
अनिल गुप्ता, नई दिल्ली
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की द्विदिवसीय बैठक आज (मंगलवार) दोपहर 3 बजे इंद्रप्रस्थ नगरी (दिल्ली) के पंजाबी बाग में प्रारंभ हुई। बैठक का उद्घाटन ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज की अध्यक्षता में हुआ। देशभर से लगभग 300 संत एकत्र हुए हैं।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार जी ने हिंदू समाज के समक्ष उभरती चुनौतियों पर प्रकाश डाला और संत समाज से निम्न मुद्दों पर मार्गदर्शन देने का आग्रह किया—
- हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की आवश्यकता
- देशभर में बढ़ते धर्मांतरण पर रोक हेतु प्रभावी उपाय
- धर्म-स्वातंत्र्य कानून को पूरे देश में समान रूप से लागू करना
- देश में बढ़ती जिहादी मानसिकता, कट्टरता और हिंसक घटनाओं पर चिंता
- सीमांत क्षेत्रों में सामाजिक समस्याएँ व नशामुक्ति अभियान
- आगामी जनगणना में सभी हिंदुओं द्वारा अपने धर्म का उल्लेख “हिंदू” के रूप में करना

जिहादी मानसिकता पर चिंता
अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री पूज्य स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि कुछ समूह आज जिहाद और आतंकी मानसिकता को उचित ठहराने का साहस कर रहे हैं, जो अत्यंत चिंताजनक है। उन्होंने दिल्ली में हुए आतंकी हमले के आरोपी के समर्थन की प्रवृत्ति को खतरनाक बताया तथा संसद से कठोर कानून लाने की मांग की। स्वामी जी ने मंदिरों को सरकारी अधिग्रहण से मुक्त करने और जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता पर भी बल दिया।

बंगाल से आए संतों की चेतावनी
बंगाल से पधारे संतों ने राज्य में बढ़ती कट्टरता और हिंदुओं पर अत्याचार की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक मंचों से दिए जा रहे जिहादी बयान पूरे देश के लिए खतरे की घंटी हैं।
संस्कृति और परंपरा की शक्ति पर जोर
सुधांशु जी महाराज ने राममंदिर निर्माण के 500 वर्षों के संघर्ष का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की असली शक्ति उसके संतों, गुरुकुलों, आश्रमों और सांस्कृतिक परंपराओं में निहित है। उन्होंने गुरुकुल, पुजारी परंपरा, आश्रम और संस्कार केंद्रों को सुदृढ़ बनाने की जरूरत पर बल दिया।

अन्य गणमान्य संतों की उपस्थिति
बैठक में पूज्य जगद्गुरु स्वामी राम कमलचार्य जी, अटल पीठाधीश्वर पूज्य स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती जी महाराज, आचार्य महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी विशोकानंद जी महाराज, पूज्य स्वामी विवेकानंद जी महाराज, गीता मनीषी ज्ञानानंद जी महाराज, अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री पूज्य स्वामी जितेंद्रानन्द सरस्वती जी महाराज, विहिप उपाध्यक्ष श्री ओमप्रकाश सिंघल, संरक्षक श्री दिनेश चंद्र तथा सह संगठन मंत्री श्री विनायक राव सहित अनेक संत एवं पदाधिकारी मौजूद रहे।