वेंडर एक्ट के मामले में दिल्ली नगर निगम और नई दिल्ली पालिका परिषद के डुलमुल रवैया पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सवाल उठाया है वही आपको बता दें सर्वे टाउन वेंडिंग कमेटी 2018 में 6 माह के लिए बनाई गई थी जिसमें टाउन वेंडिंग कमेटी को 6 माह में स्ट्रीट वेंडर्स का पूर्ण सर्वे करके कमेटी को भंग करना था लेकिन एजेंसीयों ने ऐसा नहीं किया है एजेंसीयों के अपने डुलमुल रवैया के कारण आज 7 वर्ष में सर्वे पूरा नहीं किया हैंवहीं हाई कोर्ट ने कहा कि यह अदालत नगर निकायों द्वारा सर्वे करने से लेकर टाउन बेंडिंग कमेटी टीवीसी के गठन करने को लेकर निष्कर्ष निकालने में एमसीडी एनडीएमसी की असफलता के कारण प्रतिदिन याचनाओं से घिरी रहती है ऐसे में स्ट्रीट वेंडर एक्ट से जुड़े मामले पर अब तक एमसीडी एनडीएमसी द्वारा उठाए गए कदमों की निगरानी की जरूरत न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा, न्यायमूर्ति धर्मेंद्र शर्मा, की पीठ ने कहा कि इसे लेकर आगे की कार्रवाई के लिए रोड मैप तैयार करना होगाक्योंकि इसमें किसी तरह के गतिरोध को जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है इन टिप्पणियों के साथ एमसीडी आयुक्त व एनडीएमसी चेयरमैन को 3 सप्ताह में विभिन्न बिंदुओं पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है वहीं अदालत ने कहा है की दोनों निकाय बताएं कि उनके क्षेत्र में कितने जोन हैं और उन में कितनी टीवीसी का गठन हो चुका है बाकी टीवीसी का गठन कितने समय में हो जाएगा वहीं अदालत ने यह भी पूछा कि अब तक कितने इलाकों का सर्वे किया जा चुका है और कितने स्ट्रीट वेंडर्स को आधार से जोड़ा जा चुका है इस निर्देश के साथ अदालत ने सुनवाई 23 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी है वहीं कोर्ट ने एमसीडी द्वारा दाखिल की गई रिपोर्ट को देखा इसमें कहा गया है कि 12 जून में अब तक 26 टीवीसी का गठन किया जा चुका हैवहीं अदालत ने कहा कि एमसीडी की रिपोर्ट में यह जानकारी नहीं दी गई कि बाकी जोन में टीवीसी गठित है या नहीं कोर्ट ने कहा कि स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के तहत वैधानिक कर्तव्यों के पूरा करने के संबंध में भी एमसीडी ने कोई जानकारी पेश नहीं की हैं वही एमसीडी की स्थिति रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए अदालत ने कहा कि इसमें 18 नवंबर 2024 को दिए गए आदेशों के अनुसार कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है वहीं अदालत विभिन्न स्ट्रीट वेंडर्स द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है
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