
विशेष रिपोर्ट | सरल न्यूज़
उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत में जागर और मंगल गीतों की एक समृद्ध परंपरा रही है। इस परंपरा को पहले प्रसिद्ध लोकगायिका बसंती बिष्ट ने जन-जन तक पहुँचाया और अब उनके बाद बसंती मेहरा इस विरासत को नई ऊर्जा और दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ा रही हैं।
बसंती मेहरा चमोली जनपद के सैनिक गांव सवाड़ (Sawar) की निवासी हैं और गांव की महिला मंगल दल की अध्यक्ष भी हैं। गांव में कोई भी सांस्कृतिक या धार्मिक आयोजन हो, बसंती मेहरा अपनी सशक्त उपस्थिति से उसे खास बना देती हैं। चाहे विवाह संस्कार हो, देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना हो या फिर सामूहिक सांस्कृतिक कार्यक्रम—बसंती मेहरा हर आयोजन में आगे रहती हैं।
“अपने पहाड़, अपनी संस्कृति” की सशक्त वाहक
बसंती मेहरा न केवल जागर, लोकगीत और मंगल गीतों की उत्कृष्ट प्रस्तुति करती हैं, बल्कि अपने प्रयासों से ग्रामीण महिलाओं को भी संस्कृति और समाज में भागीदारी के लिए प्रेरित करती हैं। उनका मानना है कि उत्तराखंड की लोकविधाओं को जीवित रखना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है, और वे इसमें अपना भरपूर योगदान दे रही हैं।
सांस्कृतिक और सामाजिक योगदान
1. बसंती मेहरा की बहुआयामी प्रतिभा उन्हें एक विशिष्ट पहचान देती है:
2. जागर, मंगल गीत और लोकगीत गायन
3. नाटक लेखन और मंच प्रस्तुति
4. हस्तशिल्प – जैसे रिंगाल की टोकरियां बनाना और कपड़ों की सिलाई
5. सामाजिक आयोजनों में सक्रिय भागीदारी
6. गृहस्थी की जिम्मेदारियों के बीच भी वे हर कार्य को पूरी लगन और समर्पण से निभाती हैं।
नेतृत्व क्षमता और पंचायत चुनाव में ऐतिहासिक उपलब्धि
2025 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बसंती मेहरा ने अपने गांव को एक नई दिशा दी। उन्होंने गांववासियों को सामूहिक संवाद और सहयोग के लिए प्रेरित किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और वार्ड सदस्य सभी निर्विरोध चुने गए। यह एक आदर्श मिसाल बन गई, जिससे उत्तराखंड भर में सावड़ गांव की चर्चा हो रही है।
महिला सशक्तिकरण की प्रतीक
बसंती मेहरा न केवल लोकसंस्कृति की संरक्षिका हैं, बल्कि वे उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण की एक सशक्त प्रतीक भी बन रही हैं। उन्हें यदि एक व्यापक मंच और अवसर मिले, तो वे निश्चित रूप से प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा सकती हैं।
बसंती मेहरा जैसी महिलाएं आज के उत्तराखंड की सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना का आधार हैं। उनके कार्य न केवल प्रेरणादायक हैं, बल्कि ग्रामीण भारत में बदलाव की एक सकारात्मक लहर भी हैं।