
उत्तराखंड डेस्क
देहरादून: कड़ी मेहनत, दृढ़ इच्छाशक्ति और अनुशासन की मिसाल बनते हुए किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले लोकेश कुमार ने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर इतिहास रच दिया है। उनकी इस शानदार उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार को गर्व से भर दिया, बल्कि पूरे क्षेत्र का मान बढ़ाया है। गांव में खुशी का माहौल ऐसा है मानो किसी त्यौहार का जश्न मनाया जा रहा हो।
देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA) में आयोजित भव्य पासिंग आउट परेड (POP) के दौरान यह गर्व से भरा क्षण सामने आया जब लोकेश कुमार के पिता सूरजपाल सिंह और माता ने स्वयं उनके कंधों पर लेफ्टिनेंट के स्टार लगाए। मंच पर हुए इस सम्मानजनक पल ने हर किसी की आंखें नम कर दीं। माता-पिता के लिए यह सिर्फ एक उपलब्धि नहीं, बल्कि वर्षों की मेहनत, संघर्ष और सपनों का साकार होना था।
लोकेश की प्रतिभा और मेहनत का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें एक साथ स्पेशल कमीशन ऑफिसर, टेक्निकल ऑफिसर और रिकॉर्ड ऑफिसर जैसे तीन महत्वपूर्ण विकल्प मिले थे। गहन विचार-विमर्श और करियर की दृष्टि से उन्होंने रिकॉर्ड ऑफिसर पद को चुनकर एक समझदारी भरा निर्णय लिया।
गांव के बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक हर कोई लोकेश की इस सफलता को नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा मान रहा है। परिवार का कहना है कि लोकेश बचपन से ही अनुशासनप्रिय और लक्ष्य को लेकर गंभीर रहे हैं। उनकी कामयाबी यह साबित करती है कि ग्रामीण परिवेश से निकलकर भी बड़े सपने पूरे किए जा सकते हैं—बस ज़रूरत होती है लगन और निरंतर प्रयास की।
लोकेश कुमार की इस सफलता ने न सिर्फ गांव, बल्कि पूरे जिले में उत्साह और गौरव का माहौल पैदा कर दिया है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी यह उपलब्धि क्षेत्र के अन्य युवाओं को भी सेना में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगी।