
सरल डेस्क
पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित शिक्षक भर्ती घोटाले में फंसे पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को कोलकाता हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। 26 सितंबर को हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी, जो दुर्गा पूजा (अक्टूबर 2025 में होने वाली) से ठीक पहले आया फैसला है। हालांकि, रिहाई में अभी कुछ बाधाएं हैं, और वकीलों का मानना है कि पूजा की छुट्टियों के कारण यह प्रक्रिया थोड़ी लंबी खिंच सकती है।
क्या है घोटाला कैसे शुरू हुआ?
यह मामला पश्चिम बंगाल में सरकारी स्कूलों (प्राथमिक, सहायक शिक्षक और अन्य पदों) में शिक्षकों की भर्ती से जुड़ा है। आरोप है कि योग्य उम्मीदवारों की बजाय अयोग्य लोगों को रिश्वत लेकर नौकरियां दी गईं। कुल 24,000 से अधिक पदों पर अनियमितताएं सामने आईं।
जून 2022 में शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) में असफल उम्मीदवारों ने कोलकाता हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने 8 जून 2022 को सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) को जांच सौंपी। पार्थ चटर्जी (तत्कालीन शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता), सुबीर भट्टाचार्य (पूर्व एसएससी अध्यक्ष), कल्याणमय गांगुली (पूर्व माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अध्यक्ष), शांतिप्रसाद सिन्हा और अशोक साहा जैसे अधिकारी।
वित्तीय आयाम और छापेमारी
ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की छापेमारी में चटर्जी के करीबी के ठिकानों से 21.9 करोड़ रुपये नकद और 76 लाख रुपये के सोने के आभूषण बरामद हुए। कुल घोटाले का अनुमानित मूल्य सैकड़ों करोड़ रुपये है। चटर्जी को जुलाई 2022 में गिरफ्तार किया गया, मंत्री पद से हटाया गया और TMC ने उनसे दूरी बना ली। वे 2001 से विधायक हैं और 2011-2022 तक मंत्री रहे।
हाईकोर्ट का फैसला
26 सितंबर को कोलकाता हाईकोर्ट ने चटर्जी को सख्त शर्तों के साथ जमानत दी। शर्तें शामिल हैं:पासपोर्ट जमा करना। जांच में सहयोग करना और गवाहों को प्रभावित न करना। सार्वजनिक पदों से दूर रहना। 90,000 रुपये का बॉन्ड जमा करना।
दुर्गा पूजा कनेक्शन
यह फैसला पूजा से ठीक पहले आया, जिससे चटर्जी की रिहाई की उम्मीद बढ़ गई। वे तीन साल से अधिक समय से जेल में हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने आदेश (जिसमें जमानत दी गई लेकिन रिहाई चार्जशीट और गवाहों की गवाही के बाद) के कारण औपचारिकताएं पूजा की छुट्टियों (अक्टूबर मध्य) के बाद ही पूरी हो सकेंगी।
सुप्रीम कोर्ट (अगस्त 2025): जमानत दी, लेकिन रिहाई गवाहों के बयान दर्ज होने के बाद। कोर्ट ने चार सप्ताह में आरोप तय करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट (दिसंबर 2024) मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत, लेकिन 1 फरवरी 2025 तक रिहाई का आदेश। हाईकोर्ट (नवंबर-दिसंबर 2024) कई याचिकाएं खारिज हुईं, लेकिन अब TET मामले में राहत। ईडी और सीबीआई के अन्य मामलों में पहले ही जमानत मिल चुकी है।
वर्तमान स्थिति और रिहाई की संभावना
वकीलों के अनुसार, दुर्गा पूजा से पहले रिहा होना मुश्किल, लेकिन हाईकोर्ट के फैसले से रास्ता साफ हो गया। निचली अदालतों में औपचारिकताएं बाकी हैं। सीबीआई ने हाल ही में तबादलों के खेल का खुलासा किया—चटर्जी ने भरोसेमंद अधिकारियों की टीम बनाई और निचले अधिकारियों को बार-बार बदला ताकि डेटा में हेरफेर छिपा रहे। ट्रायल तेज करने के निर्देश हैं।
TMC ने चुप्पी साधी, जबकि विपक्ष (बीजेपी) इसे ‘बंगाल की सड़ांध’ बता रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले टिप्पणी की थी कि चटर्जी ‘भ्रष्ट व्यक्ति’ लगते हैं। यह घोटाला पश्चिम बंगाल की शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है, जहां हजारों योग्य उम्मीदवार प्रभावित हुए। जांच जारी है, और चटर्जी की रिहाई पर नजरें टिकी हैं।