Written by– Sakshi Srivastava
उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुए बस हादसे ने न केवल 36 लोगों की जान ली, बल्कि इस त्रासदी ने उन सभी के दिलों में गहरी छाप छोड़ी है जो इस दर्दनाक मंजर के साक्षी बने। हादसे में जीवित बचे लोग, जो इस भयावह दृश्य को अपनी आंखों से देख चुके हैं, उनका मानसिक आघात बहुत गहरा होगा। इस दुखद घटना से न सिर्फ अल्मोड़ा, बल्कि पूरे उत्तराखंड में शोक की लहर दौड़ गई है। स्थानीय प्रशासन और सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि वे प्रभावित परिवारों को जल्द से जल्द सहायता और राहत प्रदान करें। ऐसी घटनाएं हमें सुरक्षा के उपायों की अहमियत और यात्रा के दौरान सतर्क रहने की आवश्यकता की याद दिलाती हैं।
आपको बता दें अल्मोड़ा जिले के सल्ट विकासखंड के मरचूला क्षेत्र में हुई यह दुर्घटना वाकई बहुत भयावह और दुखद है। यात्रियों से खचाखच भरी बस का अनियंत्रित होकर करीब 150 फीट गहरी खाई में गिरना निश्चित रूप से बड़ी त्रासदी थी। घटनास्थल पर कूपी गांव और आसपास के क्षेत्रों के युवाओं द्वारा समय रहते घायलों को बाहर निकालने और प्रशासन को सूचित करने की तत्परता सराहनीय है। घायलों को निजी वाहनों से देवायल और रामनगर के अस्पतालों में भेजे जाने से उनकी जान बचाने में मदद मिली। ऐसे हादसों में स्थानीय समुदाय की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, और इस घटना में भी उनकी मदद से कई जिंदगियों को बचाया जा सका।
यह घटना बहुत ही गंभीर और चिंताजनक है। रामनगर अस्पताल में भर्ती घायल हरीश चंद्र पोखरियाल द्वारा दी गई जानकारी से यह स्पष्ट होता है कि बस चालक दिनेश सिंह मानसिक रूप से परेशान था और उसे पैसों को लेकर लगातार दबाव महसूस हो रहा था। चालक द्वारा यह बताया जाना कि उसे ढाई लाख रुपये किसी को देने हैं, यह उसकी मानसिक स्थिति को और अधिक तनावपूर्ण बनाता है। यात्रियों ने उसे हिम्मत दी, लेकिन तनाव की स्थिति में, वह बस पर नियंत्रण नहीं रख सका और हादसा हो गया।
यह घटना यह भी दर्शाती है कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, खासकर जब कोई व्यक्ति जिम्मेदार कार्यों को अंजाम दे रहा हो। इस तरह के तनावपूर्ण हालात में वाहन चलाना खतरनाक हो सकता है, और इसके लिए उचित मानसिक स्वास्थ्य सहायता और निगरानी की आवश्यकता है।
प्रशासनिक अधिकारियों,एसडीआरएफ, पुलिस, और पीएसी के जवानों ने त्वरित प्रतिक्रिया दी और राहत एवं बचाव कार्य में सक्रिय रूप से भाग लिया। घटनास्थल पर पहुँचने के बाद इन बलों ने अपनी जान की परवाह किए बिना घायल यात्रियों को राहत पहुंचाई और मृतकों के शवों को बाहर निकाला। 36 यात्रियों की मौत और 19 के घायल होने की सूचना, जिसमें बुजुर्ग और बच्चे भी शामिल हैं, एक गहरी त्रासदी है। यह हादसा न केवल प्रभावित परिवारों के लिए, बल्कि पूरी क्षेत्रीय समुदाय के लिए एक अपूरणीय क्षति है। इस प्रकार की घटनाओं में बचाव कार्य के दौरान स्थानीय प्रशासन और बचाव टीमों की तत्परता अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, और इस बार भी उन्होंने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई।
यह जानकारी दर्शाती है कि बस का फिटनेस और परमिट 12 मार्च 2025 तक वैध है, यानी उस तारीख तक यह कानूनी रूप से सड़कों पर चलने के लिए मान्य था। इसका मतलब यह है कि बस के संचालन की अनुमति और तकनीकी स्थिति दोनों ही नियमानुसार पूरी थीं, और यह हादसा किसी वाहन की फिटनेस या परमिट की कमी के कारण नहीं हुआ था।
हालांकि, जैसा कि पहले बताया गया, चालक के मानसिक तनाव और अन्य कारकों ने इस दुर्घटना का कारण बने।
यह घटना एक और गंभीर दुर्घटना का उदाहरण है, जिसमें जिला प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए त्वरित प्रतिक्रिया दी। पौड़ी जिले के डीएम डॉ. आशीष चौहान ने जिला आपदा परिचालन केंद्र में बैठक कर सभी संबंधित अधिकारियों से समन्वय स्थापित किया और दुर्घटना प्रभावितों को तुरंत राहत और बचाव कार्य मुहैया कराने के निर्देश दिए।
एसडीएम लैंसडौन और चौबट्टाखाल को घटनास्थल पर भेजने के साथ-साथ, राजस्व और विकास विभाग के क्षेत्रीय अधिकारियों और कर्मचारियों को भी राहत कार्यों में सक्रिय रूप से शामिल होने के निर्देश दिए गए। यह प्रशासन की तत्परता और समन्वय की मिसाल है, जो ऐसी परिस्थितियों में तत्काल कार्रवाई और बचाव कार्यों को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है।
कभी-कभी हमारी यात्रा तय करने से पहले ही खत्म हो जाती है, और ऐसा ही कुछ हुआ एक दुर्घटना में, जब चालक का मानसिक तनाव उसके रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा बन गया। एक सामान्य यात्रा जो मंजिल तक पहुंचने वाली थी, अचानक एक फोन कॉल के चलते अप्रत्याशित रूप से रुक गई।
चालक तनाव में था और बार-बार फोन पर व्यस्त हो रहा था। इस तनाव के कारण उसकी ध्यान केंद्रित नहीं हो पा रहा था, जिससे गाड़ी का नियंत्रण भी प्रभावित हो रहा था। यह घटना दिखाती है कि मानसिक स्थिति का हमारी सुरक्षा और यात्रा पर कितना गहरा असर हो सकता है।
इस घटना से यह सिखने की जरूरत है कि जब हम यात्रा पर निकलते हैं, तो मानसिक रूप से पूरी तरह से तैयार रहना जरूरी है। ध्यान, शांति और पूरी सतर्कता से यात्रा करना हमारी सुरक्षा के लिए आवश्यक है।