
सरल डेस्क
दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 10 दिनों के अंदर “उपयुक्त” सरकारी आवास आवंटित करने का आश्वासन दिया। यह आश्वासन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस सचिन दत्ता की एकलपीठ को दिया, जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए थे।
केजरीवाल की वर्तमान स्थिति
अक्टूबर 2024 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद केजरीवाल ने अपना आधिकारिक निवास (6, फ्लैगस्टाफ रोड) खाली कर दिया था। तब से वे पार्टी सहयोगी के मंडी हाउस के पास स्थित आधिकारिक क्वार्टर में रह रहे हैं।
AAP ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर केजरीवाल को दिल्ली में सरकारी बंगला आवंटित करने की मांग की। पार्टी का तर्क था कि मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दल के अध्यक्ष के रूप में केजरीवाल को दिल्ली में एक सरकारी आवास का हक है, बशर्ते उनके पास निजी मकान न हो या अन्य आधिकारिक क्षमता में आवास न आवंटित हो। AAP ने विशेष रूप से 35, लोधी एस्टेट (जो पहले BSP प्रमुख मायावती का था) का बंगला मांगा, लेकिन केंद्र ने सूचित किया कि यह जुलाई में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी को आवंटित हो चुका है।
आवास सामान्य पूल से राजनीतिक दलों को आवंटन के दिशानिर्देशों के मुताबिक, राष्ट्रीय दल के अध्यक्ष को दिल्ली में एक सरकारी आवास मिलना चाहिए।
AAP के पक्ष में राहुल मेहरा ने तर्क दिया
वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने तर्क दिया कि “केजरीवाल को टाइप-7 या टाइप-8 बंगला मिलना चाहिए, न कि टाइप-5 का डाउनग्रेड। उन्होंने आरोप लगाया कि यह भेदभावपूर्ण व्यवहार है, जैसे “मैं बहुजन समाज पार्टी नहीं हूं”।
केंद्र ने दिया आश्वासन
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि “राजनीतिक दल किसी विशिष्ट बंगले की मांग नहीं कर सकते; आवंटन उपलब्धता और वेटिंग लिस्ट पर निर्भर करता है। उन्होंने मेहरा के तर्क पर टिप्पणी की, “ये नारे चुनावों के लिए ठीक हैं, कोर्ट में नहीं।” फिर भी, मेहता ने आश्वासन दिया “उन्हें आज से 10 दिनों के अंदर उपयुक्त आवास आवंटित कर दिया जाएगा। आप मेरी बात रिकॉर्ड कर सकते हैं।”
कोर्ट की टिप्पणियां
जस्टिस दत्ता ने केंद्र के “फ्री फॉर ऑल” दृष्टिकोण की आलोचना की और कहा कि “आवंटन प्रक्रिया मनमानी या चयनात्मक नहीं होनी चाहिए। उन्होंने मंत्रालय की प्रथा पर सवाल उठाए कि यह न केवल राजनेताओं बल्कि गैर-राजनेताओं के लिए भी एक व्यापक मुद्दा है जिसे हल करना जरूरी है। कोर्ट ने आश्वासन को ऑर्डर में रिकॉर्ड कर लिया और केजरीवाल को असंतुष्टि होने पर मंत्रालय से सीधे संपर्क करने की छूट दी।
कोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाई
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाई थी कि “आवंटन को वेटिंग लिस्ट के बहाने अनिश्चितकाल के लिए लटकाया नहीं जा सकता। कोर्ट ने आवंटन नीति, वर्तमान वेटिंग लिस्ट और 35 लोधी एस्टेट के पुन:आवंटन की तारीख रिकॉर्ड करने का निर्देश दिया था। साथ ही, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) के संयुक्त सचिव और डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट्स के निदेशक को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेश होने को कहा गया था।
यह आश्वासन AAP की लंबे समय से चली आ रही मांग को समाप्त करने की दिशा में एक कदम है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आवंटन नियमों के अनुसार होगा, लेकिन श्रेणी (टाइप-7/8) पर बहस बनी हुई है। यदि 10 दिनों (यानी 5 अक्टूबर 2025 तक) में आवंटन न हुआ, तो AAP दोबारा कोर्ट जा सकती है। यह मामला राजनीतिक आवास आवंटन में पारदर्शिता और निष्पक्षता के व्यापक मुद्दे को उजागर करता है।