
दिल्ली डेस्क
साहित्य आजतक 2025 साहित्य उत्सव का अंतिम दिन 23 नवंबर को दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में संपन्न हुआ। यह तीन दिवसीय आयोजन साहित्य, कला और संगीत के प्रमुख हस्तियों को समर्पित था। हर दिन की शुरुआत कवि, लेखक और मोटिवेशनल स्पीकर डॉ. कुमार विश्वास ने रामकथा सुनाकर की, जिसमें उन्होंने राम को दुनिया का सबसे बड़ा प्रशासक बताया। इस सत्र में विश्वास ने राम राज्य की अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की और महात्मा गांधी के विचारों का जिक्र किया।
गांधीजी और राम राज्य मॉडल
कार्यक्रम के दौरान कुमार विश्वास ने स्पष्ट कहा कि “महात्मा गांधी का मानना था कि विश्व शांति केवल राम राज्य के मॉडल से ही संभव है। उन्होंने कहा “आज कई लोग हैं जो राम को कल्पना मानते हैं। लेकिन मैं उनसे कहना चाहता हूं कि जिसकी दुहाई लेकर आपने भारत पर 70 साल राज किया, उन महात्मा गांधी ने कहा था कि विश्व में अगर शांति आ सकती है तो राम राज्य के मॉडल से आ सकती है।”
विश्वास ने राम राज्य की व्याख्या भी की
“राम राज्य राम के आने के बाद नहीं आया बल्कि राम राज्य वो है जो उनके भाई भरत ने राम की नीतियों के अनुसार चलाया। उसे राम राज्य कहते हैं।” यह बयान राम की ऐतिहासिक और प्रशासनिक भूमिका पर केंद्रित था, जहां विश्वास ने राम को न केवल धार्मिक नायक बल्कि एक आदर्श शासक के रूप में पेश किया।
विश्वास ने हास्य कवियों की आलोचना की, जो किसी की वेशभूषा पर टिप्पणी करते हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री (जो पहले मंदिर के ट्रस्टी थे) का उदाहरण दिया और कहा “आप किसी वेशभूषा पर टिप्पणी क्यों करते हों। मेरी बात को किसी के लिए तारीफ ना समझें। अगर उनकी सरकार गलत करे तो आंदोलन करो। सड़क पर उतरो।”
भरत के शासन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा “किसी से यह मत कहो कि ये कैसे राज्य चलाएगा क्योंकि उन्हीं गेरुआ वस्त्र में वैसे ही कपड़ों में भरत ने भी राज्य चलाया और आदर्श स्थापित किया था।” यह सत्र रामकथा के माध्यम से प्राचीन भारतीय मूल्यों को आधुनिक संदर्भों से जोड़ने पर केंद्रित रहा, जहां गांधीजी के विचारों को विश्व शांति के लिए एक व्यावहारिक मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया गया।