Written by– Sakshi Srivastava
दिल्ली में वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे शहर के लोग परेशान हैं। हवा में घुली जहरीली धूल और धुएं के कारण कई लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में कठिनाई हो रही है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ने इस स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
दिल्ली में शनिवार सुबह का दृश्य काफी धुंधला था, और वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के पार पहुंचने से स्थिति गंभीर हो गई। यह प्रदूषण स्तर “खतरनाक” श्रेणी में आता है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति में लोगों को बाहर निकलने से बचना चाहिए, खासकर अस्थमा या सांस की समस्याओं से जूझ रहे लोगों को। बढ़ते प्रदूषण का असर न सिर्फ लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है, बल्कि यह जीवन की सामान्य गतिविधियों को भी प्रभावित कर रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) अत्यधिक खराब स्तर पर पहुंच गया है। जैसे कि आनंद विहार में AQI 393, मुंडका में 376, बवाना में 409, अशोक विहार में 382, आईटीओ में 357, और रोहिणी में 401 दर्ज किया गया है। इन क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक श्रेणी में है, जिससे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा या अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों से प्रभावित व्यक्तियों के लिए।
आनंद विहार, बवाना, रोहिणी और अन्य प्रभावित इलाकों में ऐसे प्रदूषण स्तर से लोगों को बाहर निकलने से बचने की सलाह दी जा रही है। इससे न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य और जीवन की सामान्य रफ्तार को भी प्रभावित कर सकता है। सरकार और संबंधित एजेंसियां स्थिति को नियंत्रित करने के लिए उपायों पर विचार कर रही हैं।
अब प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। बच्चे, बुजुर्ग और सांस की बीमारियों से ग्रस्त लोग खास तौर पर प्रभावित हो रहे हैं। हवा में खतरनाक प्रदूषक तत्वों के चलते लोगों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। सांस लेने में परेशानी के साथ-साथ आंखों में जलन और गले में खराश भी हो रही है।
प्रदूषण के स्तर में यह बढ़ोतरी चिंता का कारण बन गई है। इसका असर न केवल स्वास्थ्य पर पड़ रहा है, बल्कि शहर की सामान्य जिंदगी भी प्रभावित हो रही है। इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार और नागरिकों को मिलकर उपायों की आवश्यकता है, ताकि प्रदूषण कम किया जा सके और लोगों को राहत मिल सके।
शुक्रवार को दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में और वृद्धि हुई, जो 380 तक पहुंच गया, जो “बेहद खराब” श्रेणी में आता है। इससे शहर के आसमान में स्मॉग की घनी चादर छाई रही, जिससे लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ा। इससे पहले, बृहस्पतिवार को भी AQI 377 था, जो बेहद खराब श्रेणी में था।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, प्रदूषकों के फैलाव के लिए मौसम की स्थिति अत्यधिक प्रतिकूल हो गई है। सर्दी के मौसम में ठंडी हवाओं की कमी और हवा की धीमी गति प्रदूषण को इकट्ठा होने का मौका देती है, जिससे स्थिति और बिगड़ती जा रही है। इस हालात में, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारियों से ग्रस्त व्यक्तियों को बाहर निकलने से बचने की सलाह दी जा रही है।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली में हवा की गुणवत्ता सोमवार तक बेहद खराब श्रेणी में बनी रहेगी। प्रदूषण के स्तर में सुधार की संभावना कम है, क्योंकि मौसम की स्थितियां प्रदूषकों के फैलाव के लिए अनुकूल नहीं हैं। वेंटिलेशन इंडेक्स अभी भी कम है, जिससे हवा में मौजूद प्रदूषक तत्व पूरी तरह से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। इस दौरान, विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए बाहर जाने से बचने की सलाह दी जा रही है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और अन्य एजेंसियों द्वारा वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए उपायों पर विचार किया जा रहा है, लेकिन फिलहाल स्थिति में कोई तुरंत राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। शुक्रवार को दिल्ली के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के पार पहुंच गया, जिससे हवा “गंभीर” श्रेणी में आ गई। आनंद विहार, अशोक विहार, बवाना सहित 12 इलाके ऐसे थे जहां AQI 400 से ऊपर था। वहीं, दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (DTU), आईटीओ जैसे 26 इलाकों में AQI बेहद खराब श्रेणी में था, और तीन इलाकों में AQI खराब श्रेणी में दर्ज किया गया।
वेंटिलेशन इंडेक्स 2000 घनमीटर प्रति सेकंड दर्ज हुआ, जो प्रदूषकों के फैलाव के लिए अनुकूल नहीं है। अगले 24 घंटों में इसे बढ़कर 3100 घनमीटर प्रति सेकंड तक पहुंचने का अनुमान है, जिससे प्रदूषण की स्थिति और बिगड़ सकती है।
डिसिजन स्पोर्ट सिस्टम (DSS) के अनुसार, शुक्रवार को हवा में ट्रांसपोर्ट से होने वाले प्रदूषण का योगदान 11.049 फीसदी था, जबकि कूड़ा जलने से होने वाला प्रदूषण 1.053 फीसदी था। इससे पहले, बृहस्पतिवार को पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण का योगदान 17.814 फीसदी था, जो एक प्रमुख प्रदूषण स्रोत बना हुआ है।
भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) के अनुसार, शुक्रवार को दिल्ली में हवाएं विभिन्न दिशाओं से चल रही थीं, जिनकी गति 4 से 8 किलोमीटर प्रति घंटा के बीच रही। शनिवार को भी इसी तरह की हवाएं चलने की संभावना है, जिनकी गति 4 से 8 किलोमीटर प्रति घंटा रहेगी। रविवार और सोमवार को भी हवाएं विभिन्न दिशाओं से चलने की संभावना है, लेकिन हवा की गति थोड़ी बढ़कर 4 से 10 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है।
इस दौरान, रात के समय हल्का कुहासा (mist) छा सकता है, और आसमान में स्मॉग की चादर भी बनी रह सकती है। इससे वायु गुणवत्ता में कोई खास सुधार होने की उम्मीद नहीं है, और हवा बेहद खराब श्रेणी में बनी रहेगी। इस स्थिति में, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन समस्याओं से ग्रस्त लोगों को बाहर जाने से बचने की सलाह दी जाती है।