
प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री, जिन्हें बागेश्वर धाम बाबा के नाम से जाना जाता है, ने अपने हाल के लंदन दौरे के दौरान इतिहास रच दिया। 16 जुलाई को, ब्रिटिश संसद (हाउस ऑफ कॉमन्स) में पहली बार ‘हनुमान चालीसा’ का पाठ किया गया, जो भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के वैश्विक मंच पर प्रचार-प्रसार का एक ऐतिहासिक क्षण था। यह आयोजन न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण रहा।
संसद में हनुमान चालीसा का पाठ !
धीरेन्द्र शास्त्री की उपस्थिति में ब्रिटिश संसद भवन में हनुमान चालीसा का पाठ हुआ। इस दौरान कई ब्रिटिश सांसद, अधिकारी, और विभिन्न देशों के हिंदू समुदाय के लोग मौजूद थे। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में शास्त्री जी भगवा वस्त्रों में मंत्रोच्चार का नेतृत्व करते दिखे, जबकि उपस्थित लोग उत्साहपूर्वक उनके साथ पाठ कर रहे थे। बागेश्वर धाम के आधिकारिक X हैंडल ने इस आयोजन को साझा करते हुए लिखा, “लंदन की संसद के इतिहास में पहली बार… श्री हनुमान चालीसा पाठ पूज्य सरकार द्वारा… संसद में आए सभी अतिथियों ने मनोभाव से किया पाठ…”।
विशेष सम्मान समारोह
धीरेन्द्र शास्त्री को ब्रिटिश संसद में सांसदों के एक समूह द्वारा आयोजित विशेष कार्यक्रम में सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान भारत में उनके सामाजिक कार्यों जैसे गरीब कन्याओं के विवाह, अन्नपूर्णा सेवा (हजारों लोगों को भोजन वितरण), और जरूरतमंद मरीजों के लिए कैंसर अस्पताल निर्माण के लिए दिया गया। इस समारोह में यूके की सांसद सीमा मल्होत्रा, हैरो सिटी की मेयर अंजना पटेल, सांसद बॉब ब्लैकमैन, और हाउस ऑफ लॉर्ड्स की सदस्य बारोनेस वर्मा उपस्थित थीं।
संवाद और सनातन धर्म का प्रचार
शास्त्री जी ने भारतीय और पाकिस्तानी प्रवासियों के साथ संवाद किया। एक उल्लेखनीय क्षण तब आया जब पाकिस्तानी मूल के मोहम्मद आरिफ ने कहा कि उन्होंने भगवद गीता पढ़कर सनातन धर्म स्वीकार कर लिया है और पूछा कि क्या हिंदू बनने के लिए नाम बदलना जरूरी है। शास्त्री जी ने जवाब दिया, “हिंदू धर्म नहीं, बल्कि एक मानवता की विचारधारा है। यदि आप भगवद गीता पढ़ रहे हैं और उसका अनुसरण कर रहे हैं, तो आपका नाम बदलना जरूरी नहीं। दिल में विचार बदल गए, तो आप सनातनी हैं।” यह बयान सनातन धर्म की समावेशी प्रकृति को दर्शाता है।
विश्व शांति के लिए हवन
धीरेन्द्र शास्त्री का यह लंदन दौरा सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति, और आध्यात्मिकता का प्रचार-प्रसार करने के लिए था। वे यूरोप दौरे के तहत राम कथा, हनुमान चालीसा पाठ, और विश्व शांति के लिए हवन जैसे आयोजन कर रहे हैं। उन्होंने भारतीय प्रवासियों को बागेश्वर धाम आने का न्योता दिया और कहा कि विश्व शांति के लिए भारतीय जीवन शैली और सनातन धर्म सबसे अच्छा रास्ता है।
यह पहली बार था जब ब्रिटिश संसद में किसी भारतीय धार्मिक ग्रंथ का पाठ हुआ, जो भारत-ब्रिटेन के सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने का प्रतीक है। यह आयोजन भारतीय संस्कृति की वैश्विक स्वीकार्यता और सनातन धर्म की बढ़ती पहुंच को दर्शाता है। ब्रिटिश सांसदों ने शास्त्री जी के सामाजिक कार्यों की प्रशंसा की, जिसमें गरीबों की सेवा, शिक्षा, और स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा देना शामिल है।

सनातन धर्म की समावेशी विचारधारा
शास्त्री जी अपने यूरोप दौरे के दौरान ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, और फिजी जैसे देशों में भी गए, जहां उन्होंने हनुमान चालीसा पाठ और राम कथा जैसे आयोजन किए। एक वायरल वीडियो में उन्हें फ्लाइट में यात्रियों के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करते देखा गया, जिसने सोशल मीडिया पर खूब चर्चा बटोरी।
धीरेन्द्र शास्त्री का ब्रिटिश संसद में हनुमान चालीसा पाठ और सम्मान समारोह भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के वैश्विक मंच पर बढ़ते प्रभाव का प्रतीक है। यह आयोजन न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देने वाला था। शास्त्री जी ने अपने संवाद और कार्यों के माध्यम से सनातन धर्म की समावेशी और मानवतावादी विचार धारा को विश्व के सामने प्रस्तुत किया।