Written by– Sakshi Srivastava
नरक चतुर्दशी का त्योहार हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन का विशेष महत्व है, और इसे कई धार्मिक मान्यताओं से जोड़ा जाता है।
नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। इसे कार्तिक मास की चौदहवीं तिथि को मनाया जाता है। इस दिन, मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन का उपवास और पूजा करने से व्यक्ति नरक के कष्टों से मुक्त हो सकता है और उसके पितरों को मोक्ष मिलता है।
छोटी दिवाली का महत्व:
नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह दिवाली महापर्व की शुरुआत का संकेत देता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा होती है, जिसमें लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।
इस दिन दीप जलाने की परंपरा भी होती है, जो अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है। इसे छोटे स्तर पर दीवाली मनाने के रूप में देखा जा सकता है, क्योंकि यह मुख्य दीवाली के त्योहार से पहले आता है और इसमें भी घरों को सजाने और परिवार के साथ समय बिताने का महत्व होता है।
इस प्रकार, छोटी दीपावली न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह खुशियों और एकता का भी प्रतीक है।
- यमराज की पूजा: इस दिन यमराज की विशेष पूजा की जाती है। श्रद्धालु अपने पूर्वजों के लिए दीयों और फूलों अर्पित करते हैं, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिले।
- परिवारिक एकता: यह पर्व परिवार के सदस्यों को एकत्रित करता है। लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ और उपहार देते हैं, जिससे आपसी प्रेम और एकता बढ़ती है।
- दीप जलाने की परंपरा: इस दिन लोग अपने घरों में दीप जलाते हैं, जो अंधकार को दूर कर प्रकाश फैलाने का प्रतीक होता है। यह दिवाली के मुख्य पर्व की तैयारियों का भी संकेत है।
- आध्यात्मिक सफाई: नरक चतुर्दशी को लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और नए वस्त्र पहनते हैं, जिससे वे आध्यात्मिक रूप से शुद्ध महसूस करते हैं।
इस प्रकार, नरक चतुर्दशी का पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह आत्मा की शांति और परिवार के बंधनों को मजबूत करने का भी अवसर प्रदान करता है।
इसका महत्व
- नरक से मुक्ति: मान्यता है कि इस दिन भगवान यमराज ने नरक में भेजे गए लोगों को मोक्ष दिया। इसलिए, इस दिन को नरक चतुर्दशी कहते हैं।
- पितरों की पूजा: इस दिन पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए उनका श्राद्ध किया जाता है। लोग अपने पूर्वजों की याद में दीप जलाते हैं।
- अंधकार से प्रकाश की ओर: छोटी दिवाली पर लोग दीप जलाकर अंधकार को मिटाते हैं। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
- दीप जलाने की परंपरा: इस दिन लोग अपने घरों में दीप जलाते हैं और घर को सजाते हैं। यह लक्ष्मी माता का स्वागत करने की तैयारी होती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: छोटी दिवाली के दिन घर में स्वच्छता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और मिठाइयां बांटते हैं।
कैसे मनाएं
- दीप जलाना: इस दिन शाम को घर के कोनों में दीप जलाएं।
- पितृ पूजा: अपने पितरों के लिए तर्पण करें।
- स्वच्छता: घर की सफाई करें और उसे सजाएं।
- मिठाइयां बांटें: दोस्तों और परिवार के साथ मिठाइयां बांटें।