
स्पेशल डेस्क
उत्तर प्रदेश के पंचायती राज विभाग द्वारा जारी एक विवादास्पद आदेश ने बड़ा बवाल खड़ा किया, जिसमें ग्राम सभा की जमीनों से अवैध कब्जे हटाने के लिए विशेष रूप से यादव जाति और मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया था। इस आदेश के वायरल होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने त्वरित और सख्त कार्रवाई की। आइए, पूरी घटना को विस्तार में एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
कहां से हुई मामले की शुरुआत !
पंचायती राज विभाग के संयुक्त निदेशक एस.एन. सिंह ने 29 जुलाई को एक आदेश जारी किया, जिसमें प्रदेश की 57,691 ग्राम पंचायतों में ग्राम सभा की जमीनों, तालाबों, खलिहानों, खेल मैदानों, श्मशान भूमि और पंचायत भवनों से अवैध कब्जे हटाने का निर्देश दिया गया। इस आदेश में विशेष रूप से यादव जाति और मुस्लिम समुदाय द्वारा किए गए कथित कब्जों का उल्लेख था, जो एक बीजेपी किसान नेता विवेक कुमार श्रीवास्तव के 6 जुलाई को मुख्यमंत्री को लिखे पत्र पर आधारित था।इसके बाद, बलिया के जिला पंचायत राज अधिकारी अवनीश कुमार श्रीवास्तव ने 2 अगस्त को सभी ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर्स (BDOs) को इस आदेश के अनुपालन में अभियान चलाने का निर्देश दिया। यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद तीखी प्रतिक्रिया और आलोचना शुरू हुई।
आदेश में क्या था विवादास्पद ?
आदेश में ग्राम सभा की संपत्तियों से अवैध कब्जे हटाने की बात तो सामान्य थी, लेकिन इसमें यादव और मुस्लिम समुदायों को विशेष रूप से टारगेट करने का उल्लेख था। यह भाषा संविधान के अनुच्छेद 14 और 15, जो समानता और भेदभाव के खिलाफ सुरक्षा की गारंटी देते हैं, के विरुद्ध मानी गई। सोशल मीडिया और विपक्षी दलों, खासकर समाजवादी पार्टी (सपा) और भीम आर्मी, ने इसे जातिवादी और सांप्रदायिक करार देते हुए सरकार पर हमला बोला। सपा ने इसे संविधान विरोधी और सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने की साजिश बताया, जबकि भीम आर्मी के चंद्रशेखर ने इसे गैर-संवैधानिक और राजनीति से प्रेरित ठहराया।
मुख्यमंत्री योगी का सख्त एक्शन
मामले के तूल पकड़ने और सोशल मीडिया पर हंगामे के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तत्काल संज्ञान लिया। उन्होंने इस आदेश को “पूर्णतः भेदभावपूर्ण और अस्वीकार्य” करार देते हुए निम्नलिखित कार्रवाइयाँ कीं:आदेश रद्द सीएम ने आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने का निर्देश दिया, इसे संविधान की भावना और शासन की नीतियों के खिलाफ बताया।
आदेश जारी करने वाले पंचायती राज विभाग के संयुक्त निदेशक एस.एन. सिंह को तत्काल निलंबित कर दिया गया। सीएम ने इसे गंभीर प्रशासनिक चूक माना। योगी ने अधिकारियों को चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसी भाषा या सोच, जो सामाजिक समरसता को प्रभावित करे, बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि अवैध कब्जों के खिलाफ कार्रवाई निष्पक्षता, तथ्यों और कानून के आधार पर होनी चाहिए, न कि जाति या धर्म के आधार पर।
सामाजिक समरसता पर जोर
सीएम ने कहा कि “उनकी सरकार सामाजिक न्याय, समरसता और सभी के समान अधिकारों के प्रति प्रतिबद्ध है। नीतियाँ किसी समुदाय या वर्ग के प्रति पूर्वाग्रह से प्रेरित नहीं हो सकतीं।”
सपा प्रमुख अखिलेश यादव और प्रवक्ता मनोज राय धूपचंडी ने इस आदेश को बीजेपी सरकार की विभाजनकारी नीतियों का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि यह “सबका साथ, सबका विकास” के नारे के खिलाफ है। चंद्रशेखर ने मांग की कि दोषी अधिकारियों पर न केवल निलंबन, बल्कि FIR और सेवा से बर्खास्तगी की कार्रवाई हो।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया
बलिया के जिला पंचायत राज अधिकारी अवनीश कुमार ने माना कि उन्होंने शासन के आदेश के आधार पर पत्र जारी किया था, लेकिन यह गलती से हुआ क्योंकि निरस्तीकरण का आदेश उन तक नहीं पहुंचा था। पंचायती राज निदेशक ने इस मामले से पल्ला झाड़ लिया और दोष संयुक्त निदेशक एस.एन. सिंह पर डाल दिया, जिन्होंने अपने स्तर पर यह आदेश जारी किया था।
राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ने का खतरा
यह घटना उत्तर प्रदेश की संवेदनशील सामाजिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण है। यादव और मुस्लिम समुदाय उत्तर प्रदेश में बड़े वोट बैंक हैं, और इस तरह के आदेश से सामाजिक तनाव और राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ने का खतरा था। सपा ने इसे बीजेपी की गैर-यादव और गैर-मुस्लिम वोटों को मजबूत करने की रणनीति के रूप में देखा, जबकि योगी सरकार ने त्वरित कार्रवाई कर इस धारणा को खारिज करने की कोशिश की।
विवादास्पद आदेश को रद्द किया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई कर न केवल विवादास्पद आदेश को रद्द किया, बल्कि संबंधित अधिकारी को निलंबित कर यह संदेश दिया कि उनकी सरकार संविधान और सामाजिक समरसता के प्रति प्रतिबद्ध है। यह घटना प्रशासनिक जवाबदेही और निष्पक्षता के महत्व को रेखांकित करती है। भविष्य में ऐसी गलतियों से बचने के लिए योगी ने अधिकारियों को संवैधानिक मूल्यों और प्रशासनिक मर्यादा का पालन करने की सख्त हिदायत दी है।