते हैं जैसे बैंक आफ बड़ोदा, शकरपुर में उनके पास 14 लाख की फिक्स्ड डिपॉजिट है तो पंजाब नेशनल बैंक साहिबाबाद में 19 लाख 97 हजार का फिक्स्ड डिपॉजिट है। किसी मध्यम वर्गीय परिवार की ही तरह उनके जमा पूंजी आंकड़े सामान्य हैं पर जब हम मनीष सिसोदिया के ऊपर शिक्षा कर्ज का आंकड़ा देखते हैं तो लगता है की यह तो हेर फेर का मामला हो सकता है।
मनीष सिसोदिया के दायर हलाफनामा बताता है की उन पर अपने बेटे की विदेश शिक्षा का 1.5 करोड़ रूपए का कर्ज है — यहां तक भी चलो सामान्य लगता है — पर यहीं से सब असमान्य हो जाता है।
दो सवाल यह भी हैं की केजरीवाल-सिसोदिया ने कर्ज क्यों लिए किसी सरकारी योजना का भी लाभ ले सकते थे और साथ ही बतायें वो तो दिल्ली में बड़े विश्वविद्यालयों की बात करते हैं तो फिर पुत्र को विदेश पढ़ने क्यों भेजा। हमे विदेश में पढ़ने पर आपत्ति नही केवल जिज्ञासा प्रश्न है।
हम और आप बच्चों का शिक्षा का दीर्घकालीन कर्ज बैंक से लेते हैं मनीष सिसोदिया को उनके तीन परिचित 1.5 करोड़ का कर्ज देते हैं वह कभी शराब पॉलिसी के दौर में। यह असामान्य है और मनीष सिसोदिया से जवाब मांगता है।
श्री वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा है की दिल्ली की जनता जानना चाहती है की मनीष सिसोदिया के वह 3 मित्र रोमेश चंद मित्तल, मिस दीपाली एवं श्री गुणित अरोड़ा कौन हैं जिन्होंने 86 लाख, 10 लाख एवं 58 लाख के पुत्र शिक्षा कर्ज सिसोदिया को शराब नीति विवादकाल में दिए हैं ?
अधिवक्ता एवं सांसद सुश्री बांसुरी स्वराज ने कहा है की अरविंद केजरीवाल एवं मनीष सिसोदिया पारदर्शिता की राजनीति की बात करते हैं पर उनके चुनाव हलाफनामे उन्हे कटघरे में खड़ा करते हैं।
सांसद सुश्री बांसुरी स्वराज ने कहा है की केजरीवाल एवं सिसोदिया समझ लें की चुप रहने से बात नही बनेगी, उन्हे बताना होगा की केजरीवाल की आय इतनी कम कैसे और सिसोदिया को बताना होगा की उन्होने बैंक छोड़कर व्यक्तियों से कर्ज क्यों लिया और यह 3 कर्ज मित्र कौन हैं।