
स्पेशल डेस्क
कर्मचारी चयन आयोग (SSC) की परीक्षाओं से संबंधित हालिया विवाद, विशेष रूप से 2025 में SSC Selection Post Phase 13 परीक्षा के दौरान, कई मुद्दों जैसे तकनीकी खामियों, परीक्षा रद्द होने, और केंद्र प्रबंधन में गड़बड़ियों के कारण चर्चा में हैं। इस विषय पर विस्तृत जानकारी दी गई है, जिसमें यह बताया गया है कि SSC के प्रश्न पत्र कौन बनाता है, वे परीक्षा केंद्रों तक कैसे पहुंचते हैं, और विवाद के प्रमुख बिंदु क्या हैं।
SSC प्रश्न पत्र कौन बनाता है ?
SSC चेयरमैन एस. गोपालकृष्णन ने स्पष्ट किया है कि “प्रश्न पत्र SSC द्वारा ही तैयार किए जाते हैं। बाहरी एजेंसियों जैसे Eduquity या TCS का इसमें कोई योगदान नहीं है। Eduquity जैसी एजेंसियों को केवल परीक्षा आयोजन (conducting) और लॉजिस्टिक्स का जिम्मा दिया गया है, न कि प्रश्न पत्र बनाने या केंद्र आवंटन का।
SSC ने 2025 में एक AI-आधारित सिस्टम लागू किया है, जो एक विशाल प्रश्न बैंक से प्रश्नों का चयन करता है। यह सिस्टम Cubastion Consulting द्वारा विकसित किया गया है, जो प्रश्न पत्र को वास्तविक समय में तैयार करता है, ताकि पेपर लीक की संभावना कम हो और प्रश्नों की गुणवत्ता बनी रहे। यह सिस्टम “zero-trust” मॉडल पर आधारित है, जिसमें हर प्रक्रिया की सत्यापन आवश्यकता होती है।
पहले की प्रक्रिया
पहले, Tata Consultancy Services (TCS) पूरी प्रक्रिया (प्रश्न पत्र निर्माण से लेकर आयोजन तक) को संभालती थी। लेकिन 2024 में, सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के आधार पर, SSC ने कार्यों को विभिन्न एजेंसियों के बीच विभाजित किया।
प्रश्न पत्र परीक्षा केंद्रों तक कैसे पहुंचते हैं ?
SSC के अनुसार, प्रश्न पत्र डिजिटल रूप से तैयार किए जाते हैं और परीक्षा शुरू होने से केवल 15 मिनट पहले केंद्रों पर उपलब्ध कराए जाते हैं। यह AI-संचालित सिस्टम द्वारा संभव हुआ है, जो वास्तविक समय में प्रश्न पत्र की संरचना को अंतिम रूप देता है।
प्रश्न पत्रों को डिजिटल रूप से एन्क्रिप्ट किया जाता है और सुरक्षित सर्वर के माध्यम से केंद्रों तक भेजा जाता है। “Zero-trust” साइबरसुरक्षा मॉडल का उपयोग होता है, जिसमें हर एक्सेस को सत्यापित किया जाता है। पहले के समय में, जब पेपर आधारित परीक्षाएं होती थीं, प्रश्न पत्रों को प्रिंटिंग प्रेस से कस्टडी सेंटर तक सशस्त्र पुलिस और बोर्ड अधिकारियों की निगरानी में भेजा जाता था, और परीक्षा शुरू होने से एक घंटे पहले सील खोली जाती थी।
अब, डिजिटल सिस्टम के कारण, प्रश्न पत्र सीधे परीक्षा केंद्रों के सर्वर पर पहुंचते हैं, और तकनीकी खामियों को कम करने के लिए फायरवॉल और अन्य सुरक्षा उपायों का उपयोग किया जाता है।
SSC Phase 13 परीक्षा विवाद (2025)
2025 में SSC Selection Post Phase 13 परीक्षा (24 जुलाई से 1 अगस्त) के दौरान कई अनियमितताओं की शिकायतें सामने आईं, जिनके कारण देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हुए। प्रमुख मुद्दे निम्नलिखित हैं तकनीकी खामियां:कई केंद्रों पर सर्वर क्रैश, माउस और मॉनिटर की खराबी, और अपूर्ण प्रश्नों की शिकायतें थीं। उदाहरण के लिए, बिहार के गया में माउस के बार-बार क्लिक न करने और बिजली कटौती की समस्याएं सामने आईं। कुछ केंद्रों पर परीक्षा शुरू होने में देरी हुई, जैसे दिल्ली में एक केंद्र पर 9:30 बजे शुरू होने वाली परीक्षा 10:30 बजे शुरू हुई।
परीक्षा रद्द होना
कई केंद्रों, जैसे Pawan Ganga Educational Centre और Educasa International Hubballi, में तकनीकी और प्रशासनिक कारणों से परीक्षाएं रद्द कर दी गईं। छात्रों को बिना पूर्व सूचना के रद्द होने की जानकारी दी गई, जिससे यात्रा और आवास पर खर्च करने वाले उम्मीदवारों को नुकसान हुआ।
उम्मीदवारों को उनके चुने हुए स्थानों से 400-500 किमी दूर केंद्र आवंटित किए गए। उदाहरण के लिए, जयपुर के छात्रों को अंडमान और निकोबार भेजा गया। कुछ छात्रों ने शिकायत की कि केंद्र दूरस्थ या असुरक्षित स्थानों पर थे।
क्या है Eduquity की भूमिका ?
SSC ने 2024 में TCS की जगह Eduquity को परीक्षा आयोजन का ठेका दिया, जिसे कम लागत (₹171 प्रति उम्मीदवार) के कारण चुना गया। Eduquity की पहले कथित तौर पर Vyapam घोटाले में संलिप्तता के कारण आलोचना हुई। छात्रों और शिक्षकों ने इसे “काली सूची में शामिल” कंपनी बताया। हालांकि, SSC चेयरमैन ने दावा किया कि Eduquity की भूमिका केवल आयोजन तक सीमित है, और तकनीकी समस्याएं शुरुआती दौर की थीं।
कुछ केंद्रों पर बाउंसरों की उपस्थिति की शिकायतें थीं, जिन्हें छात्रों ने उत्पीड़न का कारण बताया। SSC चेयरमैन ने इसे गलत माना और सुधार की बात कही। छात्रों ने दावा किया कि Phase 13 परीक्षा में प्रश्न गलत थे और कुछ प्रश्न दोहराए गए थे। हालांकि, SSC ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि 2018 के बाद कोई पेपर लीक नहीं हुआ।
विरोध प्रदर्शन और मांगें
दिल्ली के जंतर-मंतर पर “दिल्ली चलो” अभियान के तहत हजारों छात्रों और शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन किया। Eduquity के ठेके की समीक्षा या रद्द करना। स्वतंत्र जांच और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया। तकनीकी खामियों और केंद्र प्रबंधन में सुधार। 31 जुलाई को दिल्ली में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने कार्रवाई की, जिसमें कुछ शिक्षक और छात्र घायल हुए और FIR दर्ज की गई।
SSC ने ₹100 की आंसर की चैलेंज फीस वापस करने का फैसला किया। प्रभावित उम्मीदवारों को उसी शहर में पुनः परीक्षा का मौका देने का वादा किया गया। Ernst & Young (EY) को ऑडिट एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया।
पेपर लीक के दावे SSC का दावा
चेयरमैन गोपालकृष्णन ने कहा कि “2018 के बाद कोई पेपर लीक नहीं हुआ। हाल के दावों को “आधारहीन” बताया गया। 2018 में SSC पेपर लीक कांड की खबरें थीं, जिसके बाद CBI ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया था। सोशल मीडिया पर #SSCMisManagement ट्रेंड के साथ छात्रों ने पेपर लीक और दोहराए गए प्रश्नों के दावे किए, लेकिन SSC ने इन्हें खारिज किया।
सुधार के लिए SSC की योजना
SSC ने आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन शुरू किया, जिससे कुछ उम्मीदवारों को आवेदन और सत्यापन में दिक्कत हुई। SSC इसे सुधारने पर काम कर रहा है। SSC ने भविष्य में ऐसी समस्याओं को रोकने के लिए तकनीकी और प्रशासनिक सुधारों की योजना बनाई है। SSC ने आधिकारिक नोटिफिकेशन और वेबसाइट के माध्यम से उम्मीदवारों को नियमित अपडेट देने का वादा किया है।
SSC की परीक्षाओं में हाल के विवादों ने इसकी प्रक्रिया और विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। प्रश्न पत्र SSC द्वारा ही तैयार किए जाते हैं, और AI-संचालित सिस्टम के माध्यम से 15 मिनट पहले केंद्रों पर भेजे जाते हैं। Eduquity की भूमिका केवल आयोजन तक सीमित है, लेकिन इसकी नियुक्ति और तकनीकी खामियों ने विवाद को जन्म दिया। SSC ने सुधारों का वादा किया है, लेकिन छात्रों का गुस्सा और मांगें दर्शाती हैं कि पारदर्शिता और प्रबंधन में अभी और सुधार की जरूरत है।