
सरल डेस्क
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में शताब्दी वर्ष समारोह का आयोजन कर रहा है। यह ऐतिहासिक वर्ष 1925 में संघ की स्थापना से प्रारंभ होकर 2025 में समाप्त होगा। संघ की स्थापना 27 सितंबर, 1925 को विजयादशमी के दिन नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा की गई थी, इसलिए इस वर्ष का समापन भी विजयादशमी उत्सव के साथ ही होगा। समारोह का शुभारंभ 2 अक्टूबर को विजयादशमी के दिन नागपुर के रेशिमबाग मैदान में होगा। इस अवसर पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत उद्घाटन सत्र को संबोधित करेंगे, जबकि पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करेंगे।
समारोह कब और कहां ?
2 अक्टूबर (विजयादशमी), सुबह 7:40 बजे। रेशिमबाग मैदान, नागपुर (महाराष्ट्र)। शस्त्र पूजन और शक्ति स्वरूपा की आराधना। मोहन भागवत का विशेष संबोधन, जिसमें संघ के शताब्दी वर्ष की योजनाओं, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण और नागरिक कर्तव्यों पर जोर दिया जाएगा। लाखों स्वयंसेवकों का पथ संचलन (पिछले वर्षों में 65,000 से अधिक स्वयंसेवक शामिल हुए थे; इस वर्ष 2 लाख से अधिक की उम्मीद)।
राम नाथ कोविंद (भारत के 14वें राष्ट्रपति रह चुके)। यह पहला अवसर होगा जब कोई पूर्व राष्ट्रपति विजयादशमी उत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। (नोट: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2018 में संघ शिक्षा वर्ग में भाग लिया था, लेकिन विजयादशमी उत्सव में मुख्य अतिथि नहीं बने।)
शताब्दी वर्ष की योजनाएं
आरएसएस ने मार्च 2025 में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बैठक में शताब्दी वर्ष की रूपरेखा तैयार की। जुलाई 2025 में दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक में मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने योजनाओं पर चर्चा की। मुख्य फोकस पंच परिवर्तन पर है
परिवर्तन का क्षेत्र
सामाजिक समरसता समाज के सभी वर्गों में एकता और समानता को बढ़ावा। कुटुंब प्रबोधन परिवारों को जागरूक करना, सांस्कृतिक मूल्यों का प्रसार। पर्यावरण संरक्षण स्वावलंबी जीवनशैली और प्रकृति संरक्षण। स्व-आधारित जीवनशैली आत्मनिर्भरता और स्थानीय संसाधनों का उपयोग। नागरिक कर्तव्य राष्ट्र सेवा और सामाजिक जिम्मेदारियों का पालन।
देशव्यापी आयोजन
शताब्दी वर्ष में 1,500-1,600 हिंदू सम्मेलन, व्याख्यानमालाएं और जनसंपर्क कार्यक्रम आयोजित होंगे। 26 अगस्त, 2025 से मोहन भागवत के व्याख्यान के साथ श्रृंखला शुरू हो चुकी है। सितंबर 2025 तक मध्य प्रदेश में ही 1.5 लाख गणवेश वितरित हो चुके हैं। इंदौर सहित 36 शहरों में वस्तु भंडार खोले गए। मोहन भागवत ने स्थानीय पदाधिकारियों से कई दौर की चर्चा की।
प्रधानमंत्री का संदेश
पीएम नरेंद्र मोदी ने शताब्दी वर्ष पर स्वयंसेवकों को बधाई दी और मोहन भागवत के भाषण को सुनने की सलाह दी, संघ को राष्ट्र सेवा का प्रतीक बताया। यह समारोह न केवल संघ के 100 वर्षों की उपलब्धियों का जश्न है, बल्कि हिंदू समाज की एकजुटता, सांस्कृतिक मूल्यों और राष्ट्र निर्माण पर जोर देगा। विजयादशमी संघ का सबसे बड़ा उत्सव है, जहां शस्त्र पूजन के माध्यम से रक्षा और अनुशासन का संदेश दिया जाता है। कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की उपस्थिति संघ के वैचारिक प्रभाव को रेखांकित करती है।