
सरल डेस्क
कोलकाता/मुर्शिदाबाद :- पश्चिम बंगाल की सियासत में शनिवार को एक बड़ा राजनीतिक ड्रामा देखने को मिला। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा (भरतपुर विधानसभा क्षेत्र) में अयोध्या की बाबरी मस्जिद के मॉडल पर आधारित एक नई मस्जिद का शिलान्यास किया। इस कार्यक्रम के महज कुछ घंटों बाद ही कबीर ने एक चौंकाने वाला ऐलान किया – 22 दिसंबर को नई पार्टी बनाने और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के साथ गठबंधन कर बंगाल विधानसभा चुनाव (2026) लड़ने का।
भीड़ और विवाद का केंद्र
शनिवार (6 दिसंबर) को कड़ी सुरक्षा के बीच बेलडांगा में आयोजित इस कार्यक्रम में कबीर ने दावा किया कि करीब 8 लाख लोग जुटे। समर्थकों ने सिर पर ईंटें लादकर मस्जिद निर्माण में योगदान दिया, जिससे एनएच-12 पर भारी जाम लग गया। मुख्य रूप से मालदा और मुर्शिदाबाद के स्थानीय लोग शामिल हुए। कबीर ने कहा कि स्थानीय पुलिस की कोई मदद नहीं ली गई, फिर भी कार्यक्रम शांतिपूर्ण रहा। कबीर ने स्पष्ट किया कि मस्जिद के साथ-साथ अस्पताल और कॉलेज भी बनाया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि पूरे देश के उद्योगपतियों से समर्थन मिल रहा है, और मुस्लिम समुदाय से चंदा इकट्ठा हो रहा है। रविवार को भी लोग ईंटें जमा करने और दानपेटी में पैसे डालने पहुंच रहे हैं।
यह शिलान्यास बाबरी मस्जिद विध्वंस की 32वीं बरसी (6 दिसंबर) पर हुआ, जिसने धार्मिक और राजनीतिक तनाव को बढ़ा दिया। भाजपा ने ममता बनर्जी सरकार पर ‘तुष्टिकरण की राजनीति’ का आरोप लगाया, जबकि टीएमसी ने कबीर को पार्टी से निष्कासित कर दिया। कबीर पहले ही 5 दिसंबर को टीएमसी से इस्तीफा देने की बात कह चुके थे।
हुमायूं कबीर का बड़ा ऐलान..नई पार्टी और ओवैसी गठबंधन
एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में कबीर ने कहा, “मैं 22 दिसंबर को नई पार्टी की घोषणा करूंगा। एआईएमआईएम के संपर्क में हूं और ओवैसी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ूंगा।” उन्होंने जोर देकर कहा कि यह गठबंधन बंगाल में भाजपा को सत्ता में आने से रोकेगा और टीएमसी की सत्ता वापसी को भी विफल करेगा। कबीर की नई पार्टी 2026 के विधानसभा चुनाव में 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। फोकस मुसलमानों और दलितों पर होगा, जिन्हें वे ‘मुख्यधारा की पार्टियों द्वारा नजरअंदाज’ बताते हैं। उनका दावा है कि यह गठबंधन टीएमसी के अल्पसंख्यक वोट बैंक को तोड़ देगा और बंगाल की सियासत में ‘गेम-चेंजर’ साबित होगा।
कबीर ने पुष्टि की कि “ओवैसी से बात हो चुकी है, और गठबंधन मुसलमानों की एकजुट आवाज बनेगा। एआईएमआईएम बंगाल में पहले से सक्रिय है, और यह गठबंधन राज्य स्तर पर मजबूत मुस्लिम वोट बैंक को लक्षित करेगा।
ममता बनर्जी के लिए सिरदर्द
कबीर का यह कदम टीएमसी के लिए बड़ा झटका है। मुर्शिदाबाद जैसे मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में टीएमसी का वोट बैंक मजबूत है, लेकिन कबीर के बागी तेवर से यह बंट सकता है। कबीर ने टीएमसी पर ‘कट्टर बयानों को नजरअंदाज करने’ का आरोप लगाया, जबकि पार्टी ने उन्हें ‘अनुशासनहीनता’ के लिए निष्कासित किया। भाजपा प्रवक्ताओं ने इसे ‘ध्रुवीकरण की साजिश’ बताया और ममता सरकार पर हमला बोला। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना बंगाल में 2026 चुनाव से पहले सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को तेज कर सकती है।
टीएमसी ने कबीर को मंत्री बनाया था, लेकिन उनके विवादित बयानों (जैसे कट्टरता भरे भाषण) पर कार्रवाई नहीं की। अब निष्कासन के बाद वे खुद को ‘देश का सबसे बड़ा मुस्लिम नेता’ बनाने की कोशिश में हैं। यह घटना बंगाल की सियासत को नई दिशा दे सकती है, जहां मुस्लिम वोट (लगभग 27%) निर्णायक भूमिका निभाते हैं। कबीर का ओवैसी गठबंधन यदि साकार हुआ, तो यह राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बनेगा।