
स्पेशल डेस्क
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का 5 अगस्त मंगलवार, को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल में निधन हो गया। वे 79 वर्ष के थे और लंबे समय से किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। उनके निजी सचिव केएस राणा ने उनके निधन की पुष्टि की, जिसमें बताया गया कि मलिक ने दोपहर करीब 1:10 बजे अंतिम सांस ली।
सत्यपाल मलिक का स्वास्थ्य और अस्पताल में भर्ती
सत्यपाल मलिक मई 2025 से बीमार थे और 11 मई को उन्हें RML अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे किडनी की समस्या, मूत्र मार्ग में गंभीर संक्रमण, फेफड़ों में संक्रमण, और सेप्सिस से पीड़ित थे। उनकी दोनों किडनियां पूरी तरह काम करना बंद कर चुकी थीं, और वे अधिकतर समय ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे। 8 जून 2025 को उन्होंने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर स्वास्थ्य अपडेट साझा किया था, जिसमें उन्होंने अपनी गंभीर हालत का जिक्र किया था।
राजनीतिक और प्रशासनिक करियर
सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत छात्र राजनीति से की और 1968-69 में मेरठ विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे। 1974-77 तक वे उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे, और 1980-89 तक राज्यसभा तथा 1989-91 में 9वीं लोकसभा के सांसद रहे।
उन्होंने 2017 में बिहार के राज्यपाल के रूप में कार्य शुरू किया, और बाद में ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, गोवा, और मेघालय के राज्यपाल रहे। जम्मू-कश्मीर में उनके कार्यकाल (23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019) के दौरान 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया।
विवाद और मुखर रुख !
सत्यपाल मलिक अपने स्पष्टवादी और सरकार के खिलाफ मुखर रुख के लिए जाने जाते थे। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, जिसमें किरू जलविद्युत परियोजना से संबंधित 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश का दावा शामिल था। सीबीआई ने इस मामले में उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी, जिसे मलिक ने बदले की कार्रवाई बताया था।
मलिक ने किसान आंदोलन और महिला पहलवानों के आंदोलन का समर्थन किया था और पुलवामा हमले की निष्पक्ष जांच की मांग की थी। उनके इस रुख के कारण वे केंद्र सरकार और भाजपा नेतृत्व के साथ विवादों में रहे।
परिवार और शोक
सत्यपाल मलिक के परिवार में उनकी पत्नी इकबाल मलिक, जो एक शिक्षिका और पर्यावरणविद् हैं, और उनका बेटा देव कबीर, जो एक ग्राफिक डिजाइनर हैं, शामिल हैं। उनके निधन पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और समर्थकों ने शोक व्यक्त किया, उन्हें एक अनुभवी राजनेता और निष्ठावान प्रशासक बताया।
सत्यपाल मलिक का निधन भारतीय राजनीति और प्रशासन के लिए एक बड़ी क्षति माना जा रहा है। उनके कार्यकाल, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के दौरान, को हमेशा याद रखा जाएगा। उनकी स्पष्टवादिता और किसानों व अन्य सामाजिक मुद्दों के प्रति समर्पण ने उन्हें एक अलग पहचान दी।