
स्पेशल डेस्क
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले, 26 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल रूप से मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना (Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana) की शुरुआत की। इस योजना के तहत बिहार की 75 लाख महिलाओं (जो कुल 3.39 करोड़ महिला वोटरों का लगभग 22% हिस्सा हैं) के बैंक खातों में 10-10 हजार रुपये की पहली किस्त ट्रांसफर कर दी गई है। कुल राशि 7,500 करोड़ रुपये है। यह योजना महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करने का दावा करती है, लेकिन राजनीतिक हलकों में इसे NDA (नीतीश कुमार-बीजेपी गठबंधन) की चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। आइए, पूरी रिपोर्ट को विस्तार में एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
योजना आर्थिक सहायता देकर स्वरोजगार
हर परिवार की एक महिला को आर्थिक सहायता देकर स्वरोजगार या आजीविका गतिविधि शुरू करने में मदद करना। यह महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और सशक्तिकरण पर फोकस करती है। लाभार्थी जीविका स्वयं सहायता समूह (SHG) से जुड़ी महिलाएं हों। महिला या उसके पति की सालाना आय 5 लाख रुपये से कम हो। उम्र 18-60 वर्ष।
पहली किस्त 10,000 रुपये (ट्रांसफर हो चुका)। 6 महीने बाद काम की समीक्षा पर अधिकतम 2 लाख रुपये तक अतिरिक्त सहायता। कैबिनेट ने 20,000 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है, जिसमें 2.5 करोड़ महिलाओं को कवर करने का लक्ष्य है। 29 अगस्त को नीतीश कुमार ने घोषणा की, और 26 सितंबर को पीएम मोदी ने वर्चुअल उद्घाटन किया। नवरात्रि के मौके पर इसे “नारी शक्ति” से जोड़कर पेश किया गया।
क्या हैं योजना के प्रमुख बिंदु
लाभार्थी संख्या (पहला चरण) 75 लाख महिलाएं। कुल राशि (पहली किस्त) 7,500 करोड़ रुपये।अतिरिक्त सहायता 2 लाख रुपये तक (समीक्षा के बाद)। नोडल विभाग ग्रामीण विकास विभाग (शहरी विकास विभाग सहयोगी)। आवेदन प्रक्रिया जीविका SHG के माध्यम से, सितंबर से शुरू।
चुनावी लाभ या वास्तविक सशक्तिकरण?
बिहार में महिलाएं कुल मतदाताओं का 48% हैं, और पिछले चुनावों (2020 विधानसभा, 2024 लोकसभा) में महिलाओं का वोट प्रतिशत पुरुषों से अधिक रहा (लोकसभा में 59.45% vs 53%)। नीतीश कुमार ने 2005 से महिलाओं को फोकस किया है (शराबबंदी, 50% पंचायत आरक्षण आदि), जिससे NDA को फायदा हुआ। यह योजना उसी कड़ी का हिस्सा लगती है।
पीएम मोदी ने कहा, “नरेंद्र और नीतीश आपके दो भाई हैं।” योजना से बिहार में सबसे ज्यादा ‘लाखपति दीदियां’ बनेंगी। JDU के संजय झा का कहना है कि महिलाएं फिर से NDA को वोट देंगी, क्योंकि नीतीश ने उन्हें “गिनती में लाया”।
विपक्ष का हमला
प्रियंका गांधी ने कहा, “10 हजार रुपये से वोट खरीदना चाहते हैं।” उन्होंने ‘माई बहन मान योजना’ का वादा किया है – हर महीने 2,500 रुपये। अलका लांबा ने नीतीश पर पुराने वादे न निभाने का आरोप लगाया। प्रशांत किशोर ने नीतीश सरकार को “सबसे भ्रष्ट” बताया, लेकिन महिलाओं के लिए योजना का स्वागत किया। तेजस्वी यादव ने कहा कि यह “चुनावी स्टंट” है।
अन्य राज्यों में ऐसी योजनाएं गेम चेंजर रहीं – मध्य प्रदेश (लाड़ली बहना), महाराष्ट्र (लड़की बहन), झारखंड (मैया सम्मान)। वहां महिलाओं के वोट शिफ्ट हुए। बिहार में भी 22% कवरेज से NDA को फायदा हो सकता है, लेकिन विपक्ष की मासिक राशि का वादा चुनौती है।
क्या ये गेम चेंजर साबित होंगे ?
हां के पक्ष में महिलाओं की संख्या बड़ी है, और योजना का तत्काल ट्रांसफर (DBT) प्रभावी। AajTak के विश्लेषण में इसे “गेम चेंजर” कहा गया, क्योंकि मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र जैसे राज्यों में NDA को इसी से फायदा हुआ। शराबबंदी से महिलाओं का समर्थन बढ़ा। 2020 चुनाव में महिलाओं ने NDA को ज्यादा वोट दिए। बजट बड़ा 20,000 करोड़ से लंबे समय तक असर।
नहीं के पक्ष में महिलाओं का डर
कुछ लाभार्थी (जैसे पूर्णिया की कौसल्या देवी) रिकवरी एजेंट्स से डर रही हैं, क्योंकि पहले माइक्रोफाइनेंस लोन के नाम पर धोखा हुआ। Outlook की रिपोर्ट में महिलाएं कह रही हैं कि वे “स्थायी रोजगार” चाहती हैं, न कि “चुनावी तोहफा”। आरजेडी नेता मृत्युंजय तिवारी ने इसे “फ्रीबी पॉलिटिक्स” कहा। महागठबंधन की मासिक 2,500 रुपये की योजना ज्यादा आकर्षक लग सकती है।
विपक्ष के वादों का जवाब
यह योजना गेम चेंजर साबित हो सकती है, खासकर ग्रामीण महिलाओं (जीविका SHG से जुड़ी) के बीच, जहां तत्काल नकदी राहत बड़ी बात है। लेकिन सफलता इस पर निर्भर करेगी कि आगे की किस्तें समय पर मिलती हैं और विपक्ष के वादों का जवाब कैसे दिया जाता है। चुनावी तारीखें अक्टूबर में घोषित होने की संभावना है, तो असर जल्द दिखेगा। अगर महिलाएं इसे “नीतीश का भरोसा” मानें, तो NDA मजबूत होगा; वरना, महागठबंधन को फायदा।