Written by– Sakshi Srivastava
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में श्री स्वामीनारायण मंदिर की 200वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने कहा कि आज समाज में कुछ ताकतें हैं, जो हमें आपस में बांटने की कोशिश कर रही हैं। समाज को विभाजित करने की इस साजिश को रोकना और एकता बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।
श्री मोदी ने कहा कि श्री स्वामीनारायण मंदिर की 200 साल की यात्रा ने हमेशा समाज में प्रेम, भाईचारे और समरसता का संदेश दिया है। इस मंदिर ने न केवल धार्मिक कार्यों को बढ़ावा दिया, बल्कि समाज के सभी वर्गों को जोड़ने का भी काम किया। आज, जब कुछ लोग समाज में नफरत और विभाजन फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, तो हमें उनकी साजिशों से बचकर एकजुट होना होगा।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि हम सभी को अपने आपसी मतभेदों को भूलकर, देश की प्रगति और समृद्धि के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए। उन्होंने इस अवसर पर स्वामीनारायण संप्रदाय के योगदान की सराहना की और कहा कि यह मंदिर न केवल धार्मिक एकता का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे समाज में सामाजिक सशक्तिकरण और समता की भावना को भी जागृत करता है।
उन्होंने यह भी कहा कुंभ मेला के महत्व और उसकी विशालता को दर्शाता है। 12 साल बाद होने वाला यह मेला न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका वैश्विक आकर्षण भी है। प्रयागराज में होने वाला यह मेला 13 जनवरी से शुरू होकर करीब 45 दिन तक चलता है, और अनुमानित तौर पर 40-50 करोड़ लोग इसमें हिस्सा लेंगे। इसका आयोजन भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत और आध्यात्मिक महत्व को प्रदर्शित करता है, जिसे दुनिया भर में सम्मानित किया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी का यह संदेश भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं के निरंतर प्रवाह को प्रदर्शित करता है। उन्होंने वडताल धाम की स्थापना को भगवान श्री स्वामीनारायण के साथ जोड़ा, और यह भी कहा कि आज भी हम उनकी शिक्षाओं और ऊर्जा को अनुभव कर सकते हैं। यह बयान न केवल भारतीय संस्कृति की स्थायिता को रेखांकित करता है, बल्कि स्वामीनारायण जी की शिक्षाओं के निरंतर प्रभाव को भी स्वीकार करता है। उनके दृष्टिकोण में, यह सब भारतीय आध्यात्मिकता और संस्कृति के शाश्वत महत्व को सिद्ध करता है, जो सदियों से जीवित और प्रासंगिक बनी हुई है।
प्रधानमंत्री मोदी का यह संदेश समाज में व्याप्त विभाजन की साजिशों के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता को उजागर करता है। उन्होंने जाति, धर्म, भाषा, और अन्य भेदभाव के आधार पर समाज को तोड़ने की कोशिशों का विरोध किया और इस संकट से निपटने के लिए एकजुट होकर काम करने की अपील की। उनका संदेश यह था कि समाज को मजबूत और सक्षम बनाने के लिए हमें अपने युवाओं को सशक्त बनाना होगा।
मोदी ने यह भी कहा कि भारत के युवा न केवल देश की समृद्धि के लिए, बल्कि वैश्विक मंच पर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। उनका मानना है कि भारत के युवाओं की कुशलता और क्षमता से पूरी दुनिया प्रभावित है, और इससे भारत को एक ताकतवर, विकसित राष्ट्र बनाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि विदेशों में भारतीय युवाओं की बढ़ती मांग, विशेष रूप से आईटी क्षेत्र में, हमारे देश की युवा शक्ति की वैश्विक मान्यता का प्रमाण है।
कुंभ मेला के लिए कही ये बात।
प्रधानमंत्री मोदी ने कुंभ मेला के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह एक अद्वितीय धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो 12 साल बाद प्रयागराज में हो रहा है। उन्होंने इस अवसर पर दुनिया भर के लोगों को कुंभ मेला के महत्व से परिचित कराने का आह्वान किया। उनका मानना था कि कुंभ मेला न केवल भारत की धार्मिक विरासत का प्रतीक है, बल्कि यह एक वैश्विक स्तर पर जागरूकता फैलाने का अवसर भी है।
मोदी ने विशेष रूप से भारतीय मूल के न होने वाले विदेशियों को कुंभ मेला के बारे में समझाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कम से कम 100 विदेशी श्रद्धालुओं को प्रयागराज लाकर उन्हें इस मेले की विशालता और आध्यात्मिकता से परिचित कराया जाए, जिससे पूरी दुनिया में भारत की सांस्कृतिक धरोहर के प्रति जागरूकता बढ़े।
युवाओं को नशे से दूर रखने की कही ये बात।
प्रधानमंत्री मोदी ने स्वामीनारायण समुदाय के योगदान की सराहना करते हुए नशा मुक्ति के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संत और महात्माओं का यह महत्वपूर्ण कार्य है कि वे युवाओं को नशे से दूर रखें और उन्हें नशा मुक्त बनाने के लिए सक्रिय रूप से योगदान करें। उनका मानना था कि युवाओं को नशे से बचाने के लिए ऐसे अभियान और प्रयास लगातार चलाए जाने चाहिए, ताकि समाज में नशे की लत को समाप्त किया जा सके और एक स्वस्थ, सशक्त राष्ट्र का निर्माण हो सके।
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि नशा मुक्ति केवल एक अभियान नहीं, बल्कि एक निरंतर प्रक्रिया है, जो समाज के हर वर्ग को जोड़ते हुए चलानी चाहिए।
अयोध्या के लिए भी कही ये बात।
उन्होंने कहा कि अब अयोध्या का उदाहरण हम सभी के सामने है। 500 साल बाद एक सपना पूरा हुआ है। काशी और केदार का परिवर्तन हमारे सामने है। एक नई चेतना, एक नई क्रांति हर जगह दिखाई दे रही है। इतना ही नहीं, हमारे देश से चोरी हुई सैकड़ों साल पुरानी मूर्तियों को खोजने वाला कोई नहीं था, आज दुनिया से चुराई गई हमारी मूर्तियों को खोज-खोज कर, ढूंढ़ कर, हमारे देवी-देवताओं के चुराए गए स्वरूप वापस आ रहे हैं, हमारे मंदिरों में लौट रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में “विकसित भारत” के निर्माण के लिए देशवासियों, विशेषकर युवाओं, को प्रेरित किया। उन्होंने यह बताया कि आज हमारे युवाओं के सामने एक महान उद्देश्य है, जो है – एक समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र का निर्माण। उनका कहना था कि जैसे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान समाज के विभिन्न हिस्सों से आजादी की ललक और संकल्प उभरे थे, ठीक वैसे ही आज “विकसित भारत” के लिए 140 करोड़ देशवासियों में एक समान उत्साह और समर्पण होना चाहिए।
उन्होंने स्वामीनारायण समुदाय और उनके संत महात्माओं से अपील की कि वे इस महान उद्देश्य से जन-जन को जोड़ें, ताकि हर व्यक्ति “विकसित भारत” के संकल्प को अपने जीवन में समाहित कर सके। मोदी ने यह भी कहा कि युवाओं को सशक्त और शिक्षित बनाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए, क्योंकि स्किल्ड युवा देश की सबसे बड़ी ताकत बनेंगे।
इस तरह, प्रधानमंत्री मोदी का संदेश था कि “विकसित भारत” की दिशा में काम करने के लिए हर नागरिक की भूमिका जरूरी है, और युवाओं को इसमें केंद्र में रखा गया है।
प्रधानमंत्री ने अंत में यह आह्वान किया कि हम सभी को समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। हमें अपनी सोच को विस्तृत करना होगा और एक दूसरे की भलाई के लिए काम करना होगा, ताकि समाज में शांति, प्रेम और भाईचारा बना रहे।