Written by– Sakshi Srivastava
ज्योतिष शास्त्र में भद्रा को शुभ नहीं माना जाता, और कहा जाता है कि यह शुभ कार्यों में बाधा उत्पन्न कर सकती है। इस वर्ष, करवा चौथ 20 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा, जिसमें भद्रा का साया सुबह 06:24 से 06:46 तक रहेगा।
पूजा का शुभ समय
- भद्रा काल: सुबह 06:24 से 06:46 तक
- पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 5:46 बजे से 7:02 बजे तक व्रत की शुरुआत
करवा चौथ व्रत की शुरुआत भद्रा काल शुरू होने से पूर्व हो जाएगी। व्रती महिलाओं को चाहिए कि सूर्योदय से पहले स्नान करके सरगी ग्रहण कर व्रत का संकल्प लें। इस तरह, महिलाएं भद्रा के प्रभाव से बचते हुए अपने उपवास और पूजा को सही समय पर कर सकती हैं। करवा चौथ का यह पर्व प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।
करवा चौथ व्रत के दौरान न करें ये काम
करवा चौथ का व्रत प्रेम और समर्पण का प्रतीक है, और इसे मनाते समय कुछ कार्यों से बचना चाहिए:
- सफेद और काला रंग: श्रृंगार में सफेद और काले रंग की वस्तुओं का प्रयोग न करें, क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकते हैं।
- भद्रा काल में कार्य: भद्रा काल के दौरान संपत्ति या व्यापार की शुरुआत न करें।
- धारदार चीजों का उपयोग: धारदार चीजों का प्रयोग करने से बचें, जैसे चाकू या कैंची।
- मनमुटाव: किसी से भी मनमुटाव न रखें और अपशब्द न कहें।
- श्रृंगार की वस्तुओं का नाश: पूजा के बाद बची हुई श्रृंगार की वस्तुओं को इधर-उधर न फेंकें, बल्कि पवित्र नदी में प्रवाहित करें।
- तामसिक भोजन: व्रत पारण के बाद तामसिक भोजन से दूर रहें।
इन नियमों का पालन करके आप करवा चौथ को सही तरीके से मनाने और अपने जीवन में सकारात्मकता बनाए रखने में सफल हो सकती हैं।
करवा चौथ व्रत के दौरान महिलाएं करें ये काम
करवा चौथ के दिन विवाहित महिलाएं विशेष कार्य करके इस पर्व को और भी महत्वपूर्ण बना सकती हैं:
- सरगी का सेवन: सूर्योदय से पहले सरगी का सेवन करें, जिसमें मीठे और पौष्टिक खाद्य पदार्थ शामिल हों।
- पूजा की तैयारी: करवा माता, भगवान गणेश और चंद्रमा की विधिपूर्वक पूजा के लिए आवश्यक सामग्री तैयार करें।
- स्नान और श्रृंगार: सुबह स्नान करें और विशेष परिधान पहनकर खुद को सजाएं।
- व्रत का संकल्प: व्रत का संकल्प लें और अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करें।
- समय का ध्यान: पूजा का शुभ समय ध्यान में रखें और सही समय पर पूजा करें।
- शांति और प्रेम: पूरे दिन शांति और प्रेम बनाए रखें। किसी से मनमुटाव से बचें।
- श्रृंगार की वस्तुएं: पूजा के बाद बची हुई श्रृंगार की वस्तुओं को पवित्र नदी में प्रवाहित करें।
- पारण: चाँद निकलने के बाद अपने पति के हाथों से पानी पीकर व्रत का पारण करें।
इन कार्यों के माध्यम से महिलाएं करवा चौथ को सही तरीके से मनाने और अपने जीवन में सकारात्मकता लाने में सफल हो सकती हैं।
भद्रा का भय दूर करने के लिए मंत्र
हालांकि करवा चौथ की पूजा के समय भद्रा नहीं होती, फिर भी यदि महिलाओं को भद्रा का भय सता रहा है, तो वे निम्नलिखित मंत्र का जाप कर सकती हैं:
मंत्र:
धन्या दधमुखी भद्रा महामारी खरानना। कालारात्रिर्महारुद्रा विष्टिश्च कुल पुत्रिका। भैरवी च महाकाली असुराणां क्षयन्करी। द्वादश्चैव तु नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्। न च व्याधिर्भवैत तस्य रोगी रोगात्प्रमुच्यते। गृह्यः सर्वेनुकूला: स्यर्नु च विघ्रादि जायते।
मंत्र का महत
- भद्रा का भय: इस मंत्र के जाप से भद्रा का भय कम होता है।
विवाहिक जीवन में बाधाएं: यह मंत्र वैवाहिक जीवन में आने वाली बाधाओं को समाप्त करने में सहायक होता है।
जाप की विधि
- सुबह उठकर इस मंत्र का जाप करें।
- ध्यान और श्रद्धा के साथ जाप करने से विशेष फल मिलते हैं।
इस मंत्र का नियमित जाप करने से मानसिक शांति और सकारात्मकता प्राप्त होती है, जिससे व्रत और पूजा का महत्व और बढ़ जाता है।