
उत्तराखंड डेस्क
उत्तराखंड में आज, 24 जुलाई को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण का मतदान 12 जिलों के 49 विकासखंडों में हो रहा है। इस चरण में 26 लाख से अधिक मतदाता 17,829 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे।
पहले चरण में कहां-कहां मतदान ?
पहले चरण में गढ़वाल मंडल के 6 जिलों के 26 और कुमाऊं मंडल के 6 जिलों के 23 विकासखंडों में मतदान हो रहा है। 5,823 मतदान केंद्रों पर 26 लाख से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 5,318 पोलिंग पार्टियां तैनात की गई हैं, जो बुधवार देर शाम तक अपने गंतव्य पर पहुंच चुकी थीं। 948 ग्राम पंचायत सदस्यों के लिए 2,247 उम्मीदवार और 3,393 ग्राम पंचायत प्रधान पदों के लिए 9,731 उम्मीदवार मैदान में हैं। हरिद्वार जिले को छोड़कर, शेष 12 जिलों में दो चरणों में मतदान हो रहा है। दूसरा चरण 28 जुलाई को होगा, और मतगणना 31 जुलाई को होगी।
सीएम धामी की लोगों से अपील
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खटीमा के नगला तराई प्राथमिक विद्यालय मतदान केंद्र पर अपनी मां के साथ मतदान किया। उन्होंने मतदाताओं से भारी संख्या में मतदान करने की अपील की, इसे लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने का संकल्प बताया। धामी ने कहा, “अधिक से अधिक संख्या में मतदान केंद्र पहुंचें और अपने मताधिकार का प्रयोग करें। अपने मत से ऐसे योग्य, जागरूक और जनसेवा के प्रति समर्पित प्रतिनिधियों का चयन करें, जो आपकी आवाज को मजबूती से उठाएं और ग्रामीण विकास की नींव को सशक्त बनाएं।”
उन्होंने यह भी कहा कि भीषण गर्मी के बावजूद लोगों में मतदान के लिए उत्साह है, जो एक शुभ संकेत है। धामी ने भाजपा की विचारधारा को समर्थन देने और ग्रामीण क्षेत्रों में भी भाजपा की सरकार बनाने की उम्मीद जताई।
राज्य निर्वाचन आयोग ने सुचारु और निष्पक्ष मतदान के लिए व्यापक व्यवस्थाएं की हैं। 1,240 मतदान कर्मियों को तैनात किया गया है, और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कड़े सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं। बारिश की स्थिति में मतदान के लिए प्लान बी तैयार है।
क्या है चुनाव का महत्व ?
पंचायत चुनाव ग्रामीण विकास और लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। सीएम धामी ने इसे “सशक्त पंचायतें, सशक्त उत्तराखंड” का आधार बताया।
पहले चरण के लिए प्रचार का शोर 22 जुलाई शाम 5 बजे थम गया था, जिसके बाद प्रत्याशी केवल डोर-टू-डोर प्रचार कर सकते थे। पहले की योजना के अनुसार, पंचायत चुनाव 10 और 15 जुलाई को होने थे, लेकिन हाई कोर्ट ने आरक्षण संबंधी अनिश्चितता के कारण इस पर रोक लगा दी थी। बाद में नई अधिसूचना के तहत 24 जुलाई को पहले चरण का मतदान तय हुआ। यह चुनाव उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में लोकतांत्रिक भागीदारी और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।