सरल न्यूज़: सिंधु नदी से जुड़े जल बंटवारे का नियम “सिंधु जल संधि” (Indus Waters Treaty) से तय होता है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुआ था। इस संधि के मुताबिक:
भारत को तीन पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास और सतलुज) का लगभग पूरा पानी इस्तेमाल करने का अधिकार मिला।
पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम और चिनाब) का ज्यादातर पानी मिला।
भारत सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का सिर्फ सीमित उपयोग (जैसे पीने का पानी, कृषि के कुछ काम और छोटे हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट) कर सकता है, लेकिन इन नदियों का बहाव रोकने या दिशा बदलने की उसे अनुमति नहीं है।
पानी छोड़े जाने के संदर्भ में:
भारत ने सीधे तौर पर सिंधु नदी का पानी पाकिस्तान के लिए कभी “मनमर्जी से रोका” या “खोला” नहीं।
जो सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान में बहता है, वह संधि के अनुसार स्वाभाविक प्रवाह से ही होता है। भारत हर साल इन नदियों का लगभग 80% से ज्यादा पानी पाकिस्तान को जाने देता है।
कई रिपोर्टों के अनुसार, भारत से करीब 135 मिलियन एकड़ फीट (MAF) पानी हर साल पाकिस्तान को मिलता है, जो सिंधु प्रणाली का बहाव है।
अगर आप चाहें, तो मैं 2024 या 2025 में भारत द्वारा सिंधु नदी पर पानी छोड़ने या रोके जाने की कोई खास घटना की भी जानकारी निकाल सकता हूँ।
क्या आप हाल की किसी घटना के बारे में पूछ रहे हैं?