
एम्स (AIIMS) ने हाल ही में एक ऐसा मेडिकल और सामाजिक कदम उठाया है, जिसने भारतीय चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान (research) के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है. 32 वर्षीय वंदना जैन ने पांचवें महीने में गर्भपात (fifth-month abortion) हुआ. दुःख के उस पल में, वंदना और उनके पति की एक बहादुरी से भरी पहल की.
दंपति ने भ्रूण (fetus) को शोध और शिक्षा के लिए एम्स को दान कर दिया. कहा जा रहा है कि ये भारत में पहली बार है जहां भ्रूण दान (fetal donation) को औपचारिक रूप से स्वीकार किया गया है. दधीचि देहदान समिति और एम्स की एनाटॉमी विभाग की टीम ने मिलकर इस प्रक्रिया को संभव बनाया.