
स्पेशल डेस्क
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की बिगड़ती स्थिति के खिलाफ 23 नवंबर को इंडिया गेट के पास सी-हेक्सागन क्षेत्र में एक बड़ा प्रदर्शन हुआ। यह प्रदर्शन शुरू में पर्यावरणीय मुद्दों पर केंद्रित था, लेकिन जल्द ही हिंसक हो गया और माओवादी नेता माधवी हिड़मा के पोस्टरों व नारों के कारण राष्ट्रीय स्तर पर विवाद खड़ा हो गया। प्रदर्शनकारियों ने प्रदूषण के खिलाफ नीतिगत कार्रवाई की मांग की, लेकिन पुलिस से झड़प, मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल और माओवादी समर्थन ने इसे राजनीतिक व सुरक्षा संबंधी मुद्दे में बदल दिया।
प्रदर्शन का कारण और स्थिति
23 नवंबर को दिल्ली का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 391 तक पहुंच गया था, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। 19 निगरानी स्टेशनों पर AQI ‘गंभीर’ स्तर (300 से ऊपर) दर्ज किया गया। प्रदर्शनकारी सरकार से ठोस कदमों की मांग कर रहे थे, जैसे खनन, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और अन्य जड़ कारणों पर नियंत्रण। यह प्रदर्शन नवंबर में हुए पहले प्रदर्शनों (9-10 नवंबर) का हिस्सा था, जब AQI 400 को पार कर गया था। आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस नेताओं ने भी इनमें भाग लिया था।
प्रदर्शनकारियों की मांगें
दिल्ली क्लीन एयर कोऑर्डिनेशन कमिटी जैसे संगठनों ने इसे ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल’ बताया। उन्होंने केंद्र सरकार पर 10 महीनों से कोई कदम न उठाने का आरोप लगाया और एनसीआर के मुख्यमंत्रियों व पर्यावरण मंत्रियों की आपात बैठक की मांग की। AAP प्रवक्ता प्रियंका काकर ने कहा कि सरकार लोगों के स्वास्थ्य के साथ ‘धोखा’ कर रही है।
कैसे बिगड़ा प्रदर्शन और कैसे शुरुआत
शाम को सैकड़ों प्रदर्शनकारी इंडिया गेट के पास इकट्ठा हुए। वे नारे लगाते हुए प्रदूषण के खिलाफ जागरूकता फैला रहे थे। दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाने का प्रयास किया, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार दिल्ली में प्रदर्शन केवल जंतर-मंतर पर ही अनुमत हैं, न कि इंडिया गेट पर। पुलिस ने एम्बुलेंस और मेडिकल स्टाफ के लिए आपातकालीन पहुंच सुनिश्चित करने का हवाला दिया। प्रदर्शनकारी सी-हेक्सागन क्षेत्र में चले गए, बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की और सड़क पर बैठ गए। पुलिस की चेतावनी नजरअंदाज करने पर स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
हिंसा का दौर
प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़े और कथित तौर पर पुलिसकर्मियों पर मिर्च स्प्रे (चिली पाउडर) का इस्तेमाल किया। इससे 3-4 पुलिसकर्मी घायल हुए, जिनकी आंखों व चेहरे पर स्प्रे का असर हुआ। उन्हें राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल में उपचार दिया गया। दिल्ली पुलिस के डीसीपी (नई दिल्ली) देवेश कुमार महला ने इसे ‘अभूतपूर्व’ बताया, क्योंकि प्रदर्शन में पहली बार प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल किया। पुलिस ने पेपर स्प्रे का उपयोग किया और प्रदर्शनकारियों को हटाया ताकि ट्रैफिक बाधित न हो। प्रदर्शन को शांत करने के बाद सभी को बिखेर दिया गया।
माओवादी पोस्टर और नारेमाधवी हिड़मा कौन ?
हिड़मा एक शीर्ष माओवादी कमांडर थे, जिन्हें पिछले सप्ताह (नवंबर 2025 के मध्य) आंध्र प्रदेश में पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया। वे नक्सली संगठन पीपुल्स लिबरेशन गोरिल्ला आर्मी (PLGA) के प्रमुख नेता थे, जो वनों व पर्यावरणीय मुद्दों पर सशस्त्र संघर्ष चला रहे थे। प्रदर्शन के दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने हिड़मा के पोस्टर लहराए और “माधवी हिड़मा अमर रहे” जैसे नारे लगाए। एक प्रमुख पोस्टर पर लिखा था: “बिरसा मुंडा से माधवी हिड़मा तक, हमारे जंगलों और पर्यावरण की लड़ाई जारी रहेगी”।
बिरसा मुंडा एक आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्हें वन अधिकारों व पर्यावरण संरक्षण से जोड़ा जाता है प्रदर्शनकारियों ने हिड़मा को पर्यावरणीय संघर्ष का प्रतीक बताया, जो आदिवासी व वन-आधारित समुदायों के खिलाफ शोषण के विरुद्ध लड़ रहे थे।
क्यों बढ़ा विवाद ?
यह पर्यावरणीय प्रदर्शन को माओवादी विचारधारा से जोड़ने के कारण भड़का। सरकार व पुलिस ने इसे ‘देश-विरोधी’ करार दिया, जबकि प्रदर्शनकारी इसे दमन का आरोप लगाया। पुलिस ने पोस्टरों की जांच शुरू की कि वे कहां से आए और कौन बांट रहा था। इसने प्रदर्शन को ‘नक्सली प्रचार’ का रूप दे दिया, जिससे राजनीतिक बहस छिड़ गई।
गिरफ्तारियां और कानूनी कार्रवाई
रिपोर्टों में भिन्नता है – कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार 15 से अधिक, जबकि अन्य स्रोतों में 22 गिरफ्तारियां बताई गईं।गिरफ्तारियां अस्वीकृति, सड़क अवरुद्ध करने, सरकारी काम में बाधा और मिर्च स्प्रे इस्तेमाल के लिए की गईं। दिल्ली पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं के तहत FIR दर्ज की, जिसमें सरकारी काम में बाधा, हिंसा और माओवादी नारों पर कार्रवाई शामिल है। माओवादी समर्थन वाले लोगों की अलग से जांच होगी।
प्रशासन ने क्या दी प्रतिक्रिया ?
डीसीपी महला ने कहा, “प्रदर्शनकारियों को एम्बुलेंस के रास्ते की चेतावनी दी गई, लेकिन उन्होंने नजरअंदाज किया। माओवादी नारों पर सख्त कार्रवाई होगी।” दिल्ली क्लीन एयर कमिटी ने कहा, “प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। सरकार खनन व इंफ्रास्ट्रक्चर पर असफल रही और असहमति को दबा रही है।”
AAP की प्रियंका काकर ने केंद्र पर निष्क्रियता का आरोप लगाया और आपात बैठक की मांग की। यह घटना प्रदूषण संकट को राजनीतिक रंग दे रही है, जहां पर्यावरणीय चिंता को सुरक्षा मुद्दों से जोड़ा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि “दिल्ली का AQI लगातार खराब होने से ऐसे प्रदर्शन बढ़ेंगे, लेकिन हिंसा व राजनीतिक हस्तक्षेप उन्हें जटिल बना देंगे।”