
दिल्ली डेस्क
मंगलवार, 26 अगस्त को दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) द्वारा किराए में वृद्धि के फैसले के खिलाफ छात्रों और अन्य संगठनों ने दिल्ली में जोरदार प्रदर्शन किया। यह किराया वृद्धि 25 अगस्त 2025 से लागू हुई, जिसमें सामान्य लाइनों पर 1 से 4 रुपये और एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर 1 से 5 रुपये तक की बढ़ोतरी की गई। न्यूनतम किराया अब 11 रुपये और अधिकतम 64 रुपये हो गया है। यह वृद्धि 8 साल बाद की गई, जिसका आधार DMRC ने परिचालन लागत और सेवा गुणवत्ता बनाए रखने की आवश्यकता बताया।
मेट्रो में सुरक्षा संबंधी चिंताओं को उठाया
स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) और अखिल भारतीय लोकतांत्रिक महिला संघ (AIDWA) की अगुवाई में दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), जामिया मिलिया इस्लामिया, और आंबेडकर यूनिवर्सिटी जैसे विभिन्न संस्थानों के छात्रों ने बाराखंभा रोड स्थित DMRC कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। छात्रों ने तख्तियां लेकर नारेबाजी की और DMRC प्रबंधन को ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शन में छात्राओं ने भी हिस्सा लिया, जिन्होंने किराया वृद्धि के साथ-साथ मेट्रो में सुरक्षा संबंधी चिंताओं को उठाया।
छात्रों की मांगें किराया वृद्धि वापस लेना
छात्रों ने मांग की कि DMRC तत्काल प्रभाव से किराया वृद्धि को वापस ले, क्योंकि यह मध्यमवर्गीय और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आने वाले छात्रों पर अतिरिक्त बोझ डाल रही है। उनका कहना है कि पहले से ही प्रतिदिन 100 रुपये से अधिक यात्रा पर खर्च हो रहा है, और नई वृद्धि से प्रति माह 500-800 रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा।
SFI और AIDWA ने केंद्र और दिल्ली सरकार से छात्रों के लिए रियायती मेट्रो पास शुरू करने की अपील की। दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ (DUSU) के अध्यक्ष रोनक खत्री ने भी मेट्रो को छात्रों के लिए निशुल्क या कम से कम 50% छूट पर उपलब्ध कराने की मांग की।
सुरक्षा और सुविधाओं में सुधार
छात्राओं ने कहा कि “मेट्रो महिलाओं के लिए सुरक्षित परिवहन साधन है, लेकिन किराया बढ़ने से वे असुरक्षित और सस्ते साधनों का उपयोग करने को मजबूर हो सकती हैं, जो उनके सुरक्षा अधिकार का उल्लंघन है। उन्होंने मेट्रो में सुरक्षा और सुविधाओं में सुधार की भी मांग की।
SFI के सदस्य सोहन कुमार यादव ने कहा कि अधिकांश छात्र मध्यमवर्गीय या आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से हैं, जो सीमित भत्तों और छात्रवृत्तियों पर निर्भर हैं। किराया वृद्धि से उनके मासिक खर्च में 500-800 रुपये की अतिरिक्त वृद्धि होगी, जिससे किताबें, भोजन, और अन्य शैक्षणिक जरूरतों के बीच कठिन विकल्प चुनना पड़ेगा।
सुरक्षा पर चिंता
AIDWA की सचिव कविता शर्मा ने बताया कि “मेट्रो महिलाओं और छात्राओं के लिए सुरक्षित और भरोसेमंद साधन है। किराया वृद्धि से उनकी आवागमन और सुरक्षा प्रभावित होगी।”
दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा सान्या ने कहा कि ” बढ़ाने के साथ-साथ मेट्रो में सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। मारपीट और सुरक्षा संबंधी समस्याएं बनी रहती हैं। X पर कई यूजर्स ने भी भीड़ और सीट की कमी जैसी समस्याओं को लेकर नाराजगी जताई।
DMRC का पक्ष
DMRC ने किराया वृद्धि को “नाममात्र” बताया और कहा कि “यह परिचालन लागत और सेवा गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जरूरी थी। स्मार्ट कार्ड उपयोगकर्ताओं को 10% छूट और ऑफ-पीक घंटों (सुबह 8 बजे से पहले, दोपहर 12 से शाम 5 बजे, और रात 9 बजे के बाद) में अतिरिक्त 10% छूट जारी रहेगी।DMRC ने यह भी स्पष्ट किया कि “किराया संशोधन केवल स्वतंत्र किराया निर्धारण समिति (Fare Fixation Committee) की सिफारिशों पर होता है, और यह बदलाव 2017 के बाद पहली बार हुआ है।”
क्या हैं राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
AAP ने किराया वृद्धि की आलोचना की और आरोप लगाया कि “भाजपा सरकार ने छात्रों के लिए मुफ्त मेट्रो पास का वादा किया था, लेकिन इसके उलट किराया बढ़ाकर आर्थिक बोझ डाला। AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली और केंद्र सरकार से इस पर जवाब मांगा। AAP ने यह भी उल्लेख किया कि “उनके राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने जनवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर छात्रों के लिए 50% मेट्रो किराया छूट की मांग की थी, जिसमें दिल्ली और केंद्र सरकार मिलकर खर्च वहन करें।
फरवरी 2025 में सोशल मीडिया पर किराया वृद्धि की अफवाहें फैली थीं, जिन्हें DMRC ने खारिज किया था, यह कहते हुए कि बिना किराया निर्धारण समिति के गठन के ऐसा संभव नहीं है।
छात्रों और जनता की नाराजगी
छात्रों का प्रदर्शन दिल्ली मेट्रो किराया वृद्धि के खिलाफ उनकी आर्थिक और सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दर्शाता है। उनकी मांगें किराया वृद्धि वापस लेने, रियायती पास शुरू करने, और मेट्रो में सुरक्षा व सुविधाएं बढ़ाने पर केंद्रित हैं। DMRC ने इसे मामूली वृद्धि बताकर उचित ठहराया, लेकिन छात्रों और जनता की नाराजगी से यह मुद्दा राजनीतिक और सामाजिक बहस का विषय बन गया है। AAP और अन्य संगठनों ने इस मुद्दे को उठाकर सरकार पर दबाव बढ़ाया है, लेकिन अभी तक किराया वृद्धि वापस लेने या रियायती पास की मांग पर कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है।