
स्पेशल डेस्क
प्रकाश मेहरा की किताब दरअसल इस बात की पड़ताल करती है कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किस-किस रूप में बाधित हुई है, परस्पर संवाद और सार्थक बहस की गुंजाइश कैसे कम हुई है ? कैसे हम निष्पक्ष बन सकते हैं ?
प्रकाश मेहरा की ‘वे टू जर्नलिज्म’ छपी किताब बीते साल में अंग्रेजी में देश विदेशों में लाखों पत्रकारों ने खूब पढ़ी और सराही गई है जैसे-लंदन,कनाडा,अमेरिका आदि। अब तक यह किताब हिंदी में भी प्रकाशित होने जा रही है. अब इसका परिवर्द्धित संस्करण इसी अप्रैल माह में हिंदी यानी अपनी मूल भाषा में ‘वे टू जर्नलिज्म’ नाम से आ रहा है. उन बहुत सारे पत्रकारों, पाठकों की प्रतीक्षा अब समाप्त होने वाली है जो नियमित तौर पर इस बारे में पूछताछ करते रहे. वे चाहें तो किताब की प्रि-बुकिंग अब करा सकते है।

प्रकाश मेहरा की ‘वे टू जर्नलिज्म’ किताब दरअसल इस बात की पड़ताल करती है कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किस-किस रूप में बाधित हुई है, परस्पर संवाद और सार्थक बहस की गुंजाइश कैसे कम हुई है और इससे देश में नफ़रत और असहिष्णुता को कैसे बढ़ावा मिला है। कैसे जनता के चुने हुए प्रतिनिधि, मीडिया और अन्य संस्थान एक मजबूत लोकतंत्र के रूप में हमें विफल कर रहे हैं। कैसे हम निष्पक्षता दिखाएं ? कैसे हम आम जनसमस्याओं को निष्पक्ष रहें ? इन स्थितियों से उबरने की राह खोजती यह किताब हमारे वर्तमान समय का वह दस्तावेज है जो स्वस्थ लोकतंत्र के हर हिमायती के लिए संग्रहणीय है।