Written by– Sakshi Srivastava
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के हेलीकॉप्टर की एक बार फिर तलाशी ली गई है, जिसे लेकर शिवसेना पार्टी ने कड़ी नाराजगी जताई है। इस कार्रवाई पर पार्टी के नेताओं ने आरोप लगाया है कि यह राजनीतिक विद्वेष की वजह से किया जा रहा है। शिवसेना ने इसे गलत और पक्षपाती कदम बताया, और आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष को परेशान करने के लिए ऐसी कार्रवाइयाँ कर रही है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के हेलीकॉप्टर की तलाशी लिए जाने को लेकर शिवसेना (UBT) की प्रतिक्रिया काफी तीव्र रही है। पार्टी ने इसे सत्ताधारी दल की राजनीति का हिस्सा बताया और आरोप लगाया कि चुनावी माहौल में विपक्षी नेताओं के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई की जा रही है। 20 नवंबर को होने वाले मतदान से पहले, ऐसे घटनाक्रमों के बीच राज्य में राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। यह घटनाएँ राजनीतिक बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का हिस्सा बन चुकी हैं, जिससे राज्य में चुनावी समर और भी तेज हो गया है।
यह घटना न केवल राजनीतिक गतिशीलता को प्रभावित कर रही है, बल्कि राज्य के कानून-व्यवस्था पर भी सवाल उठा रही है, विशेषकर जब यह आरोप सामने आते हैं कि यह सब सिर्फ चुनावी लाभ के लिए किया जा रहा है।
हेलीकॉप्टर की तलाशी का यह मामला पहले भी चर्चा में आ चुका है, और अब एक बार फिर यह सुर्खियों में है। शिवसेना के नेताओं का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई से साफ है कि सरकार विपक्षी नेताओं को दबाने की कोशिश कर रही है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई नियमों के तहत की जा रही है।
शिवसेना ने इस मामले में सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज करते हुए कहा कि यदि यह सब राजनीतिक प्रतिशोध है, तो इसका विरोध किया जाएगा। पार्टी ने यह भी कहा कि इस तरह की कार्रवाइयों से लोकतंत्र की मूल भावना को नुकसान पहुंच सकता है।
शिवसेना (UBT) ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें उन्होंने कहा कि आयोग संविधान की अवहेलना कर रहा है। पार्टी ने आरोप लगाया कि डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान में सभी नागरिकों के लिए समान न्याय का प्रावधान है, लेकिन चुनाव आयोग और सत्ताधारी दल ने संविधान की मूल भावना को नजरअंदाज करते हुए लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था को पांव तले रौंदने का काम किया है।
शिवसेना का कहना है कि दिल्ली में बैठी सरकार और चुनाव आयोग के अधिकारियों ने राजनीतिक लाभ के लिए संविधान के खिलाफ काम किया है। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने और लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। इस बयान के जरिए शिवसेना ने राज्य में चुनावी माहौल को लेकर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
शिवसेना (UBT) ने उद्धव ठाकरे के सामान की जांच को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पार्टी ने आरोप लगाया कि कुछ अधिकारियों ने जानबूझकर और विशेष रूप से ठाकरे परिवार के सामान की तलाशी ली। इस संदर्भ में शिवसेना ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल (पूर्व ट्विटर) पर एक वीडियो साझा करते हुए मराठी में एक तीखा बयान जारी किया।
शिवसेना ने कहा, “जो हुआ वह बहुत बढ़िया था, लेकिन टैक्स से इन्हें क्यों डर लगता है?” पार्टी ने यह भी सवाल उठाया कि अब कमलाबाई (मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सहयोगी) और अन्य “देशद्रोहियों” के सामान की भी इसी तरह से जांच की जानी चाहिए। इसके अलावा, पार्टी ने यह भी कहा कि जनता को यह समझना चाहिए कि बक्से कौन, कहां से और कैसे ले जा रहे हैं, और चोर को फांसी पर लटकाने की कोशिश कौन कर रहा है।
चुनाव आयोग ने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के बैग की जांच को लेकर उठे विवाद पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि यह कार्रवाई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के तहत की गई थी। आयोग के सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि सभी राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं के विमानों और हेलीकॉप्टरों की जांच करना एक सामान्य प्रक्रिया है, जो चुनावी व्यवस्था में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए लागू की जाती है।
चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कोई विशेष कार्रवाई नहीं थी, और इससे पहले भाजपा के शीर्ष नेताओं, जैसे कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह के विमानों और हेलीकॉप्टरों की भी जांच की गई थी। इसका उद्देश्य किसी भी अनियमितता या कानून का उल्लंघन न होने देना है। आयोग ने इसे चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा बताया और आरोपों को खारिज किया।
चुनाव आयोग के एक पदाधिकारी ने स्पष्ट किया है कि सभी प्रत्याशियों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एजेंसियां सख्त मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का पालन करती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान बिहार में भी इसी तरह का मुद्दा उठ चुका था, जहां भाजपा के शीर्ष नेताओं की हेलीकॉप्टरों की जांच की गई थी।
आयोग के अनुसार, 24 अप्रैल को भागलपुर जिले में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित प्रमुख नेताओं के हेलीकॉप्टरों की जांच की गई थी। इसी तरह, 21 अप्रैल को कटिहार जिले में गृह मंत्री अमित शाह के हेलीकॉप्टर की भी जांच की गई थी। आयोग ने यह साफ किया कि यह सभी जांचें एसओपी के तहत की गई थीं, और इनका उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखना और किसी भी प्रकार की धांधली को रोकना था।
यह बयान चुनाव आयोग की तरफ से शिवसेना (UBT) द्वारा उठाए गए आरोपों का स्पष्ट जवाब है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उद्धव ठाकरे के हेलीकॉप्टर की जांच को राजनीतिक द्वेष से किया गया। आयोग ने यह सुनिश्चित किया कि यह प्रक्रिया सभी नेताओं के लिए समान रूप से लागू होती है और यह किसी भी पार्टी विशेष के खिलाफ नहीं है।
चुनाव आयोग ने इस विवाद पर मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के बयान को रेखांकित करते हुए स्पष्ट किया कि चुनाव प्रक्रिया में सभी प्रत्याशियों को समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। आयोग ने यह भी याद दिलाया कि प्रवर्तन एजेंसियों को यह निर्देश दिए गए हैं कि वे सभी राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं के हेलीकॉप्टरों की जांच करें, ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता या गलत प्रबंधन न हो।
आयोग के मुताबिक, यह कदम पूरी तरह से निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए हैं और किसी विशेष पार्टी या नेता के खिलाफ नहीं है। आयोग ने यह स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया चुनाव के दौरान पारदर्शिता बनाए रखने और समानता की गारंटी देने के लिए महत्वपूर्ण है।
इस बयान से आयोग ने अपने ऊपर लगे आरोपों का जवाब दिया और यह सुनिश्चित किया कि सभी नेताओं को समान रूप से निरीक्षण के अधीन लाया जा रहा है।