
सरल डेस्क
राजस्थान के झालावाड़ जिले के मनोहरथाना ब्लॉक के पिपलोदी गांव में 25 जुलाई को सुबह करीब 7:45 से 8:30 बजे के बीच एक सरकारी उच्च प्राथमिक स्कूल की छत गिरने से बड़ा हादसा हुआ। इस घटना में विभिन्न स्रोतों के अनुसार 7 बच्चों की मौत हो चुकी है, हालांकि कुछ शुरुआती रिपोर्टों में 3-5 मौतों का उल्लेख था। इसके अलावा, 17 से 30 बच्चों के घायल होने की खबर है, जिनमें से 9 से 10 की हालत गंभीर बताई जा रही है। कुछ बच्चों के अभी भी मलबे में फंसे होने की आशंका है।
कब और कहां हुई घटना
हादसा पिपलोदी गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में हुआ, जब बच्चे सुबह की प्रार्थना सभा या कक्षा में मौजूद थे। स्कूल में उस समय 60-70 बच्चे और कुछ शिक्षक मौजूद थे। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि स्कूल की इमारत पुरानी और जर्जर थी। हाल के दिनों में हुई भारी बारिश ने भवन की स्थिति को और कमजोर कर दिया, जिसके कारण दीवार और छत ढह गई। एक प्रत्यक्षदर्शी छात्रा ने बताया कि छत गिरने से पहले कंकड़ गिर रहे थे, जिसकी जानकारी शिक्षकों को दी गई थी, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया।

बचाव कार्य जारी
हादसे के तुरंत बाद स्थानीय ग्रामीणों, शिक्षकों, पुलिस, प्रशासन, और NDRF की टीमें बचाव कार्य में जुट गईं। JCB मशीनों की मदद से मलबा हटाया जा रहा है। घायल बच्चों को मनोहरथाना के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) और झालावाड़ जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां गंभीर रूप से घायल बच्चों को विशेष उपचार के लिए रेफर किया गया।
मुख्यमंत्री ने गहरा दुख व्यक्त किया
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और घायल बच्चों के समुचित इलाज के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए।
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि “बच्चों का इलाज सरकारी खर्चे पर होगा और हादसे की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित की जाएगी। उन्होंने जर्जर भवनों के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया।”
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कम से कम जनहानि और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना की।
झालावाड़ के कलेक्टर और एसपी अमित कुमार बुडानिया घटनास्थल पर पहुंचे और बचाव कार्यों की निगरानी की। हादसे के बाद स्कूल परिसर में चीख-पुकार मच गई। माता-पिता और ग्रामीण मौके पर पहुंचे, और मलबे में बिखरे बच्चों के जूते-चप्पल और सामान ने दृश्य को और दर्दनाक बना दिया।
स्कूल भवन की जर्जर स्थिति और भारी बारिश
स्कूल भवन की जर्जर स्थिति और भारी बारिश को हादसे का मुख्य कारण माना जा रहा है। स्थानीय लोगों ने पहले भी भवन की खराब स्थिति की शिकायत की थी, लेकिन प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया। यह घटना सरकारी स्कूलों की सुरक्षा और रखरखाव पर सवाल उठाती है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां जर्जर भवनों की मरम्मत के लिए बजट और ध्यान की कमी है।
बचाव कार्य जारी है, और प्रशासन ने अन्य स्कूल भवनों की जांच का आश्वासन दिया है। यह हादसा राजस्थान में स्कूलों की बदहाल स्थिति को उजागर करता है, जिसके लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।