
स्पेशल डेस्क
संसद के मानसून सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कांग्रेस की पूर्व सरकारों की नीतियों और निर्णयों पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने अक्साई चिन, सिंधु जल संधि, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK), और करतारपुर साहिब जैसे मुद्दों पर कांग्रेस की ऐतिहासिक गलतियों को रेखांकित किया।
अक्साई चिन (Aksai Chin) क्या कहा PM मोदी ने ?
पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने अक्साई चिन को “बंजर जमीन” करार देकर इसे चीन के हवाले कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप भारत को 38,000 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र गंवाना पड़ा। उन्होंने इसे राष्ट्रीय हितों के साथ समझौता करने वाला निर्णय बताया। 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान अक्साई चिन पर चीन का कब्जा हो गया। मोदी ने कहा कि उस समय कांग्रेस नेतृत्व ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और इसे बंजर जमीन कहकर छोड़ दिया। उन्होंने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति लापरवाही का उदाहरण बताया। इस निर्णय के कारण भारत का एक बड़ा भू-भाग आज भी विवादित है, और यह भारत-चीन सीमा विवाद का एक प्रमुख हिस्सा बना हुआ है।
सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty)
पीएम मोदी ने सिंधु जल संधि को भारत के स्वाभिमान के साथ “धोखा” करार दिया। उन्होंने कहा कि 1960 में नेहरू द्वारा हस्ताक्षरित इस संधि के तहत भारत का 80% पानी पाकिस्तान को दे दिया गया, जो देश के किसानों और नागरिकों के हितों के खिलाफ था। सिंधु जल संधि के तहत भारत को रावी, ब्यास, और सतलुज नदियों का नियंत्रण मिला, जबकि सिंधु, झेलम, और चिनाब नदियों का पानी पाकिस्तान को आवंटित हुआ। इस संधि से पाकिस्तान को कुल जल प्रवाह का लगभग 80% मिलता है, जो उसकी कृषि के लिए महत्वपूर्ण है। पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल 2025) के बाद भारत ने इस संधि को निलंबित कर दिया, जिसे मोदी ने राष्ट्रीय हित में लिया गया फैसला बताया। उन्होंने कहा कि अब भारत का पानी देश के भीतर ही रहेगा और इसका उपयोग किसानों व नागरिकों के लिए होगा।
मोदी ने कहा कि “नेहरू ने न केवल पानी दिया, बल्कि पाकिस्तान को नहरें बनाने के लिए 83 करोड़ रुपये (1960 में, आज के मूल्य में 5500 करोड़) भी दिए। उन्होंने इसे नेहरू की वैश्विक छवि चमकाने की कोशिश बताया।”
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK)
पीएम मोदी ने कहा कि 1971 के युद्ध में भारत के पास PoK को वापस लेने का सुनहरा अवसर था, जब 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बनाया गया था और हजारों वर्ग किलोमीटर क्षेत्र भारत के नियंत्रण में था। लेकिन कांग्रेस सरकार ने यह मौका गंवा दिया। 1965 के युद्ध में हाजीपीर पास को भारतीय सेना ने जीता था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे वापस लौटा दिया। इसी तरह, 1971 में PoK को वापस लेने की संभावना थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मोदी ने इसे कांग्रेस की कूटनीतिक नाकामी बताया। मोदी ने पूछा कि PoK पर पाकिस्तान को कब्जा करने का अवसर किसकी सरकार ने दिया? उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस PoK को वापस लेने की बात करती है, लेकिन पहले उसने यह मौका क्यों छोड़ा?
करतारपुर साहिब क्या कहा PM मोदी ने?
पीएम मोदी ने कहा कि 1971 में भारत के पास करतारपुर साहिब को वापस लेने का अवसर था, लेकिन कांग्रेस सरकार इसे भी हासिल नहीं कर पाई। उन्होंने इसे सिख समुदाय के लिए महत्वपूर्ण स्थल होने के बावजूद कांग्रेस की असफलता बताया। करतारपुर साहिब, जो सिख धर्म का एक पवित्र स्थल है, पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र में है। 1971 में भारत की मजबूत स्थिति के बावजूद, इसे वापस लेने का कोई प्रयास नहीं किया गया। मोदी ने इसे कांग्रेस की दूरदृष्टि की कमी का प्रतीक बताया, जिसने भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक हितों को नजरअंदाज किया।
अन्य ऐतिहासिक गलतियां कच्छ का रण
मोदी ने आरोप लगाया कि 1966 में कांग्रेस सरकार ने रण ऑफ कच्छ में 800 वर्ग किलोमीटर जमीन, जिसमें छड़बेट इलाका शामिल था, पाकिस्तान को सौंप दी। 1974 में कांग्रेस सरकार ने कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका को “गिफ्ट” कर दिया, जिसके कारण आज भारतीय मछुआरों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता किया, जैसे कि 26/11 मुंबई हमले के बाद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की और अफजल गुरु को 2001 के संसद हमले में संदेह का लाभ दिया।
ऑपरेशन सिंदूर और हालिया संदर्भ
पीएम मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का जिक्र करते हुए कहा कि यह आतंकवाद के खिलाफ भारत की मजबूत कार्रवाई का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने इस ऑपरेशन पर भी सवाल उठाए, जो “जख्मों पर तेजाब छिड़कने” जैसा है। मोदी ने कहा कि कांग्रेस का भरोसा “पाकिस्तान के रिमोट कंट्रोल” से चलता है, और वह पाकिस्तान की बोली बोलती है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बताया, जिसे कांग्रेस ने तमाशा कहा। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 नागरिक मारे गए, के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित किया और कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कांग्रेस की पूर्व सरकारों पर अक्साई चिन, सिंधु जल संधि, PoK, और करतारपुर साहिब जैसे मुद्दों पर गलत निर्णय लेने का आरोप लगाया, जिनके दीर्घकालिक परिणाम देश आज भी भुगत रहा है। उन्होंने इन फैसलों को राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा के खिलाफ बताया और वर्तमान सरकार के कड़े कदमों, जैसे सिंधु जल संधि का निलंबन और ऑपरेशन सिंदूर, को भारत की मजबूत नीति का हिस्सा करार दिया। यह भाषण न केवल कांग्रेस की आलोचना था, बल्कि भारत की वर्तमान कूटनीतिक और रणनीतिक दृष्टि को रेखांकित करने का प्रयास भी था।