
स्पेशल डेस्क
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने 25 सितंबर को व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक के दौरान उनकी तारीफों के पुल बांधे। शरीफ ने ट्रंप को “मैन ऑफ पीस” (शांति का सौदागर) करार देते हुए कहा कि उनकी साहसी और निर्णायक कार्रवाइयों ने भारत-पाकिस्तान के बीच मई 2025 में सीजफायर कराकर दक्षिण एशिया में एक “महाविपत्ति” को टाल दिया। यह मीटिंग पाक-अमेरिका संबंधों में गर्मजोशी का नया अध्याय खोलती नजर आ रही है, जहां शरीफ ने ट्रंप को पाकिस्तान दौरे का न्योता भी दिया।
ट्रंप की तारीफ में कोई कसर नहीं
शरीफ पाकिस्तानी आर्मी चीफ फील्ड मार्शल सैयद आसिम मुनीर के साथ ओवल ऑफिस पहुंचे। ट्रंप ने दोनों को “ग्रेट लीडर्स” बताया। यह मीटिंग यूएन जनरल असेंबली (UNGA) के साइडलाइंस पर न्यूयॉर्क में हुई संक्षिप्त मुलाकात के बाद हुई।
शरीफ ने कहा, “ट्रंप की साहसी कार्रवाइयों ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष को रोका और दक्षिण एशिया में बड़ी तबाही टाली।” उन्होंने ट्रंप को नोबेल पीस प्राइज के लिए नामित करने का समर्थन भी किया, जो पाकिस्तान की तरफ से आया था। इसके अलावा, गाजा संकट पर ट्रंप की मध्य पूर्व शांति पहल की सराहना की, जहां ट्रंप ने मुस्लिम देशों के नेताओं को न्यूयॉर्क में आमंत्रित किया था।
आतंकवाद और सुरक्षा
शरीफ ने पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी प्रयासों की सराहना के लिए ट्रंप को धन्यवाद दिया और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सहयोग बढ़ाने की बात कही। जुलाई 2025 में हुए ट्रेड डील का जिक्र किया, जिसमें अमेरिका पाकिस्तान के अनछुए तेल भंडार विकसित करने में मदद करेगा और पाकिस्तानी निर्यात पर टैरिफ कम होंगे। शरीफ ने अमेरिकी कंपनियों को कृषि, आईटी, माइनिंग और ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश के लिए आमंत्रित किया। शरीफ ने ट्रंप को पाकिस्तान यात्रा का निमंत्रण दिया, इसे दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करने का मौका बताया।
भारत-पाक सीजफायर
यह तारीफ मई 2025 के भारत-पाकिस्तान सीजफायर से जुड़ी है, जिसे ट्रंप ने मध्यस्थता का श्रेय दिया। ट्रंप ने दावा किया कि “उनकी ब्रोकरेज में “पूर्ण और तत्काल” सीजफायर हुआ, जो जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में था। शरीफ ने इसे “नई शुरुआत” बताया, जो क्षेत्रीय मुद्दों (जैसे कश्मीर) के समाधान का मार्ग प्रशस्त करेगा। हालांकि, भारत ने ट्रंप की भूमिका को खारिज किया था।
क्या है पाकिस्तान का फायदा ?
विश्लेषकों का मानना है कि यह तारीफ वाशिंगटन को खुश करने की कोशिश है। चीन के निवेश धीमे पड़ने और खाड़ी देशों के आंतरिक सुधारों के बीच, पाकिस्तान ट्रंप की “ट्रांजेक्शनल डिप्लोमेसी” से फायदा उठाना चाहता है। लेकिन, गाजा पर ट्रंप की इजरायल-समर्थक नीति (जिसमें गाजा पर अमेरिकी कंट्रोल का सुझाव) पाकिस्तान की फिलिस्तीन-समर्थक स्टांस से टकराती है। इससे भारत के साथ संबंध खराब हो सकते हैं।
पाक-अमेरिका संबंधों में “वाटरशेड मोमेंट”
यह मीटिंग पाक-अमेरिका संबंधों में “वाटरशेड मोमेंट” है, लेकिन शरीफ की “मक्खनबाजी” लंबे समय तक फायदेमंद रहेगी या नहीं, यह आने वाले दिनों बताएंगे। ट्रंप ने पाकिस्तान को पहले “आतंकियों का सुरक्षित ठिकाना” कहा था, लेकिन अब संबंध गर्म हैं। पूरी घटना UNGA 80वें सेशन के दौरान घटी, जहां शरीफ ने ट्रंप के साथ अन्य मुस्लिम नेताओं के साथ गाजा पर चर्चा भी की।