
स्पेशल डेस्क
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने, ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी अंतरिक्ष यात्रा के अनुभव साझा किए। यह मुलाकात 18 अगस्त को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री के आवास, 7 लोक कल्याण मार्ग, पर हुई। शुभांशु ने Axiom-4 मिशन के तहत 25 जून से 15 जुलाई तक ISS पर 18 दिन बिताए। इस दौरान उन्होंने कई वैज्ञानिक प्रयोग किए और भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। आइये उनके अनुभवों और पीएम मोदी के साथ बातचीत की विस्तृत रिपोर्ट एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा के साथ समझते हैं।
अंतरिक्ष में जीवन,शुभांशु के अनुभव
शुभांशु ने बताया कि अंतरिक्ष में बिना गुरुत्वाकर्षण का वातावरण पूरी तरह अलग है। शरीर को इसकी आदत पड़ने में समय लगता है। अंतरिक्ष में पहुंचते ही शरीर में कई बदलाव आते हैं, जैसे हृदय गति धीमी होना। तीन-चार दिनों में शरीर धीरे-धीरे अनुकूलन करता है, लेकिन पृथ्वी पर वापसी के बाद फिर से सामान्य गुरुत्वाकर्षण में ढलना चुनौतीपूर्ण होता है। उन्होंने बताया कि वापस लौटने पर उन्हें चलने में दिक्कत हुई और सहायता की जरूरत पड़ी।
नींद भी एक बड़ी चुनौती है। शून्य गुरुत्वाकर्षण में सोना सामान्य से बहुत अलग है, और इसके लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
अंतरिक्ष में भोजन
शुभांशु ने बताया कि ISS पर भोजन एक बड़ी चुनौती है क्योंकि वहां जगह सीमित है और कार्गो महंगा होता है। भोजन में अधिकतम कैलोरी और पोषक तत्व कम जगह में पैक करने की कोशिश की जाती है। उन्होंने मूंग और मेथी (fenugreek) जैसे स्प्राउट्स के प्रयोगों के बारे में बताया, जो केवल आठ दिनों में पानी से भरे डिश में उगाए जा सकते हैं। यह भविष्य में अंतरिक्ष में खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
उन्होंने अपने साथ गाजर का हलवा और आमरस जैसी भारतीय मिठाइयां ले गए थे, जिन्हें उन्होंने अपने सहयोगी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ साझा किया, जिस पर पीएम मोदी के साथ हल्की-फुल्की हंसी-मजाक भी हुई।
पृथ्वी का नजारा और भारत की छवि
शुभांशु ने बताया कि अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखने पर कोई सीमा रेखाएं दिखाई नहीं देतीं। उन्होंने कहा, “पृथ्वी एक साझा घर जैसी दिखती है, जिसमें कोई सीमाएं नहीं हैं।” भारत को अंतरिक्ष से देखने पर यह नक्शे से कहीं अधिक भव्य और बड़ा दिखता है। यह अनुभव भारत की एकता में विविधता की सभ्यतागत भावना के साथ मेल खाता है। उन्होंने पृथ्वी की तस्वीरें एक टैबलेट पर पीएम मोदी को दिखाईं, जो उन्होंने ISS से ली थीं।
वैज्ञानिक प्रयोग और आउटरीच
शुभांशु ने Axiom-4 मिशन के दौरान 60 से अधिक प्रयोग किए, जिनमें मांसपेशियों के पुनर्जनन, शैवाल की वृद्धि, और खाद्य पोषण से संबंधित प्रयोग शामिल थे। ये प्रयोग लंबी अवधि की अंतरिक्ष यात्राओं और टिकाऊ जीवन समर्थन प्रणालियों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने 20 आउटरीच सत्रों में हिस्सा लिया, जिसमें 4 और 8 जुलाई को स्कूली बच्चों के साथ हैम रेडियो के जरिए बातचीत और 6 जुलाई को ISRO के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा शामिल थी।
मानसिक शांति और माइंडफुलनेस
शुभांशु ने बताया कि अंतरिक्ष में तनावपूर्ण परिस्थितियों का सामना करने के लिए माइंडफुलनेस बहुत महत्वपूर्ण है। शांत रहने से बेहतर निर्णय लिए जा सकते हैं। उन्होंने कहा, “माइंडफुलनेस से आप शांत रहते हैं, और शांत रहने से आप अच्छे निर्णय ले सकते हैं।”

पीएम मोदी के साथ बातचीत
पीएम मोदी ने शुभांशु की उपलब्धि को भारत के लिए गर्व का क्षण बताया और कहा कि वह भले ही मातृभूमि से सबसे दूर थे, लेकिन भारतीयों के दिल के सबसे करीब हैं। उन्होंने शुभांशु के नाम में “शुभ” को उनकी यात्रा को नए युग का “शुभारंभ” बताकर जोड़ा।
पीएम ने कहा कि “चंद्रयान मिशन की सफलता के बाद बच्चों और युवाओं में विज्ञान और अंतरिक्ष अन्वेषण के प्रति रुचि बढ़ी है। शुभांशु की यात्रा इस संकल्प को और मजबूत कर रही है।
गगनयान मिशन और भविष्य की योजनाएं
पीएम मोदी ने गगनयान मिशन को आगे बढ़ाने, भारत में स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन बनाने, और भारतीय अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर उतारने की महत्वाकांक्षा पर जोर दिया। उन्होंने शुभांशु से कहा कि उनकी अनुभव इस मिशन के लिए बहुत मूल्यवान होंगे। शुभांशु ने बताया कि “उन्होंने पीएम द्वारा दी गई “होमवर्क” को पूरा किया, जिसमें उन्होंने अपने प्रशिक्षण, यात्रा और ISS पर रहने के अनुभवों को विस्तार से दर्ज किया। यह ज्ञान गगनयान मिशन के लिए महत्वपूर्ण होगा।
पीएम ने भारत के लिए 40-50 अंतरिक्ष यात्रियों का पूल तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया। शुभांशु ने कहा कि “आज के बच्चे अंतरिक्ष यात्री बनने का सपना देख रहे हैं, जो उनके समय में संभव नहीं था क्योंकि तब कोई ऐसा कार्यक्रम नहीं था।”
उपहार और भावनात्मक क्षण
शुभांशु ने पीएम मोदी को Axiom-4 मिशन का पैच और भारतीय तिरंगा उपहार में दिया, जो उन्होंने ISS पर अपने साथ ले गए थे। यह तिरंगा 29 जून को उनकी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान पृष्ठभूमि में दिखाई दिया था। पीएम ने शुभांशु का गर्मजोशी से स्वागत किया, उन्हें गले लगाया और उनके कंधे पर हाथ रखकर साथ चले, जो एक भावनात्मक क्षण था।
भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाएं
शुभांशु ने बताया कि विश्व स्तर पर भारत के गगनयान मिशन को लेकर उत्साह है। उन्होंने कहा, “जहां भी मैं गया, लोग भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के बारे में जानते थे और गगनयान के बारे में उत्साहित थे।”
पीएम मोदी ने कहा कि “शुभांशु की यात्रा न केवल अंतरिक्ष तक सीमित है, बल्कि यह भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में गति और नई ऊर्जा देगी।”
भारत के बारे में शुभांशु के विचार
शुभांशु ने अंतरिक्ष से भारत को देखने के अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि यह नक्शे से कहीं अधिक भव्य और बड़ा दिखता है। उन्होंने पृथ्वी को एक साझा घर के रूप में वर्णित किया, जहां कोई सीमाएं दिखाई नहीं देतीं। यह भारत की “वसुधैव कुटुंबकम” और एकता में विविधता की भावना के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि “उनकी यात्रा केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि पूरे देश की प्रगति का प्रतीक है। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा, “आसमान कभी सीमा नहीं है।”
शुभांशु ने भारत सरकार के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के प्रति समर्पण की सराहना की, विशेष रूप से चंद्रयान-2 की असफलता के बाद भी चंद्रयान-3 की सफलता के लिए निरंतर समर्थन को। उन्होंने कहा कि यह दृढ़ता भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में नेतृत्व की भूमिका दिला सकती है।
सामाजिक प्रभाव और प्रेरणा
शुभांशु ने बताया कि जब वह ISS से बच्चों से बात कर रहे थे, तो बच्चों ने उनसे पूछा कि वे अंतरिक्ष यात्री कैसे बन सकते हैं। यह दर्शाता है कि आज की पीढ़ी में अंतरिक्ष अन्वेषण को लेकर नई आकांक्षाएं जाग रही हैं। उनकी उपलब्धि को संसद में विशेष चर्चा के साथ सम्मानित किया गया, और वह 22-23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस समारोह में भाग लेंगे, जो युवाओं को प्रेरित करेगा।
देश के लिए गर्व का क्षण
शुभांशु शुक्ला की ISS यात्रा और पीएम मोदी के साथ उनकी बातचीत भारत के बढ़ते अंतरिक्ष कार्यक्रम और युवाओं में वैज्ञानिक उत्साह को दर्शाती है। उनकी यात्रा न केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि गगनयान मिशन और भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन जैसे भविष्य के लक्ष्यों की नींव रखती है। उनके अनुभव, जैसे शून्य गुरुत्वाकर्षण में जीवन, भोजन की चुनौतियां, और पृथ्वी का एकतापूर्ण दृश्य, भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को नई दिशा देते हैं। पीएम मोदी ने इसे “विकसित भारत” की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया, जो देश के लिए गर्व का क्षण है।
आप भी सुनिए पीएम मोदी और शुभांशु शुक्ला की बातचीत