
अनिल गुप्ता
स्पेशल डेस्क
इस्कॉन द्वारका में रविवार को “प्रेम और भक्ति का दिव्य उत्सव” हर्षोल्लास और आध्यात्मिक उमंग के साथ सम्पन्न हुआ। श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश के नौका विहार उत्सव के पावन अवसर पर हजारों भक्तों की उपस्थिति में भक्ति, सेवा और आध्यात्मिकता का अनुपम संगम देखने को मिला।
उत्सव की शुरुआत शाम 4:00 बजे उत्सव पंडाल में कीर्तन और उद्घाटन के साथ हुई। श्रद्धालुओं ने तालियों और जयकारों के बीच श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश की सुसज्जित नौका पर आगमन का भव्य स्वागत किया।
मानसी गंगा लीला का जीवंत मंचन
इस वर्ष विशेष आकर्षण के रूप में पंडाल के अंदर एक भव्य स्विमिंग पूल में राधा-कृष्ण की नौका झाँकी प्रस्तुत की गई, जो दिव्य मानसी गंगा लीला का पुनरुत्पादन था। भक्तगण स्वयं नाविक बने और राधा-कृष्ण की सेवा में पतवार चलाकर इस दिव्य लीला को सजीव किया।
नौका विहार के दौरान पुष्प अर्पण, सुगंधित फूलों की वर्षा और संगीतपूर्ण कीर्तन ने पूरे वातावरण को भक्तिरस से सराबोर कर दिया। स्वेच्छा से सेवा में लगे भक्तों ने रंगोली और फूलों से पंडाल को दिव्य स्वरूप प्रदान किया।

महाअभिषेक, भोग और महाआरती
शाम 6:30 बजे श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश का महाअभिषेक सम्पन्न हुआ, जिसके बाद 7:30 बजे भव्य भोग अर्पण किया गया। रात्रि 8:00 बजे महा आरती के साथ कार्यक्रम अपने आध्यात्मिक चरम पर पहुँचा, और अंत में सभी उपस्थितों को प्रेमपूर्वक पवित्र प्रसाद वितरित किया गया।
सेवा में भागीदारी
इस भव्य आयोजन में सैकड़ों भक्तों ने विभिन्न सेवाओं— रंगोली, सजावट, कीर्तन, प्रसाद वितरण, और पतवार सेवा— में उत्साहपूर्वक भाग लिया। यह उत्सव राधा-कृष्ण की सेवा में एक सामूहिक भावनात्मक समर्पण का प्रतीक बन गया।
राधाष्टमी की झलक
उत्सव के विभिन्न पहलुओं में आगामी राधाष्टमी की झलक भी देखने को मिली, जो भक्तों के लिए राधा भाव और सेवा भावना को और भी प्रगाढ़ करने का प्रेरक स्रोत बनी।
श्रील प्रभुपाद की शिक्षाओं के अनुरूप, यह नौका उत्सव न केवल एक भक्ति-मूलक आयोजन था, बल्कि राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम को अनुभूत करने का सजीव माध्यम भी बना। इस्कॉन द्वारका के इस आयोजन ने भक्तों को सेवा, समर्पण और संग की शक्ति का स्मरण कराया।
देखिये पूरी रिपोर्ट मानव कश्यप के साथ