
दिल्ली डेस्क
राहुल गांधी ने नई दिल्ली में चुनाव आयोग (EC) के खिलाफ विपक्षी सांसदों के मार्च के दौरान यह बयान दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग मतदाता सूची में गड़बड़ी और ‘वोट चोरी’ को छिपाने की कोशिश कर रहा है। उनके बयान का मुख्य बिंदु यह था कि उनके द्वारा उठाए गए सवाल चुनाव आयोग के ही डेटा पर आधारित हैं, न कि उनके अपने दावों पर। उन्होंने कहा, “ये चुनाव आयोग का डेटा है, मेरा डेटा थोड़ी है जो मैं साइन करूं। आप अपनी वेबसाइट पर डाल दीजिए, सबको पता लग जाएगा।” यह बात उन्होंने तब कही जब उनसे पूछा गया कि चुनाव आयोग ने उन्हें अपने आरोपों के समर्थन में शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने को कहा है, जिसका जवाब उन्होंने देने से इनकार कर दिया।
राहुल गांधी के आरोप
राहुल गांधी ने दावा किया कि कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और देश के अन्य हिस्सों में मतदाता सूची में गड़बड़ी हुई है। खास तौर पर बेंगलुरु और छत्तीसगढ़ के कुरुद विधानसभा क्षेत्र में फर्जी वोटिंग और दोहरे मतदाता नामों की शिकायतें सामने आई हैं।
उन्होंने 8 अगस्त 5 को X पर पोस्ट किए गए पांच सवालों में चुनाव आयोग से पूछा:विपक्ष को डिजिटल वोटर लिस्ट क्यों नहीं दी जा रही?
CCTV और वीडियो सबूत क्यों मिटाए जा रहे हैं?
फर्जी वोटिंग और मतदाता सूची में गड़बड़ी क्यों हुई?
विपक्षी नेताओं को धमकाने और डराने का क्या कारण है?
इन मुद्दों पर जवाबदेही क्यों नहीं तय की जा रही?
राहुल ने कहा कि “उनके पास इस बात के सबूत हैं कि चुनाव आयोग ‘वोट चोरी’ में शामिल है, और उनकी जांच में यह जानकारी “एटम बम” की तरह है।”
चुनाव आयोग का जवाब
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के दावों को “भ्रामक” करार दिया और उन्हें अपने आरोपों के समर्थन में सबूत पेश करने या शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने को कहा। आयोग ने यह भी कहा कि अगर राहुल ऐसा नहीं करते, तो उन्हें अपने बयान वापस लेने और जनता को गुमराह करना बंद करना चाहिए। आयोग ने राहुल के सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनके दावे नियमों के खिलाफ हैं और उन्हें औपचारिक रूप से जवाब देना होगा।
छत्तीसगढ़ में विवाद
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कुरुद विधानसभा में वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि कुछ मतदाताओं के नाम दो जगह (कुरुद और रायपुर/अभनपुर) दर्ज हैं, जिसे उन्होंने “वोट चोरी” की साजिश बताया।
बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने जवाब में कहा कि “अगर गड़बड़ी है, तो पूरे छत्तीसगढ़ में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) होना चाहिए। उन्होंने कांग्रेस पर बिना सबूत बयान बाजी करने का आरोप लगाया।”
विपक्ष का मार्च
11 अगस्त को राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य विपक्षी सांसदों ने बिहार में मतदाता सूची संशोधन और कथित वोट चोरी के खिलाफ संसद से चुनाव आयोग तक मार्च निकाला। हालांकि, पुलिस ने उन्हें बीच में रोककर हिरासत में ले लिया।
क्या है विवाद का मूल ? राहुल गांधी का दावा
उनका कहना है कि मतदाता सूची में व्यापक स्तर पर गड़बड़ी हुई है, जिसके लिए वे चुनाव आयोग के डेटा का हवाला दे रहे हैं। वे इस डेटा को सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं ताकि पारदर्शिता बनी रहे। आयोग ने राहुल के दावों को आधारहीन बताया और उनसे औपचारिक सबूत या शपथ पत्र मांगा। आयोग का कहना है कि बिना सबूत के इस तरह के आरोप जनता को गुमराह करते हैं। वहीं बीजेपी ने इसे कांग्रेस की “राजनीतिक नौटंकी” करार दिया, जबकि कांग्रेस का कहना है कि यह लोकतंत्र पर हमला है।”
राहुल गांधी और विपक्ष का दावा है कि “चुनाव आयोग मतदाता सूची में गड़बड़ी और वोट चोरी को छिपाने की कोशिश कर रहा है। दूसरी ओर, चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए सबूत मांगे हैं। यह विवाद अब राजनीतिक और कानूनी स्तर पर गहरा रहा है, जिसमें दोनों पक्ष एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। हालांकि, राहुल गांधी ने अभी तक औपचारिक रूप से सबूत पेश नहीं किए हैं, और उनका कहना है कि डेटा स्वयं आयोग का है, जिसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए।